गैंगस्टर आनंदपाल की बेटी बिगाड़ेगी महारानी के समीकरण? चुनाव लड़ने के हैं संकेत
नई दिल्ली। 2017 में राजस्थान पुलिस ने खूंखार गैंगस्टर आनंदपाल को एनकाउंटर में मार गिराया था। आनंदपाल की मौत के बाद पूरा राजस्थान सुलग उठा था। उसकी मौत राजस्थान में जातीय अस्मिता का सवाल बना। सरकार और राजपूत समाज के बीच टकराव हो गया, मामला जैसे तैसे कुछ शांत हुआ लेकिन समाज के लोगों में एनकाउंटर को लेकर नाराजगी अब तक जारी है। अब यही नाराजगी बीजेपी के लिए आने वाले राजस्थान के विधानसभा चुनाव में मुश्किल पैदा कर सकती है ऊपर से अगड़ी जातियां एससी/एसटी एक्ट को लेकर भी बीजेपी से नाराज हैं। सूत्रों के हवाले से खबर है कि डीडवाना विधानसभा क्षेत्र से आनंदपाल की बेटी चुनाव मैदान में उतर सकती हैं। अगर ऐसा हुआ तो इस इलाके में बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी।
आंनदपाल के एनकाउंटर के बाद राजपूत समाज के दवाब के चलते वसुंधरा सरकार को मामला सीबीआई को सौंपना पड़ा था। लेकिन समाज में इस एनकाउंटर को लेकर नारजगी बरकरार है। अब अगर आनंदपाल की बेटी चुनाव लड़ती हैं तो इलाके में पार्टियों के चुनावी समीकरण बदल सकते हैं। कहा जा रहा है कि आनंदपाल सिंह की बेटी नागौर की डीडवाना विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ सकती है। सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर चर्चा है। साथ ही ये भी खबरें हैं कि एक सुरक्षा एजेंसी ने भी राजस्थान सरकार को अपनी रिपोर्ट में आनंदपाल की बेटी के विधानसभा चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं।
वसुंधरा से नाराज राजपूत
अगर
आनंदपाल
की
बेटी
चुनाव
लड़ती
है
तो
बीजेपी
के
लिए
डीडवाना
क्षेत्र
से
चुनाव
जीतना
मुश्किल
हो
सकता
है।
साथ
ही
डीडवाना
का
असर
दूसरी
सीटों
पर
भी
पड़
सकता
है।
राजपूत
पहले
से
वसुंधरा
राजे
से
नाराज
चल
रहे
हैं।
बीजेपी
आलाकमान
केंद्रीय
मंत्री
और
जोधपुर
से
सांसद
गजेंद्र
सिंह
शेखावत
को
राजस्थान
बीजेपी
का
अध्यक्ष
बनाना
चाहता
था
लेकिन
वसुंधरा
के
विरोध
के
चलते
शेखावत
का
पत्ता
कट
गया।
इसके
अलावा
जोधपुर
के
समरऊ
की
घटना
को
लेकर
भी
राजपूतों
में
गुस्सा
है।
जहां
राजपूत
समुदाय
के
लोगों
के
घर
कथित
तौर
पर
जाट
समुदाय
के
लोगों
ने
जला
दिए
थे।
राजपूत
समुदाय
का
कहना
है
कि
आरोपियों
के
खिलाफ
कार्रवाई
नहीं
की
गई।
उधर
बीजेपी
के
वरिष्ठ
नेता
जसवंत
सिंह
के
बेटे
मानवेंद्र
सिंह
भी
पार्टी
से
नाराज
चल
रहे
हैं।
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डीडवाना से इस वक्त यूनुस खान बीजेपी के विधायक हैं। 2003 में पहली बार बीजेपी ने डीडवाना सीट कांग्रेस से छीनी थी। यूनुस खान ने कांग्रेस के तत्कालीन विधायक रूपाराम डूडी को हराया था। 2008 में यूनुस खान रूपाराम डूडी से हार गए थे लेकिन एक बार फिर 2013 के चुनाव में यूनुस खान ने बाजी मारी। यूनुस खान इस वक्त राजस्थान के पीडब्यूडी और परिवहन मंत्री हैं। ऐसे में अगर आनंदपाल की बेटी इस सीट से चुनाव लड़ती है तो मंत्री जी के लिए सीट बचाना मुश्किल हो जाएगा।
बना हुआ है सस्पेंस
कुछ महीनों पहले खबर थी की आनंदपाल की मां नर्मला कंवर भी विधानसभा चुनाव लड़ सकती हैं। आंनदपाल एनकाउंटर को फर्जी बताने वाले ही कुछ संगठन उन्हें चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी में थे। लेकिन निर्मला कंवर की तरफ से इसकी पुष्टि नहीं की गई। इससे पहले अजमेर लोकसभा उपचुनाव में भी नर्मला कंवर को उतारने की बात चली थी। अजमेर लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने बाजी मारी थी। अब देखना होगा की क्या वाकई ही आनंदपाल की बेटी चुनाव मैदान में उतरती हैं या फिर बीजेपी राजपूत समाज को मनाने में कामयाब रहती है।
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