कौन थीं Hindi की Dalit लेखिका Rajni Tilak, जिनका शनिवार को हुआ निधन
नई दिल्ली। हिंदी की जानी-मानी दलित लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता Rajni Tilak का शनिवार (31 मार्च) की रात निधन हो गया। वो 60 वर्ष की थी। उन्हें रीढ़ की हड्डी में बीमारी की शिकायत थी, जिसकी वजह से पिछले दिनों अस्पताल में भर्ती कराया गया। दिल्ली के सेंट स्टीफन अस्पताल में शनिवार रात करीब 11 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली। रजनी तिलक का जन्म पुरानी दिल्ली के एक गरीब परिवार में हुआ था।
रविवार को दिल्ली के निगम बोध घाट पर जानी-मानी लेखिका रजनी तिलक का विद्युत शव दाह गृह में अंतिम संस्कार किया गया। इस मौके पर सीपीएम नेता और पूर्व सांसद वृंदा करात, सुभाषिनी अली, आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा मौजूद थे। इनके अलावा प्रसिद्ध दलित कार्यकर्ता अशोक भारती, जाने-माने दलित लेखक मोहनदास नैमिशराय भी वहां मौजूद थे। रजनी तिलक दलित लेखक संघ, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ और कई दूसरे सामाजिक संगठनों से जुड़ी थी। वो सफाई कर्मचारियों के हक के लिए भी आवाज बुलंद करती रही हैं। जनवादी लेखक संघ (जलेस) और दलित लेखिका संघ ने उनके निधन पर गहरा शोक जताया है।
जनवादी लेखक संघ (जलेस) की ओर से शोक जताते हुए कहा गया कि हिन्दी को 'अपनी ज़मीं-अपना आसमां' जैसी आत्मकथा और 'पदचाप', 'हवा सी बेचैन युवतियां', 'अनकही कहानियां' जैसे कविता-संग्रह देने वाली रजनी तिलक भारत के उत्पीड़ित तबकों की अग्रणी बुद्धिजीवी थीं। दलितों, महिलाओं और दलित महिलाओं के रोजाना के संघर्ष में शामिल होकर अपने उन्हीं अनुभवों को दर्ज करने के लिए वे विभिन्न विधाओं में लेखन करती थीं। उन्होंने हिंदी भाषा में सावित्री बाई फुले के महत्व से परिचित कराने में भी रजनी तिलक की उल्लेखनीय भूमिका रही।
बामसेफ, दलित पैंथर की दिल्ली इकाई, अखिल भारतीय आंगनवाड़ी वर्कर एंड हेल्पर यूनियन, आह्वान थिएटर, नेशनल फ़ेडरेशन फ़ॉर दलित वीमेन, नैक्डोर वर्ल्ड डिग्निटी फ़ोरम, दलित लेखक संघ और राष्ट्रीय दलित महिला आन्दोलन आदि के साथ रजनी तिलक का गहरा जुड़ाव रहा। इनमें से कई संगठनों की शुरूआत उनके प्रयासों से ही से हुई।
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