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मायावती-कांग्रेस के बीच सियासी दांवपेच की पहेली

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नई दिल्ली। अक्सर लोगों को लगता है कि राजनीति एक आसान काम है और इसे पैसों और ताकत के जोर पर किया जा सकता है। लेकिन असल मायनों में राजनीति महज पैसों और ताकत का खेल नहीं है। बल्कि राजनीति में सफल होने के लिए आपको एक कुशल वक्ता के साथ अपनी बात को इस अंदाज में कहने का सलीका आना चाहिए जिससे कि विरोधी पर तीखा हमला बोलने के साथ समझौते का एक बारीक रास्ता भी छोड़ दिया जाए। इस कुशल राजनीति का उदाहरण अगर आपको समझना है तो बसपा सुप्रीमो मायावती के बयान को देखना चाहिए। मायावती के बयान के बाद इसे समझा जा सकता है कि आखिर क्यों उन्हें कद्दावर और मंझा हुआ कहा जाता है।

कांग्रेस पर सबसे तीखा हमला

कांग्रेस पर सबसे तीखा हमला

दरअसल मायावती ने अकेले ही राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव लड़ने का ऐलान किया और कहा कि वह कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेंगी। इस दौरान मायावती ने जमकर कांग्रेस पर हमला बोला। एक तरफ जहां उन्होंने कहा कि कांग्रेस को दंभ है कि वह भाजपा को अकेले हरा सकती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। कांग्रेस के शासनकाल हुए भ्रष्टाचार को लोग अभी तक भूले नहीं हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि कांग्रेस अपनी गलती को सुधारने के मूड में नहीं है।

मायावती ने समझौते की गुंजाइश छोड़ी

मायावती ने समझौते की गुंजाइश छोड़ी

एक तरफ जहां मायावती ने कांग्रेस पर ऐसी जगह चोट की जहां उसे सबसे दर्द होता तो दूसरी तरफ मायावती ने कहा कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी सच में चाहते हैं कि कांग्रेस और बसपा का गठबंधन हो और इनकी भावना ईमानदार है। मायावती ने गठबंधन नहीं हो पाने का ठीकरा कांग्रेस के अन्य नेताओ और खासकर दिग्विजय सिंह पर फोड़ा। ऐसे में साफ है कि मायावती ने एक गठबंधन का एक दरवाजा अभी भी खुला रखा है। इस बात की पुष्टि ऐसे भी होती है कि मायावती के बयान के बाद खुद कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला आगे आए और मायावती के तीखे आरोपों के बाद भी आपसी मनमुटाव दूर करने की बात कही।

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एक और दौर मान मनौव्वल का

एक और दौर मान मनौव्वल का

कांग्रेस इस बात को बखूबी जानती है कि उत्तर प्रदेश में बसपा और सपा के साथ के बिना वह 2019 में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाएगी, लिहाजा वह मायावती को चुनौती नहीं बनने देना चाहती है। सुरजेवाला ने कहा कि जब कोई गुस्से में होता है तो मीठी और कड़वी बात कह देता है, लेकिन आखिरकार मायावती राहुल और सोनिया में भरोसा रखती हैं, ऐसे में मनमुटाव को मिटाया जा सकता है। सुरजेवाला के बयान के बाद साफ है कि आने वाले समय में दोनों दलों के बीच एक दौर और मान मनौव्वल का होने वाला है।

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English summary
Here is the how Mayawati played a good politics of pressure against Congress.
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