पीड़ित हिमाचल प्रदेश में बंदरों की जनगणना
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला) हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य बनने जा रहा है जहां पर बंदरों की गिनती की जा रही है। ये काम आगामी 1 जुलाई से शुरू हो जाएगा। इसे आप जनगणना भी कह सकते हैं।
नाक में दम किया
Short Story: जब मोटे बंदर ने निकाली रात की भड़ास
मंडी, पोंटा साहिब, कांगड़ा, हमीरपुर जैसे क्षेत्रों में इन्होंने लोगो की नाक में दम करके रखा हुआ है। बंदरों की तादाद के लिहाज से हिमाचल को बेहद समृद्ध राज्य माना जाता है। राज्य का वन विभाग इस काम को अंजाम दे रहा है।
कहां-कहां बंदर
राजधानी में हिमाचल भवन के एक अधिकारी ने बताया कि उनके राज्य में बंदर अलग-अलग जगहों पर पाए जाते हैं।जैसे जंगलों,शहरों, गांवों,मदिरों,सड़कों के इर्द-गिर्द। बंदरों की जनगणना को अंजाम गदेने के लिए तमिलनाडू के कुछ विशेषज्ञ भी आ रहे हैं। 2004 में भी हुई थी बंदरों की जनगणना। तब इनकी संख्या सवा तीन लाख से कुछ कम पाई गई थी। हालांकि 2013 की जनगणना में इनकी तादाद घटी। तब ये सवा दो लाख से कुछ ज्यादा थे राज्य में। जानकारी के अनुसार, वन विभाग जनगणना के काम में महिला मंडलों और पंचायतों से भी सहयोग ले रहा है।
बंदरों से पीड़ित
दरअसल हिमाचल प्रदेश को देश के बंदरों से सबसे ज्यादा पीड़ित राज्यों में माना जाता है। सरकार की कोशिश है कि इनकी संख्या को घटाने में सबका सहयोग मिल जाए। इस बीच, सरकार ने बंदरों की नसबंदी के काम को भी तेज कर दिया है।
उधर, दिल्ली में भी बंदरों का आतंक और तादाद लगातार बढ़ता जा रहा है। आवासीय कालोनियों से लेकर दफ्तरों, बाजारों, मंदिरों में ये खासी तादाद में हंगामा करते हुए मिल जाते हैं। राजधानी के दिल क्नाट प्लेस में ही सैकड़ों बंदर दिन रात लोगों को परेशान करते हैं। यहां के हनुमान मंदिर में तो लगभग इनका राज है।