Gurdaspur Bypoll: क्या टूट रहा 'अच्छे दिनों' का तिलिस्म
नई दिल्ली। गुरदासपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को 1 लाख 90 हजार वोटों से हरा दिया। अपने जमाने के सुपरस्टार विनोद खन्ना बीजेपी के टिकट पर इसी सीट से लगातार चार बार जीते थे। उनके निधन के बाद खाली हुई गुरदासपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में मिली हार बीजेपी को इसलिए भी ज्यादा साल रही है, क्योंकि यह गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चल रही चुनावी सरगर्मियां के बीच आई है।
हार बीजेपी के लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं
पंजाब-जम्मू बॉर्डर पर स्थित गुरदासपुर लोकसभा सीट हिंदू और सिख आबादी सबसे ज्यादा है। इस क्षेत्र में रहने वाले दोनों ही सुमदायों के ज्यादातर बिजनेसमैन हैं। इन्हीं समीकरणों के चलते बीजेपी को जीत की उम्मीदें बहुत ज्यादा थीं, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार ने सारे समीकरणों को धता बताते हुए साढ़े तीन लाक वोट प्राप्त कर लिए। कांग्रेस के लिए यह जीत किसी संजीवनी से कम नहीं हैं तो दूसरी ओर बीजेपी के लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं।
2014 लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी जनता को यह विश्वास दिलाने में कामयाब रहे थे कि उनमें हालात बदलने की क्षमता है, लेकिन नोटबंदी और जीएसटी के बाद हालात कुछ बदलते दिखाई दे रहे हैं। दिल्ली से लेकर इलाहाबाद तक बीजेपी की यूथ विंग को भी इसी दौर में हार का सामना करना पड़ा। संकेत साफ है कि जनता का मूड अब स्विंग कर रहा है, लेकिन बड़ा सवाल यही है कि स्विंग कर रहे जनता के इस मूड को कैप्चर करने के लिए क्या कांग्रेस तैयार है? क्या गुजरात और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को वैसे ही नतीजे मिलेंगे, जैसे गुरदासपुर उपचुनाव में मिले हैं।
'अच्छे दिन' की कसौटी पर खरी नहीं उतरी भाजपा
दरअसल, बीजेपी की समस्या यह है कि 'अच्छे दिन' की कसौटी पर वह तीन साल बाद खरी नहीं उतर पा रही है। देश की अर्थव्यवस्था इस समय बुरे दौर में है। रोजगार के मामले में मोदी सरकार के पास अच्छे आंकड़े नहीं हैं। ऐसे में देखना रोचक होगा कि मोदी-शाह की जोड़ी कैसे आने वाले समय में जनता को लुभाती है। हालांकि, चुनौतियां कांग्रेस के लिए भी कम नहीं हैं। जहां तक गुरदासपुर सीट की बात करें तो पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के रूप में कांग्रेस के पास निर्विवादित लीडर हैं, लेकिन गुजरात में ऐसा नहीं हैं। वर्षों से हार के कारण पार्टी का संगठन बेहद कमजोर हो गया है।
अब हिमाचल, गुजरात पर निगाहें
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस इस बार भी वीरभद्र सिंह पर ही दांव खेलना चाहती है, लेकिन यहां उसके लिए भी स्थिति कमोबेश वैसी ही है, जैसी बीजेपी शासित राज्यों में बीजेपी की। सत्ता में बैठी पार्टी चाहे कांग्रेस हो बीजेपी जनता को तो बस एक ही आस है और वो है-अच्छे दिन। देखना रोचक होगा कि भविष्य में लोगों को किसके दिन अच्छे लगते हैं।
Gurdaspur Lok Sabha bypoll: क्यों हारी भाजपा, जानिए 5 कारण, जो खुद बीजेपी नेताओं ने बताए