गोवा चुनाव में किस पार्टी ने लुटाए सबसे ज्यादा पैसे ? ये BJP या Congress नहीं है
नई दिल्ली, 25 सितंबर: गोवा विधानसभा चुनावों में इस बार टीएमसी और आम आदमी पार्टी ने अपनी सारी ताकत झोंक दी थी। कांग्रेस ने शुरू से आरोप लगाया कि इन दोनों दलों की वजह से बीजेपी का रास्ता आसान हो सकता है। जब चुनाव नतीजे आए तो उसने अपने दावों को सही ठहराने की कोशिश भी की। क्योंकि, टीएमसी और आम आदमी पार्टी ने जितने दावे और वादे किए थे, उस हिसाब से जनता ने उन्हें पूरी तरह से नकार दिया। अब सभी दलों ने चुनाव में हुए खर्चों का जो ब्योरा चुनाव आयोग को दिया है, उससे पता चलता है कि जिस दल का खाता भी नहीं खुला, उसने पैसे पानी की तरह बहाए थे और बड़ी पार्टियों को भी इस मामले में बौना कर दिया था।
चुनाव खर्च में बड़ी पार्टियां पीछे रह गईं
इसी साल की शुरुआत में यूपी, उत्तराखंड और पंजाब के साथ गोवा विधानसभा चुनाव भी हुए थे। इस बार भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए कांग्रेस तो मैदान में थी ही, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने तो खुद को सबसे आगे साबित करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रखी थी। ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने ऐसा कोई दावा नहीं छोड़ा, जिसमें कि उन्होंने गोवा में बीजेपी की मिट्टी पलीद कर देने की बात ना की हो। लेकिन, जब चुनाव परिणाम आए तो बीजेपी ने पहले से ज्यादा यानी आधी सीटें जीत लीं और तृणमूल को उसके दावों पर जोरदार तमाचा लग गया। अलबत्ता केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने 39 उम्मीदवारों को लड़ाकर दो सीटें जरूर जीत लीं। लेकिन, अब सभी दलों ने चुनाव आयोग को चुनाव खर्च का जो ब्योरा दिया है, उससे पता चलता है कि छोटी पार्टियां चुनावों में लुटाने में बड़ी पार्टियों को काफी पीछे छोड़ दिया है।
टीएमसी ने गोवा में पानी की तरह बहाए पैसे
न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक गोवा चुनाव में खर्च के मामले में 47.54 करोड़ रुपए लुटाकर ममता की टीएमसी सबसे आगे रही है। उसके बाद सत्ताधारी बीजेपी है। हालांकि, इसने मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की अगुवाई में अपनी टैली बेहतर करते हुए भी चुनाव खर्च के तौर पर टीएमसी से करीब एक-तिहाई यानी 17.75 करोड़ रुपए निकाले हैं। जबकि, कांग्रेस को लगता था कि वह 2017 के चुनाव में हुई चूक की भरपाई कर लेगी, लेकिन यह तो नहीं हो पाया, अलबत्ता उसकी जेब से भी 12 करोड़ रुपए जरूर ढीले हो गए।
आम आदमी पार्टी ने 23 उम्मीदवारों पर खर्च किए 3.5 करोड़ रुपए
लेकिन, जहां तक केजरीवाल की पार्टी आम आदमी पार्टी की बात है तो वह इस बार राज्य में लगातार दूसरी बार भाग्य आजमाने उतरी थी। उसने भी 3.5 करोड़ रुपए खर्च किए। वैसे उसने सिर्फ 23 उम्मीदवार उतारे थे। वहीं एनसीपी ने राज्य में सिर्फ 11 उम्मीदवारों को टिकट दिया था और चुनाव में खर्च के लिए हर उम्मदीवार को 25 लाख रुपए देने की बात कही है। मतलब पार्टी ने भी यहां 2.75 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। इसके अलावा भी पार्टी ने सेंट्रल फंड से चुनाव अभियान के लिए अलग से खर्च किए। वहीं महाराष्ट्र में इसकी सहयोगी शिवसेना ने भी राज्य में अपने 10 प्रत्याशियों को उतारा था और प्रचार अभियान में करीब 92 लाख रुपए खर्च कर डाले।
टीएमसी का एक भी उम्मीदवार नहीं जीता
सबसे मजेदार कहानी गोवा में टीएमसी की दिखती है। जिसने बंगाल की खाड़ी से लेकर अरब सागर के तट तक अपना जलवा बिखरने के उद्देश्य से गोवा में खूब जोर लगाया था। हाई-प्रोफाइल नेताओं से प्रचार करवाया था। 40 में से 23 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन, वोटरों ने उसके एक भी प्रत्याशी पर भरोसा नहीं जताया। जबकि, गोवा में इसकी सहयोगी बनकर उतरी महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी ने सिर्फ 13 सीटें लड़कर 2 पर जीत दर्ज कर ली।
कांग्रेस के 11 में से 8 एमएलए बीजेपी के हो गए
गोवा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने विपक्ष के मंसूबे से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया और 40 में से 20 सीटों पर जीत दर्ज की थी। यानी यहां तब इसके बिना किसी सरकार की कल्पना ही नहीं की जा सकती थी। बाद में एमजीपी के दो और तीन निर्दलीय विधायकों ने उसे समर्थन दिया और सरकार बन गई। लेकिन, इसी महीने की शुरुआत में कांग्रेस के 11 एमएलए में से विपक्ष के नेता माइकल लोबो और पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत समेत 8 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए हैं। इस तरह से बीजेपी के विधायकों की संख्या अब गोवा में 28 हो चुकी है।