जानिए, किस प्रोविजन के तहत बंद किए गए 500 और 1000 के नोट
आखिर जिस नोट बैन को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में याचिका दायर कर दी गई है, वह बैन सही है भी या नहीं। क्या नोट पर बैन लगाने का कोई प्रोविजन है या फिर नहीं?
नई दिल्ली। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की थी कि आधी रात के बाद यानी 9 नवंबर से 500 और 1000 रुपए के सभी नोट मान्य नहीं रहेंगे। प्रधानमंत्री द्वारा इस घोषणा को किए जाने के बाद अगले दिन ही सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में इस बैन के खिलाफ तीन याचिकाएं दाखिल की गईं।
सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर 15 नवंबर को सुनवाई करने वाला है। कर्नाटक हाईकोर्ट में भी ऐसी ही एक याचिका दायर की गई थी, जिसे सिरे से खारिज कर दिया गया।
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जब सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करेगा तो उसे कोई भी आदेश देने से पहले केन्द्र सरकार का पक्ष भी सुनना जरूरी होगा, क्योंकि इस संबंध में केन्द्र सरकार द्वारा पहले ही एक कैवेट दाखिल कर दी गई है।
आपको बता दें कि अगर किसी पक्ष ने कैवेट दाखिल कर दिया है, तो उस मामले में अदालत बिना दोनों पक्षों को सुने कोई भी आदेश जारी नहीं कर सकती है।
अब सवाल ये उठता है कि आखिर जिस नोट बैन को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में याचिका दायर कर दी गई है, वह बैन सही है भी या नहीं। क्या नोट पर बैन लगाने का कोई प्रोविजन है या फिर नहीं? आइए जानते हैं इस बारे में।
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500 और 1000 के नोट बैन करने वाला प्रोविजन
भारत सरकार ने वित्त मंत्रालय में वाइड एफ. नंबर 10/3/2016-Cy.l, 8 नवंबर 2016 को गैजेट ऑफ इंडिया में छपा, एक्स्ट्राऑर्डिनरी, पार्ट-2, सेक्शन-3, सब सेक्शन (ii), 8 नवंबर 2016 को, केन्द्र सरकार ने यह घोषणा की कि 500 और 1000 रुपए के नोट 9 नवंबर 2016 से लीगल टेंडर नहीं रहेंगे।
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यह नोट रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट, 1934 के सेक्शन 26 के सब सेक्शन (2) के तहत अवैध करार दिए गए हैं। यह सेक्शन कहता है कि सभी बैंक नोट पूरे देश में कहीं भी भुगतान के लिए लीगल टेंडर होंगे (यानी मान्य होंगे)। केन्द्रीय बोर्ड के सुझाव पर केन्द्र सरकार गैजेट ऑफ इंडिया में एक नोटिफिकेशन जारी करके यह घोषणा कर सकती है कि किसी खास सीरीज या फिर डिनोमिनेशन के नोटों को लीगल टेंडर नहीं माना जाएगा।