इस 'भूतिया' स्टेशन के आएंगे अच्छे दिन?
ये स्टेशन इतना विशाल था कि साल के हर दिन के लिए एक खिड़की बनाई गई थी
एक वक्त में ये दुनिया का सबसे धनी रेलवे स्टेशन था, जो फ्रांस-स्पेन बॉर्डर पर अपनी धाक जमाए हुए था. लेकिन फिर ये स्टेशन मरम्मत न होने के चलते खस्ता हाल में पहुंच गया.
क्रिस बोकमैन लिखते हैं कि अब स्टेशन के हालात बेहतर होंगे. आगे की कहानी, क्रिस की ज़ुबानी
स्पेन के कैनफ्रांक में जब ये स्टेशन बनाया गया, तब इसका निर्माण बड़े स्तर पर किया गया. पहली शर्त ये थी कि ये आधुनिक और विशाल होना चाहिए.
आर्किटेक्ट का सपना सच हुआ और इसे लोहे और शीशे के इस्तेमाल से काफी विशाल बनाया गया. इस स्टेशन में अस्पताल, रेस्त्रां और फ्रांस-स्पेन के कस्टम अधिकारियों के रहने के लिए घर की सुविधा भी शामिल थी.
तब इस कमाल के स्टेशन को नाम दिया गया- पहाड़ों का टाइटैनिक.
कितना बड़ा था ये स्टेशन?
- इस स्टेशन पर 365 खिड़कियां थीं. यानी साल के एक दिन के लिए एक खिड़की.
- स्टेशन में सैकड़ों दरवाज़े थे.
- प्लेटफॉर्म की लंबाई 200 मीटर से ज्यादा थी.
ऐसे में सवाल ये कि 500 लोगों की आबादी वाले गांव के पहाड़ पर स्थित इस स्टेशन के बेहतर दिन कभी आएंगे?
20वीं सदी की शुरुआत में स्पेन और फ्रांस ने पीरिन के पहाड़ों पर अंतरराष्ट्रीय व्यापारों और यातायात को बढ़ाना देने के लिए अपनी सरहदों को खोलने का प्रोजेक्ट शुरू किया था.
ये उस दौर में ऐतिहासिक और महत्वाकांक्षी योजना थी, जिसमें पहाड़ों पर दर्जनों ब्रिज और सुरंगें बनाई जानी थीं.
इस बाबत काम शुरू ही हुआ था कि इस काम में लगे फ्रांसीसी मज़दूरों को पहले विश्वयुद्ध में शामिल होने के लिए भेज दिया गया.
उद्घाटन के बाद नज़र आने लगी खामियां
ये स्टेशन स्पेन बॉर्डर की तरफ बनाया गया, लेकिन इसका एक प्लेटफॉर्म फ्रांस के सीमा क्षेत्र में आता है- ये कुछ विदेशी दूतावास जैसा मामला समझिए.
फ्रांसीसी पुलिस और कस्टम स्टाफ़ अपने बच्चों को गांव में मौजूद फ्रेंच पढ़ाए जाने वाले स्कूलों में अब भी भेजते हैं.
लेकिन 1928 में जिस दिन इस स्टेशन का उद्घाटन फ्रांसीसी राष्ट्रपति गैसटन डोमरग्यू और स्पेन के किंग अलफांसो XIII ने किया, इसके बाद से ही स्टेशन की खामियां भी नज़र आने लगी.
रेल गेज़ में फर्क था, ऐसे में यात्रियों को ट्रेनें बदलनी पड़ती थीं. इससे सामान ढुलाई में ज़्यादा वक्त लगने लगा. 1929 में वॉल स्ट्रीट क्रैश से भी इसे धक्का लगा.
सिर्फ 50 यात्री करते थे इस्तेमाल
1930 की शुरुआत में हर रोज़ यूरोप के इस दूसरे सबसे बड़े स्टेशन का इस्तेमाल सिर्फ़ 50 यात्री करते थे. बाद के दिनों में हालात बदतर होते गए.
स्पेन के गृहयुद्ध के दिनों में आदेश दिया गया कि स्पेन के तरफ वाली सुरंगों को सील किया जाएगा. ये कदम बागियों को हथियारों की स्मगलिंग करने से रोकने के चलते उठाया गया.
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जब अंतरराष्ट्रीय लाइन को फिर से खोला गया, तब ये रूट हज़ारों यहूदियों और सहयोगी सैनिकों के स्पेन भागने के काम आया.
कैनफ्रांको के मेयर फरनांदो सांचेज़ के पिता इस स्टेशन पर कस्टम अधिकारी थे. फरनांदो ने मुझे बताया, ये स्टेशन अलाइज सेनाओं के जासूसों के लिए अड्डा बन गया लेकिन जर्मन नागरिकों ने यूरोप से चुराए सोने को इधर-उधर ले जाने के लिए इस रेल लाइन का इस्तेमाल किया.
युद्ध के चलते बदतर हुए हालात
युद्ध के बाद फ्रांसीसियों की इस लाइन में दिलचस्पी नहीं रही, जिससे इस स्टेशन की हालत बिगड़ती गई.
1970 में फ्रांस की सीमा पर रेल के पटरी से उतरने पर हालत और बदतर हुए. स्पेनिश लोग उग्र थे. फरनांदो के मुताबिक, इस लाइन को बनाए रखने को लेकर एक अंतरराष्ट्रीय समझौता था और फ्रांसीसी लोगों पर इसे तोड़ने का आरोप है.
कैनफ्रांको की जनसंख्या जो स्टेशन के चलते दो हजार तक पहुंच गई थी, घटकर 500 हो गई.
वक्त बीतने के साथ इस स्टेशन की इमारत से बदबू आने लगी. रेलवे ट्रैक पर गंदगी बढ़ने लगी. दीवारों की पुताई से लेकर फर्श पर काई जमने लगी.
स्टेशन के आएंगे अच्छे दिन?
कुछ साल पहले अरेगोन की सरकार ने इस जगह को खरीदने और फिर से संवारने का फैसला किया है. बीते चार सालों में करीब एक लाख 20 हजार लोग यहां आ चुके हैं.
रेल लाइन के चालू होने दौर में यहां से गुजरे कुल यात्रियों की संख्या के मुकाबले ये बहुत बड़ा आंकड़ा है.
ज्यादातर टूरिस्टर स्पेन के हैं. ये यात्री स्टेशन के साइज को देखकर उत्साहित हो जाते हैं और शायद वो गर्व भी महसूस करते हैं.
अब यहां दिन में सारागोसा और कैनफ्रांको के बीच दो ट्रेनें चलती हैं.
सरकार की अगली प्लानिंग क्या है?
अरनांगो की सरकार अब इस स्टेशन को न सिर्फ होटल बनाने पर विचार कर रही है. बल्कि इसके बगल में एक नया होटल खोलने पर विचार किया जा रहा है.
इसके साथ ही इस रेलवे लाइव को फिर से री-लॉन्च किया जा सकता है. यहां के प्रेसिडेंट अलेन रूसेट ने बताया, इस लाइन को विकसित किया जाएगा. इसे वेस्टर्न ट्रांस-पीरिन लाइन कहा जाएगा. हम करीब 200 मिलियन यूरो का बजट रखने की कोशिश करेंगे.''
रूसेट ने कहा, ''इस प्लान को आगे बढ़ाने के चलते मुझे कई दुश्मन बनाने पड़े, पेरिस में कुछ नेता इसके बजाय मोटरवे विकसित करने के पक्ष में थे.''
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