अजित डोवाल-हिन्दुस्तान का जेम्स बांड फिर से मिशन पर वापस
डोवाल जो कि अटल बिहारी वाजपेई के काफी भरोसेमंद माने जाते थे, अब प्रधानमंत्री मोदी के लिए भी काफी खास हो गए हैं। नरेंद्र मोदी की ओर से बतौर अगले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार उनके नाम पर अंतिम मोहर लगा दी गई है। डोवाल जिस तरह से अपने इंटेलीजेंस ऑपरेशंस को अंजाम देते थे, उसकी वजह से उन्हें कुछ लोगों ने भारत का जेम्स बांड तक करार देना शुरू कर दिया था।
एनडीए
का
अहम
हिस्सा
इस
बात
की
तो
सुगबुगाहट
पहले
से
ही
थी
कि
डोवाल
ही
देश
के
अगले
राष्ट्रीय
सुरक्षा
सलाहकार
होंगे,
लेकिन
आखिरकार
शुक्रवार
को
उनकी
नियुक्ति
कर
दी
गई।
डोवाल जनवरी 2005 से ही सेवा में नहीं हैं और वह दिल्ली स्थित विवेकानंद इंटरनेशल फाउंडेशन यानी वीआईएफ के प्रमुख के तौर पर अपनी सेवाएं देश को देते आ रहे हैं। 69 वर्षीय डोवाल को इंटेलीजेंस और कोवर्ट ऑपरेशंस की दुनिया में लीजेंड करार दिया जाता है।
वर्ष 2005 में जब यूपीए केंद्र में थी तो उन्हें बतौर इंटेलीजेंस ब्यूरों के निदेशक पद से रिटायर कर दिया गया। डोवाल उस समय भी देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे जिस समय केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई की अगुवाई वाली एनडीए सरकार का शासन था।
बाद में वर्ष 2004 में जब यूपीए की सरकार बनी तो उन्हें जनवरी 2005 में आईबी के निदेशक पद से सेवानिवृत्त कर दिया गया था।
आतंक
के
सरगना
परेशान
डोवाल
की
नियुक्ति
से
पाक
में
भी
हलचल
मच
गई
है।
विशेषज्ञों
के
मुताबिक
डोवाल
की
नियुक्ति
शायद
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
की
उस
योजना
का
हिस्सा
है
जो
उन्हें
पाक
समर्थित
आतंकवाद
से
निबटने
के
लिए
तैयार
की
है।
उनकी नियुक्ति के बाद से पाक में मौजूद दाऊद इब्राहीम, हाफिज सईद और सैयद सलाउद्दीन जैस आतंक के सरगनाओं को सिरदर्द होना लाजिमी है क्योंकि डोवाल हमेशा ही आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के समर्थक रहे हैं।
इसके अलावा डोवाल अपने कई इंटरव्यू में यूपीए सरकार की ओर से पिछले 10 वर्षों में आतंकियों के खिलाफ की गई कार्रवाई पर सवाल उठा चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने हमेशा ही अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम के खिलाफ सख्त कार्रवाई का समर्थन भी किया है।
मिजोरम
में
लौटी
शांति
80
के
दशक
में
जिस
समय
देश
के
नॉर्थ-ईस्ट
में
स्थित
खूबसूरत
राज्य
मिजोरम
में
मिजो
नेशनल
फ्रंट
केंद्र
सरकार
की
नीतियों
से
खफा
होकर
देश
के
खिलाफ
कई
तरह
की
गतिविधियों
में
शामिल
हो
गया।
इसके कई सदस्य अंडरग्राउंड होकर राज्य में अशांति फैलाने लगे। डोवाल ने उस समय इस संगठन के आधे से ज्यादा टॉप कमांडरों को इससे अलग कर दिया। टॉप कमांडरों के अलग होने के बाद इस संगठन की कमर ही टूट गई है।
संगठन के नेता लालदेंगा ने शांति की अपील की और जुलाई 1986 में मिजो संगठन ने सुलह कर ली। इसके साथ ही करीब 20 वर्षों से राज्य में जो अशांति का माहौल जारी था वह डोवाल की एक पहल पर खत्म हो सका।
पाक
एजेंट
बनकर
दाखिल
हुए
स्वर्ण
मंदिर
में
लेकिन
डोवाल
के
कई
मिशन
अभी
तक
बाकी
थे।
80
के
आखिरी
दशकों
में
पंजाब
में
आतंकवाद
चरम
पर
था
और
किसी
को
कुछ
समझ
ही
नहीं
आ
रहा
था
कि
आखिर
किया
क्या
जाए।
उसी
समय
अजित
डोवाल
ने
एक
ऐसी
चाल
चली
जिसका
अंदाजा
किसी
ने
नहीं
लगाया
था।
डोवाल अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में दाखिल हुए। इस दौरान उन्होंने खुद को एक आतंकी के तौर पर पेश किया। वर्ष 1986 में जब ऑपरेशन ब्लैक थंडर को अंजाम दिया गया तो उसमें करीब 300 सिख आतंकियों को मंदिर के परिसर से गिरफ्तार किया गया था।
लेकिन इससे पहले ही डोवाल ने कई अहम जानकारियां पाकिस्तानी एजेंट बनकर जुटा ली थीं।
कंधार
हाइजैक
समस्या
सुलझाने
में
अहम
रोल
1968
बैच
के
केरल
कैडर
के
आईपीएस
अफसर
डोवाल
ने
काफी
खतरनाक
हालातों
में
पाकिस्तान
का
दौरा
किया
था।
यह
किसी
भी
इंटलीजेंस
अफसर
के
करियर
के
लिए
सबसे
प्रतिष्ठित
प्रोजेक्ट्स
में
से
एक
माना
जाता
है।
डोवाल
को
उनके
स्वर्ण
मंदिर
वाले
ऑपरेशन
के
लिए
सर्वोच्च
गैलेंट्री
अवॉर्ड
कीर्ति
चक्र
से
सम्मानित
किया
जा
चुका
है।
कश्मीर में उन्होंने कई खतरनाक आतंकियों जैसे कूक्के पैरे का सफाया किया। उनकी कुछ नीतियों की उनके सहयोगियों ने अलोचना भी की है लेकिन उन्हें तारीफ भी खूब मिली है।
उनके 37 वर्ष के कार्यकाल के दौराल उन्होंने दिसंबर 1999 में इंडियन एयरलांइस की फ्लाइट आईसी 814 को आतंकियों के चंगुल से छुड़ाने में एक अहम रोल अदा किया था।