दिसंबर तिमाही में GDP ग्रोथ 4.5% रहने का अनुमान, शुक्रवार को सरकार जारी करेगी आंकड़े
नई दिल्ली। आर्थिक मोर्चे पर पहले से ही सुस्ती झेल रही देश की अर्थव्यवस्था में फिलहाल सुधार होता नहीं दिख रहा है। सरकार दिसंबर में समाप्त तिमाही के जीडीपी के आंकड़े शुक्रवार को जारी करेगी। एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया है कि अक्टूबर- दिसंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 4.5 फीसदी पर स्थिर रहेगा। उनका कहना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण का असर अर्थव्यवस्था पर देखने को मिल सकता है।
एसबीआई के समूह की मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष का कहना है कि हमारा समग्र अग्रणी संकेतक (33 प्रमुख अग्रणी संकेतकों का सूचकांक) बताता है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि वित्त वर्ष 2014 की तीसरी तिमाही में 4.5 फीसदी पर सपाट रहेगी। इससे पहले सांख्यिकी कार्यालय ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 6.8 फीसदी के पिछले अनुमान के जीडीपी विकास दर घटा कर 6.1 फीसदी कर दी। साथ ही वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 5 फीसदी विकास दर रहने का अनुमान लगाया, जो पिछले 11 सालों में सबसे सुस्त रफ्तार है।
एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि औषधि समेत अन्य क्षेत्रों में आपूर्ति श्रृंखला से आर्थिक प्रभाव पड़ने की आशंका है। अर्थशास्त्रियों के अनुसार हांगकांग को कपास और हीरे जैसे जिंसों के सीधे निर्यात और वाहनों के कल-पुर्जे के अलावा सौर परियोजनाएं से जुड़े उपकरणों के आयात जैसे क्षेत्रों पर असर पड़ेगा। इसके अलावा एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए ग्रोथ रेट के अनुमान को संशोधित कर 4.7 फीसदी कर दिया है। इससे पहले 4.6 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान जताया गया था।
आरबीआई ने भी वित्त वर्ष 2020-21 के लिए विकास दर 6 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया है। अगले वित्त वर्ष की पहले छह महीने के दौरान ग्रोथ रेट 5.5-6.0 के बीच रहने का अनुमान है। इस महीने हुई मौद्रिक समीक्षा बैठक में आरबीआई ने ग्रोथ रेट 5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। वहीं रेटिंग एजेंसी फिच ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए विकास दर के 4.6 फीसदी रहने की संभावना जताई है। वहीं 2020-21 के लिए 5.6 फीसदी और 2021-22 के लिए 6.5 फीसदी का अनुमान जताया है। आईएमएफ ने अक्तूबर में भारत की 2019 की आर्थिक वृद्धि की दर को 6.1 फीसदी और 2020 में इसके सात फीसदी तक पहुंच जाने का अनुमान लगाया था।