ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों के पीछे स्टेरॉयड का इस्तेमाल, इसे रोका जाए: स्वास्थ्य मंत्रालय
नई दिल्ली, 22 मई: केंद्र ने देश में ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) के बढ़ते मामलों के पीछे बहुत ज्यादा स्टेरॉयड के इस्तेमाल को एक वजह बताया है और कहा है कि कोविड के इलाज के दौरान ज्यादा स्टेरॉयड लेने से बचा जाए। कोरोना वायरस संक्रमण को लेक अपनी प्रेस वार्ता में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि अगर स्टेरॉयड का बेवजह इस्तेमाल बंद कर दिया जाए तो म्यूकोरमाइकोसिस के मामलों को कम किया जा सकता है।
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नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस वार्ता के दौरान कहा, हम कोरोना के साथ ही म्यूकोरमाइकोसिस का भी सामना कर रहे हैं। यह बीमारी अब काफी फैल चुकी है। यह कोरोना मरीजों को प्रभावित कर रही है। म्यूकोरमाइकोसिस में स्टेरॉयड की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है। स्टेरॉयड का ज्यादा दिया जाना या लंबे समय तक दिया जाना काफी खतरनाक है, इससे बचा जाए।
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया है कि ब्लैक फंगस के लिए एमफोटेरेसिन-बी जिसकी देश में सीमित उपलब्धता थी, उसे बढ़ाया जा रहा है। 5 अतिरिक्त मैन्युफैक्चर्स का लाइसेंस दिलाने का कार्य किया जा रहा है। अभी जो मैन्युफैक्चर्स हैं, वो भी उत्पादन बढ़ा रहे हैं। जिससे दवा की कमी ना हो।
एम्स के डायेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने भी हाल ही में कहा था कि स्टेरॉयड से बचा जाए। उन्होंने कहा किडायबिटीज से पीड़ित मरीजों में फंगल इंफेक्शन के बढ़ने की संभावना है, जो कि कोविड पॉजिटिव हैं और स्टेरॉयड ले रहे हैं। इससे बचने के लिए हमें स्टेरॉयड का गैरजरूरी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
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ब्लैक फंगस एक ऐसी बीमारी है जो कोविड-19 से ठीक हो चुके लोगों में सामने आ रही है। इससे संक्रमित व्यक्ति की नाक, आंख और साइनस प्रभावित हो रही है। इससे ऐसे लोगों को अधिक खतरा है जिनका प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर है और वे किसी अन्य गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। इसको कई राज्य महामारी घोषित कर चुके हैं। कोरोना के साथ ही ये भी बड़ी चुनौती बन रही है।