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26 जनवरी को नजर आने वाले इंडियन आर्मी डॉग स्‍क्‍वॉयड के बारे में खास बातें

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नई दिल्‍ली। 26 जनवरी को जब राजधानी के राजपथ पर आप गणतंत्र दिवस की परेड के दौरान देश की सेनाओं की ताकत और देश की संस्‍कृति से रूबरू हो रहे होंगे तो आपको एक और नजारा देखने को मिलेगा।

इस दिन आपको भारतीय सेना के डॉग स्‍क्‍वॉयड से रूबरू होने का मौका भी मिलेगा। आपको उन बेजुबान नजर आने वाले जाबांज की ताकत भी नजर आएगी जो पिछले कई वर्षों से सेना और देश की सेवा में अपना योगदान दे रहे हैं।

26 वर्ष के बाद परेड में डॉग स्‍क्‍वॉयड को शामिल करने का फैसला चार वर्ष की लैब्राडोर मानसी के निधन के बाद लिया गया। मानसी की मौत पिछले वर्ष जम्‍मू कश्‍मीर के तंगधार जिले में आतंकियों के साथ लड़ते समय हो गई थी। मानसी के साथ उसका हैंडलर बशीर अहमद भी इस हादसे में मार दिए गए थे।

आइए आपको भारतीय सेना की डॉग स्‍क्‍वायड से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में बताते हैं। आपके लिए इन तथ्‍यों का जानना इसलिए भी जरूरी है ताकि आप इस डॉग स्‍क्‍वॉयड की मेहनत और उनके समर्पण को जान सकें।

लैब्राडोर से लेकर जर्मन शेफर्ड तक

लैब्राडोर से लेकर जर्मन शेफर्ड तक

भारतीय सेना के डॉग स्‍क्‍वॉयड में 1,200 लैब्राडोर्स, बेल्जियन शेफर्ड और जर्मन शेफर्ड शामिल हैं। इस वर्ष 26 जनवरी के लिए करीब 36 डॉग्‍स को परेड के लिए चुना गया है।

मेरठ में है ट्रेनिंग इंस्‍टीट्यूट

मेरठ में है ट्रेनिंग इंस्‍टीट्यूट

डॉग स्‍क्‍वॉयड में शामिल डॉग्‍स को उत्‍तर प्रदेश के मेरठ जिले में स्थित रेमाउंट एंड वेटनेरी कॉर्प्‍स सेंटर एंड कॉलेज में ट्रेनिंग मिलती है। इस इंस्‍टीट्यूट की स्‍थापना एक मार्च 1960 को गई थी।

क्‍या क्‍या शामिल होता है ट्रेनिंग में

क्‍या क्‍या शामिल होता है ट्रेनिंग में

इन डॉग्‍स के साथ ही कॉलेज में इनके मास्‍टर्स को भी ट्रेनिंग मिलती है। इन डॉग्‍स को एक्‍सप्‍लोसिव्‍स का पता लगाने, नशीले पदार्थ, माइंस, गंध का पता लगाने के साथ ही सुरक्षा और आक्रमण की ट्रे‍निंग दी जाती है।

क्‍या कहता है सिद्धांत

क्‍या कहता है सिद्धांत

डॉग स्‍क्‍वॉयड और कॉर्प्‍स के सदस्‍य एक सिद्धांत का अनुसरण जिंदगी भर करते हैं। यह सिद्धांत है, 'पशु सेवा अस्‍मांक धर्म,' यानी 'पशुओं की सेवा करना ही मेरी नियति है।'

शौर्य चक्र और सेना मेडल से होते हैं सम्‍मानित

शौर्य चक्र और सेना मेडल से होते हैं सम्‍मानित

डॉग स्‍क्‍वायड्स में शामिल डॉग्‍स और उनके ट्रेनर्स को शौर्य चक्र, छह सेना मेडल, सेना प्रमुख की ओर से 142 कमंडेशन कार्ड्स, छह उप सेना प्रमुख की ओर से कमंडेशन कार्ड्स और ऐसे कई सम्‍मानों से सम्‍मानित किया जा चुका है।

दे रहे हैं अपनी सेवाएं

दे रहे हैं अपनी सेवाएं

इंडियन आर्मी का डॉग स्‍क्‍वॉयड इंडियन टेरीटोरियल आर्मी का हिस्‍सा है। इनका प्रयोग मुख्‍यत: बमों का पता लगाने, माइंस और छिपे हुए स्‍थानों का पता लगाना है।

सुप्रीम कोर्ट ने लगाया बैन

सुप्रीम कोर्ट ने लगाया बैन

किसी समय में सेना में ऐसा चलन था कि उन डॉग्‍स को शूट कर दिया जाता था जो सर्विस के लिए अनफिट होते थे। लेकिन कई एनजीओज और आम जनता की ओर से साइन एक पीआईएल के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे बैन कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्‍ली हाई कोर्ट को आदेश दिया कि वह रिटायर्ड डॉग्‍स के पुर्नविस्‍थापन के लिए एक सिस्‍टम बनाए।

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English summary
Few facts about you should know about Indian army dogs. On this republic day Indian Army Dog Squad will be seen on Rajpath after 26 years.
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