इन पांच मुद्दों पर काम कर भाजपा जीत लेगी Gujarat Assembly Election!
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गुजरात चुनाव में सत्ता बरकरार रखने के लिए बीजेपी जिन पांच प्रमुख फैक्टर्स पर काम कर रही है उसमें से एक फैक्टर को अंजाम दे दिया गया है। राज्य में पार्टी दो सबसे खास मोर्चों पर चिंतित नजर आ रही है। उनमें सबसे पहला पाटीदार समाज और दूसरा GST को लेकर व्यापारियों में गुस्सा। जिस तरह सूरत में हजारों व्यापारी सड़कों पर उतरे और तमाम मंचों पर व्यापारियों ने GST से होने वाली दिक्कतों का रोना रोया उससे बीजेपी को लग रहा था कि उनका परंपरागत वोट कहीं खिसक न जाए। यही नहीं राहुल गांधी अपनी हर सभा में सबसे ज्यादा यही मुद्दा उभार रहे थे। उन्होंने GST को गब्बर सिंह का टैक्स बताकर मजाक उड़ाया और बीजेपी को उद्योगपतियों की सरकार करार दिया। राहुल अपने भाषणों में माल्या और टाटा का नाम लेकर बोल रहे हैं कि सरकार उद्योगपतियों का भला सोच रही है। उसका ना तो आम व्यापारियों से सरोकार है और ना ही जनता से। मीडिया में राहुल के ये बोल सुर्खियां बन रहे थे।
बीजेपी को इससे लाभ मिलेगा
GST को लेकर गुजरात में व्यापारियों की परेशानी को देखते हुए सरकार पिछले महीने एक कदम उठा चुकी थी लेकिन उससे बात बनती नजर नहीं आ रही थी इसलिए बड़े कदम उठाने की रणनीति पर काम हुआ। निश्चित तौर पर GST में काफी राहत देने की कोशिश की गई है और बीजेपी को इससे लाभ मिलेगा। इनके अलावा चार और फैक्टर्स है जिन पर बीजेपी काम कर रही है और उसे मालूम है कि इन पांच फैक्टर्स को दूर कर लिया गया तो कांग्रेस वैसी ही नजर आएगी जैसे पिछले चुनाव में थी।
हार्दिक पटेल की काट में जुटी है भाजपा
GST के अलावा सबसे प्रमुख फैक्टर है पाटीदार समाज। बीजेपी अंदरूनी तौर पर हार्दिक पटेल की काट में जुटी हुई है। पार्टी के पत्ते अभी खुले नहीं है और गुजरात के राजनीतिक एक्सपर्ट मानते हैं कि भीतर ही भीतर हर तरह से इस फैक्टर को दूर करने के प्रयास जारी हैं। जब पार्टी अपनी रणनीति के रिजल्ट पर पहुंचेगी तभी ये पत्ता खुलेगा और इसके बाद गुजरात में पार्टी की जीत आसान हो जाएगी।
ये हैं तीन और मुद्दे
इसके अलावा तीन और मुद्दे है जिन्हें पार्टी ध्यान में रख रही है। तीसरा बड़ा मुद्दा है गुजरात का युवा वोटर। राज्य में 65 फीसदी वोटर नौजवान है और उसी पर दारोमदार है कि वो किस पार्टी की सरकार बनाए। इस मोर्चे पर भी बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही जुटे हैं। कांग्रेस ने तीन युवा नेता को साथ लेकर बढ़त लेने की कोशिश की है जिसमें जाति का कार्ड भी उनके साथ है। इसके अलावा बेरोजगारी को मुद्दा बनाया जा रहा है और कांग्रेस की जीत पर उन्हें बेरोजगारी भत्ता देने का वायदा कर दिया है। बीजेपी इस मुद्दे पर भी मंथन में जुटी हुई है कि युवाओं को पक्ष में करने के लिए क्या वायदे किए जाएं जिससे उनके गुस्से को कम किया जा सके।
चौथा बड़ा मुद्दा है एंटी इनकम्बेंसी
चौथा बड़ा मुद्दा है एंटी इनकम्बेंसी। पार्टी राज्य में 22 साल से राज कर रही है और इतना लंबे वक्त तक सरकार बरकरार रखना किसी भी दल के लिए आसान नहीं। तमाम वर्गों को सहूलियत देने के बाद भी एंटी इनकम्बैंसी फैक्टर जरूर रहता है। इसके लिए पार्टी ने खास तैयारी की है जिसमें उसे कोई दिक्कत नहीं आनी है। ये बात अलग है कि इसको लेकर पार्टी के भीतर जरूर हड़बड़ाहट है और जो बीजेपी विधायक कमजोर साबित हुए हैं उन्हें महसूस होने लगा है कि इस बार टिकट कटना तय है। यही वजह है कि ऊंझा विधानसभा सीट से विधायक नारायण पटेल ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिख दिया है कि जिस किसी को भी टिकट दिया जाए, वो बाहरी न हो। स्थानीय नेता को टिकट मिलेगा तो हम सब कार्यकर्ता मिलकर उसकी जीत सुनिश्चित करेंगे। तय है कि बड़ी तादाद में पार्टी पुराने विधायकों के टिकट काटे जाने की तैयारी है।
हिंदुत्व का मुद्दा
पांचवां बड़ा फैक्टर है हिंदुत्व का मुद्दा। यदि हिंदू मुस्लिम वोट का ध्रुवीकरण हो जाता है तो पार्टी फिर उसी बहुमत से सरकार बना सकती है। इसके लिए वो सारे नेता गुजरात में प्रचार करने के लिए जुट रहे हैं जो हिंदुत्व की छवि भी उभारने के लिए कारगर हैं। कुल मिलाकर सबसे बड़ा मुद्दा है पाटीदार समाज का है जिस पर पार्टी को दिक्कत हो रही है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह सरप्राइज राजनीति के लिए जाने जाते हैं और फिर जब गुजरात का मामला हो तो राह आसान के लिए ट्रंप कार्ड तो खेले ही जाएंगे।