जानिए कितना खतरनाक है पैन्क्रियाटिक कैंसर, जिससे जिंदगी की जंग हार गए मनोहर पर्रिकर
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नई दिल्ली। देश के रक्षामंत्री और गोवा के मुख्यमंत्री रहे मनोहर पर्रिकर का रविवार को निधन हो गया। अग्नाशय के कैंसर की बीमारी से जूझ रहे मनोहर पर्रिकर आखिरकार इस बीमारी से जंग हार गए। पिछले कई महीनों से वो इस बीमारी से जूझ रहे थे। तकलीफ और दर्द होने के बावजूद पर्रिकर ने मुख्यमंत्री होने के तमाम दायित्वों का निर्वाह किया। नाक में नली लगाकर भी वो तमाम काम करते रहे। वो सार्वजनिक जीवन में हमेशा सक्रिय रहे। अगर इस पैन्क्रियाटिक कैंसर की बात करें तो ये बेहद घातक बीमारी है। आइए जानें इस कैंसर के बारे में जिससे जिंदगी की जंग हार गए पर्रिकर....
क्या है पैन्क्रियाटिक कैंसर
पैन्क्रियाटिक कैंसर बेहद घातक बीमारी है। इस बीमारी में अग्नाशय में कैंसर युक्त कोशिकाओं का जन्म होने लगता है। अब तक देखने में आया है कि इस बीमारी की चपेट में सबसे ज्यादा 60 साल की उम्र के बाद लोग आते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस उम्र के बाद इंसान के डीएनए में कैंसर पैदा करने वाले बदलाव होते हैं। इतना ही नहीं ये बीमारी महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को ज्यादा होती है। अगर शख्स धूम्रपान या गुटका-पान मसाला आदि खाता है तो उसमें अग्नाशय कैंसर का खतरा 2 से 3 गुना अधिक बढ़ जाता है।
क्या है लक्षण
पैन्क्रियाटिक कैंसर को पहचानना भी मुश्किल हैं, क्योंकि क्योंकि इस बीमारी के लक्षण आपके शरीर में मौजूद तो होते हैं लेकिन आसानी से पकड़ में नहीं आते हैं। डॉक्टर भी कैसंर के ट्यूमर को आसानी से पकड़ नहीं पाते है। अधिकांश मामलों में जब तक ये कैंसर शरीर के दूसरे हिस्सों में नहीं पहुंच जाता इसे पकड़ पाना मुश्किल होता है। अगर लक्षण की बात करें तो पेट के ऊपरी भाग में दर्द, कमजोरी, वजन घटना, स्किन, आंख और यूरिन का रंग पीला होना आदि है।
कैसे रखें खुद को सुरक्षित
इससे बचने के लिए हेल्थ चेकअप कराते रहना जरूरी है। अधिक से अधिक फल और हरी सब्जियों के सेवन से इसका खतरा कम होता है। पैनक्रीएटिक कैंसर के उपचार के लिए ब्रोकर्ली को अच्छा समझा जाता है। इसका पता लगते ही फौरन स्पेशलिस्ट के पास पहुंचा और पूरा इलाज इसका एकमात्र इलाज है।