गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव: बीजेपी के साथ योगी का भी टेस्ट, कैंडिडेट पर सस्पेंस
योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर संसदीय क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव में बीजेपी किसे अपना उम्मीदवार बनाएगी इसको लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं
नई दिल्ली। हाईप्रोफाइल गोरखपुर लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव की तारीखों का एलान हो गया है। मतदान 11 मार्च को होगा और नतीजे 14 मार्च को आएंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा खाली की गई इस सीट पर विपक्ष भी नजर गड़ाए हुए है। यहां से बीजेपी का उम्मीदवार कौन होगा इसका फैसला भी सीएम योगी आदित्यनाथ को ही करना है। जानकारों का मानना है कि बीजेपी गोरखपुर सीट पर ऐसे उम्मीदवार को खड़ा करना चाहती है जिसकी जीत पक्की हो। हालांकि गोरखपुर सीट पर गोरक्षनाथ पीठ का दबदबा रहा है, लेकिन अभी तक बीजेपी द्वारा प्रत्याशी घोषित न किए जाने से सस्पेंस बरकरार है।
संयुक्त उम्मीदवार की तैयारी में विपक्ष
बीजेपी की तरफ से उम्मीदवार ना तय किए जाने से विपक्ष भी असमंजस में है। ऐसे तो बीजेपी के कई नेता गोरखपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की अपनी मंशा जता चुके हैं लेकिन बीजेपी में तो वही होता है जो आलाकमान फैसला करते हैं। खबर है कि गोरखपुर से जुड़े किसी नेता को ही बीजेपी टिकट दे सकती है। फिलहाल 20 फरवरी तक उपचुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख है। लिहाजा माना जा रहा है कि अगले हफ्ते तक उम्मीदवार की घोषणा हो सकती है। विपक्षी दलों की बात करें तो खबर है कि विपक्ष बीजेपी को हराने के लिए कोई संयुक्त उम्मीदवार उतार सकता है।
योगी ही तय करेंगे नाम!
योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर संसदीय क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव में बीजेपी किसे अपना उम्मीदवार बनाएगी इसको लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। ये तो तय है कि गोरखपुर संसदीय सीट के लिए सीएम योगी की सलाह पर ही बीजेपी अपने कैंडेडिट का नाम घोषित करेगी। वहीं, इस सीट पर चुनाव लड़ने के लिए बीजेपी नेता और भोजपुरी स्टार रवि किशन के नाम की भी चर्चा में है। इनके अलावा राधेश्याम सिंह के नाम पर भी चर्चा है। राधेश्याम सिंह 2012 विधानसभा चुनाव में पिपराइच से भाजपा के लोकप्रिय प्रत्याशी थे। गोरखपुर से भाजपा के मौजूदा जिला अध्यक्ष जनार्दन तिवारी का नाम भी चर्चा में है। साथ ही भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष उपेंद्र दत्त शुक्ला का नाम चर्चा में है। गोरखपुर सीट से बीजेपी टिकट के लिए बीजेपी के पूर्व महानगर अध्यक्ष एवं वर्तमान में क्षेत्रीय मंत्री डॉ धर्मेंद्र सिंह के नाम भी की भी चर्चा है। वहीं खबर ये है कि कोई चौंकाने वाला नाम भी सामने आ सकता है।
गोरक्षनाथ पीठ का रहा है दबदबा
1952 में पहली बार गोरखपुर लोकसभा सीट के लिए चुनाव हुआ और कांग्रेस ने जीत दर्ज की। इसके बाद गोरक्षनाथ पीठ के महंत दिग्विजयनाथ 1967 निर्दलीय चुनाव जीता। उसके बाद 1970 में योगी आदित्यनाथ के गुरु अवैद्यनाथ ने निर्दलीय जीत दर्ज की। 1971 से 1989 के बीच एक बार भारतीय लोकदल तो कांग्रेस का इस सीट पर कब्ज़ा रहा। लेकिन 1989 के बाद से सीट पर गोरक्षपीठ का कब्ज़ा रहा। महंत अवैद्यनाथ 1998 तक सांसद रहे। उनके बाद 1998 से लगातार पांच बार योगी आदित्यनाथ का कब्ज़ा रहा।
क्यों हो रहा है उपचुनाव
यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में बीजेपी की बंपर जीत के बाद योगी आदित्यनाथ को यूपी की सीएम बना दिया गया था। जिसके बाद योगी आदित्यनाथ ने 21 सितंबर, 2017 को लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। योगी आदित्यनाथ के लोकसभा सदस्य से इस्तीफा देने के बाद ये सीट खाली हुई है। इस सीट पर अब उपचुनाव होना है। नियमानुसार, किसी भी खाली हुई सीट पर 6 महीने के अंदर उपचुनाव होता है।गोरखपुर उपचुनाव देश के लिए क्या राजनीतिक संदेश देता है। वहां की जनता का फैसला देश की राजनीति पर बड़ा असर डालेगा।
मोदी-शाह ने सांसदों को दिया 'टिफिन मंत्र', 2019 में कांग्रेस को चित करने की तैयारी