रहस्यमयी मौतों से बाबा रामदेव का कनेक्शन, यह किताब मचाएगी बवाल
नई दिल्ली। योग गुरू बाबा रामदेव पर लिखी नई किताब 'गौडमैन टू टाइकून' को लेकर बवाल मच सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस किताब में बाबा रामदेव के वो राज खोले गए हैं जो शायद पतंजलि के समर्थकों को स्वीकार न हो। हालांकि किताब की लेखक प्रियंका पाठक नारायण ने इस बात की आशंका जाहिर की है कि जिस तरह धीरूभाई अंबानी की जिंदगी पर लिखी किताब 'द पोलियस्टर प्रिंस' देश के बुक स्टॉल्स से गायब हो गई, उसी तरह बाबा रामदेव पर लिखी गई यह किताब भी बाजार से गायब कर दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि प्रियंका एक अंग्रेजी पत्रकार हैं और कई सालों से बाबा रामदेव पर रिसर्च कर रही हैं। तो आइए किताब में किए गए उन खुलासों के बारे में आपको बताते हैं।
जिस गुरु से गुण सीखते बाबा रामदेव वो हो जाता गायब
एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में प्रियंका ने कहा कि इस किताब के लिए सबूत जुटाते वक्त उन्हें ऐसा महसूस हुआ किया कि हादसे बाबा का लगातार पीछा कर रहे थे। उनके फर्श से अर्श तक पहुंचने के सफर में हादसों का अहम किरदार है। न जाने क्यों जिस गुरु से बाबा रामदेव कुछ भी गुण सीखते वो ही गुरु उनकी अद्भुत जीवन यात्रा से गायब हो जाता।
रहस्यमय परिस्थितियों में हमेशा के लिए लापता हुए गुरु शंकर देव
प्रियंका ने अपने किताब में इस घटना का जिक्र किया है। किताब के मुताबिक बाबा रामदेव के 77 वर्षीय गुरु शंकर देव एक दिन गए अचानक सुबह सैर करते वक्त गायब हो गए। गुरु शंकर देव ने ही हरिद्वार में बाबा रामदेव को दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट और उसकी अरबों रूपए की जमीने दान की थीं। जिस वक्त (जुलाई 2007) गुरु शंकर गायब हुए उस वक्त बाबा रामदेव ब्रिटेन यात्रा पर थे। प्रियंका ने किताब में लिखा है कि इतने बड़े हादसे के बावजूद बाबा ने विदेश यात्रा बीच में नहीं रोकी। वो दो महीने बाद स्वदेश लौटे।
अबतक नहीं मिला है गुरु शंकर देव का सुराग
मामले में गुमशुदगी का मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस भी छानबीन में आनाकानी करती रही। पांच साल तक जब कोई सुराग नहीं मिला तो साल 2012 में जांच सीबीआई को सौंप दी गई। इस मामले में अबतक जांच जारी है पर गुरु शंकर देव के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं मिल सकी है।
स्वमी योगानंद की रहस्यमयी मौत
आयुर्वेद के जाने-माने वैद्य स्वामी योगानंद और बाबा रामदेव अच्छे मित्र हुआ करते थे। लेकिन जिन परिस्थितियों में स्वामी योगानंद की मौत हुई वो कम रहस्यात्मक नहीं है। स्वामी योगानंद ने ही बाबा को आयुर्वेद दवा बनाने का लाइसेंस 1995 में उपलब्ध कराया था। बाबा रामदेव 8 वर्षों तक योगानंद के लाइसेंस पर ही आयुर्वेद की दवा का उत्पादन करते रहे। 2003 में बाबा रामदेव ने योगानंद के साथ साझेदारी खत्म की। साल भर बाद योगानंद का शव उनके घर में खून से लथपथ मिला। 2005 में हत्या की जांच बंद कर दी गयी।
बाबा के स्वेदेशी आंदोलन के पथ प्रदर्शक की रहस्मय मौत
प्रियंका पाठक ने अपनी किताब में बाबा से जुड़े हर रहस्य का उधाड़ा है। किताब में संजीव दीक्षित के रहस्मय मौत का भी जिक्र है। आपको बता दें कि बाबा रामदेव को आयुर्वेद के व्यापर से लेकर स्वदेशी के नारे तक का रास्ता राजीव दीक्षित ने दिखाया था। सीधे शब्दों में कहें तो आज बाबा रामदेव का बिजनेस जिस तरह व्यापक रूप में खड़ा है उसका ब्लूप्रिंट संजीव दीक्षित ने ही तैयार किया था।
बाथरूम में हुई दीक्षित की रहस्यमय मौत
बाबा रामदेव के साथ एक राजनैतिक दल गठित करने वाले दीक्षित 2010 में एक कार्यक्रम कर रहे थे। तभी बाथरूम में उनकी मौत हो गयी। ऐसा कहा गया की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी। अगले दिन दीक्षित के चेहरे का जब रंग बदलने लगा तो कार्यकर्ताओं ने लिखित रूप से दीक्षित के शव का पोस्टमॉर्टेम करने को कहा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और दीक्षित का दह संस्कार कर दिया गया।
सच या तो रामदेव जानते हैं या बालकृष्ण
प्रियंका ने एक अंग्रेजी वेबसाइट को दिए साक्षात्कार में कहा हैं कि बाबा के अरबों रुपये के साम्रज्य में ऐसी अनेक कथाएं दबी पड़ी हैं जिनके बारे या तो रामदेव जानते हैं या उनके सहयोगी बालकृष्ण।
नोट- इस बात में कितनी सच्चाई है, इसका दावा वनइंडिया नहीं करता है। हमने आपके सामने सिर्फ उन्हीं बातों को रखा है जिसका जिक्र किताब 'गौडमैन टू टाइकून' में है।