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तलाक के मुकदमे के बीच उसी पति के दूसरे बच्चे की मां बनना चाहती है महिला डॉक्टर, हाई कोर्ट ने ये कहा

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नई दिल्ली- बॉम्बे हाई कोर्ट के पास एक ऐसा मामला आया है, जिसमें पति-पत्नी तीन साल से अलग-अलग रह रहे हैं। दोनों पेशे से डॉक्टर हैं। पत्नी ने पति के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस दायर कर रखा है तो पति ने पत्नी के खिलाफ तलाक का मुकदमा दायर कर रखा है। दोनों का 6 साल का एक बेटा भी है। लेकिन, अब डॉक्टर पत्नी अपने उसी पति के दूसरे बच्चे की भी मां बनना चाहती है। फैमिली कोर्ट ने उस पति को अपनी बीवी की ख्वाहिश पूरी करने का आदेश भी दे दिया था। लेकिन, बॉम्बे हाई कोर्ट ने उस आदेश को रद्द कर दिया है।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट का फैसला पलटा

बॉम्बे हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट का फैसला पलटा

बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक फैमिली कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने एक सर्जन को उससे अलग रह रही पत्नी से दूसरा बच्चा पैदा करने का आदेश दिया था। अपने आदेश में हाई कोर्ट ने इस बात की भी आशंका जताई है कि इस तरह की बिगड़ी हुई शादी की वजह से पहले बच्चे के मानसिक विकास पर भी बुरा असर पड़ा होगा। इसीलिए हाई कोर्ट ने कहा कि, 'यह अदालत आंखें मूंदे नहीं रख सकती और पैदा होने वाले संभावित बच्चे के भविष्य के प्रति असंवेदनशील नहीं रह सकती, जिसके बारे में न तो दंपति में से किसी ने सोचा और न ही फैमिली कोर्ट ने इसको ध्यान में रखा है।' अदालत ने ये भी कहा कि किसी भी ओर से ऐसा एक भी उदाहरण पेश नहीं किया गया, जहां किसी पत्नी या पति को ऐसे मामले में एक-दूसरे को गर्भधारण की गुजारिश किसी कोर्ट ने मंजूर की हो।

फैमिली कोर्ट ने पति को दिया था दूसरा बच्चा पैदा करने का आदेश

फैमिली कोर्ट ने पति को दिया था दूसरा बच्चा पैदा करने का आदेश

सर्जन पति और उसकी डॉक्टर पत्नी की शादी 2010 में घर वालों की मर्जी से हुई थी। इनका 6 साल का एक बेटा भी है। लेकिन, 2016 से दोनों अलग-अलग रह रहे हैं। पति मुंबई में रहते हैं और पत्नि नांदेड़ में रहती हैं। पत्नी ने एक फैमिली कोर्ट में अर्जी दे रखी है कि वह उसे उसके अलग रह रहे पति के साथ ही रहने का निर्देश जारी करे। जबकि, पति ने दूसरे फैमिली कोर्ट में तलाक का मुकदमा दायर कर रखा है। महिला ने फैमिली कोर्ट से कहा था कि अगर उसे पति के साथ रहकर दूसरे बच्चे के लिए गर्भधारण करने की मंजूरी मिल जाती है तो वह पति पर दर्ज घरेलू हिंसा का केस वापस ले लेगी। अपनी याचिका में उसने कहा था कि वह अपने बेटे को अकेले नहीं रहने देना चाहती, इसीलिए उसे दूसरा बच्चा भी चाहिए। नांदेड़ के फैमिली कोर्ट ने पत्नी की गुजारिश मान ली और उसके पति को आईवीएएफ तकनीक के जरिए दूसरा बच्चा पैदा करने का आदेश जारी कर दिया। यहां तक कि उसने इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए एक गायनेकोलॉजिस्ट की अप्वाइंटमेंट तक फिक्स कर दी।

हाई कोर्ट ने फैसले में बेहद गंभीर टिप्पणियां की हैं

हाई कोर्ट ने फैसले में बेहद गंभीर टिप्पणियां की हैं

उस महिला के सर्जन पति ने नांदेड़ फैमिली कोर्ट के इसी आदेश के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। अपनी अर्जी में महिला के पति ने कहा कि वह उस औरत के साथ कोई संबंध नहीं रखना चाहता, जिसने उस पर खुद उसी की मां के साथ शारीरिक रिश्ते रखने जैसे आरोप तक लगाए थे। सर्जन पति की इसी याचिका पर हाई कोर्ट फैमिली कोर्ट के आदेश को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। निचली अदालत के आदेश पर हैरानी जताते हुए हाई कोर्ट ने टिप्पणी की है कि यह उसके न्यायिक विवेक पर सवाल खड़े करता है। महिला की ओर से यह भी कहा गया था कि अगर उसकी गुजारिश मान ली जाती है तो वह पति से मेंटेनेंस भी नहीं मांगेगी और न ही बच्चे पर होने वाला खर्च उठाने को कहेगी। इसपर हाई कोर्ट ने कहा कि बच्चे का विकास पैसों पर नहीं परिवार पर निर्भर करता है। अदालत ने दो टूक कहा कि बच्चे का शारीरिक और मानसिक दोनों विकास पारिवारिक व्यवस्था पर निर्भर करता है, यह उसके एक इंसान बनने और हर तरह से सक्षम बनने के लिए ज्यादा आवश्यक है।

'ऐसे बच्चों के मानसिक विकास पर असर पड़ता है'

'ऐसे बच्चों के मानसिक विकास पर असर पड़ता है'

हाई कोर्ट ने महिला डॉक्टर के मौजूदा बच्चे का हवाला देते हुए कहा कि उसने खुद स्वीकार किया है कि पति से विवाद होने की वजह से उसके बेटे से उसके ससुराल वाले उसका हालचाल तक नहीं पूछते हैं, जिसकी वजह से वह उपेक्षित महसूस करता है। अदालत ने कहा जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होगा और उसे सब चीजों के बारे में पता चलेगा कि वह किन परिस्थितियों में धरती पर लाया गया है तो उसके मानसिक विकास पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। लेकिन, लोग अक्सर ये नहीं समझ पाते कि उनकी वजह से उनके बच्चों पर क्या गुजरने वाला है। कोर्ट ने यहां तक टिप्पणी की है कि अगर बच्चा शारीरिक रूप से पूरी तरह विकसित भी हो जाए, लेकिन उस पर पड़े मानसिक दुष्प्रभावों की कल्पना करना भी असंभव है।

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English summary
Female doctor wants to be mother of second child of same husband amid divorce case, Bombay High Court said no
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