तो क्या अब महंगा हो जाएगा एम्स दिल्ली में इलाज कराना?
इससे पहले AIIMS में सुविधाओं का शुल्क 20 साल पहले बढ़ाए गए थे। 2010 में इस तरह का प्रस्ताव लाया गया था लेकिन उसका बड़े स्तर पर विरोध किया गया था।
नई दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान या एम्स (AIIMS) से वित्त मंत्रालय ने कहा है कि वो ओपीडी परामर्श, प्रयोगशाला परीक्षण, इमेजिंग सेवाओं और दूसरों के लिए कमरे के किराए की समीक्षा करे ताकि संस्थान के गैर-योजना व्यय को पूरा किया जा सके।
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार प्रशासनिक मामलों के सह निदेश वी श्रीनिवास ने इस बात की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि 20 साल 1996 में AIIMS के यूजर चार्जेस की समीक्षा की गई थी। अखबार के अनुसार श्रीनिवास ने कहा कि आखिरी समीक्षा वर्ष 1996 में हुई थी। इसके बाद संस्थान के खर्चे बढ़ते गए। खास तौर से कर्मचारियों का वेतन, परिवहन व्यय और प्रयोग में लाई जाने वाली वस्तुओं के दाम में बढ़ोत्तरी हुई।
इस विषय पर हुई बैठक
अखबार के मुताबिक सूत्रों का कहना है कि हाल ही में संस्थान के निदेशक की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें कहा गया कि सेवा शुल्कों में बढ़ोत्तरी जरूरी है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार डाइअग्नास्टिक टेस्ट्स, जैसे सिटी स्कैन या एमआरआई के शुल्क नाम मात्र है। हालांकि 30 से 40 फीसदी मामलों में डॉक्टरों की ओर से यह माफ कर दी जाती है। साथ ही कई अन्य जाचों के शुल्क 10 से 25 रुपए तक ही सीमित हैं। हम इन शुल्कों की समीक्षा करने जा रहे हैं।
बता दें कि फिलहाल एम्स को यूजर चार्जेस से करीब 100 करोड़ रुपए मिल रहे हैं। हालांकि इससे पहले भी ऐसे प्रस्ताव आए थे लेकिन कुछ फैकेल्टी मेंबर्स और राजनीतिक दलों के विरोध की वजह वो योजना में नहीं लाए जा सके थे। साल 2010 में भी ऐसा प्रस्ताव लाया गया था। इसके लिए फैकेल्टी मेंबर्स को स्टडी फॉर डिटरमिनेशन ऑफ यूजर चार्जेस के नाम से एक सर्कुलर दिया था लेकिन विरोध को देखते हुए इसे रद्द कर दिया गया था।
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