ओडिशा में अस्पताल ने नहीं दी एंबुलेंस, बेटी की लाश को 15 किमी तक पैदल ले गया शख्स
जिले के कलेक्टर अनिल कुमार समल ने इसकी जांच के आदेश दिए। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट के आधार पर सिक्योरिटी गार्ड और जूनियर हॉस्पिटल मैनेजर को सस्पेंड कर दिया गया।
भुवनेश्वर। ओडिशा में एक बार फिर दाना मांझी जैसी स्थिति देखने को मिली है। अस्पताल की उदासीनता की वजह से एक शख्स को अपनी बेटी की लाश कंधे पर रखकर ले जाने को मजबूर होना पड़ा। बेटी की लाश को वह 15 किलोमीटर तक कंधे पर रखकर ले गया। उसे शव ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली। पिछली घटना के बाद ओडिशा सरकार ने दावा किया कि वे महाप्रयाण योजना को बेहतर बनाएगी ताकि अस्पताल से शवों को घर ले जाने में मदद मिल सके लेकिन इस वादे की पोल खुल गई।
अस्पताल
ने
नहीं
सुनी
एक
बात
घटना
ओडिशा
के
अंगुल
में
चार
जनवरी
को
घटी।
पीड़ित
गति
धीबर
अपनी
सात
साल
की
बेटी
का
इलाज
कराने
अस्पताल
पहुंचा
था।
बेटी
की
मौत
होने
पर
उसने
शव
को
घर
ले
जाने
के
लिए
एंबुलेंस
की
मांग
की
थी
लेकिन
अस्पताल
प्रशासन
ने
उस
पर
कोई
ध्यान
नहीं
दिया।
अस्पताल
से
काफी
निवेदन
के
बाद
भी
जब
एंबुलेंस
नहीं
मिली
तो
वह
बेटी
की
लाश
को
कंधे
पर
लेकर
चल
पड़ा।
उसके
साथ
उसकी
पत्नी
भी
थी।
वे
दोनों
जब
पैदल
घर
जा
रहे
थे
तभी
मीडिया
के
कुछ
लोगों
की
नजर
उन
पर
पड़ी।
पढ़ें: दाना मांझी के बाद अब बेटे ने ट्रॉली-रिक्शा पर 4 किलोमीटर तक ढोया मां का शव
कलेक्टर
ने
दिए
जांच
के
आदेश
मामला
सामने
आया
तो
जिले
के
कलेक्टर
अनिल
कुमार
समल
ने
इसकी
जांच
के
आदेश
दिए।
उन्होंने
बताया
कि
रिपोर्ट
के
आधार
पर
सिक्योरिटी
गार्ड
और
जूनियर
हॉस्पिटल
मैनेजर
को
जिम्मेदार
पाया
गया
और
उन्हें
सस्पेंड
कर
दिया
गया
है।
इसके
अलावा
सब-डिविजनल
मेडिकल
ऑफिसर
(SDMO)
से
भी
जवाब
तलब
किया
गया
है।'
कलेक्टर
ने
बताया
कि
जवाब
मिलने
के
बाद
जरूरी
एक्शन
लिया
जाएगा।
कुछ
मीडिया
रिपोर्ट्स
में
यह
भी
दावा
किया
गया
है
कि
बच्ची
की
लाश
कंधे
पर
उठाकर
ले
जाने
वाला
शख्स
उसका
चाचा
था।
क्योंकि
उसके
पिता
बाहर
थे।
पढ़ें: बीवी की लाश ढोने वाले ओडिशा के दाना मांझी को बहरीन के प्रिंस ने दिए 9 लाख रुपए
बीते
साल
सामने
आया
था
दाना
मांझी
का
केस
बता
दें
कि
बीते
साल
अगस्त
में
ओडिशा
के
भवानीपटना
स्थित
एक
अस्पताल
में
दाना
मांझी
की
पत्नी
अमांग
की
मौत
हो
गई
थी।
दाना
मांझी
ने
अपनी
पत्नी
की
लाश
को
घर
ले
जाने
के
लिए
एंबुलेंस
मांगी
लेकिन
अस्पताल
ने
मना
कर
दिया।
आखिर
में
वह
पत्नी
की
लाश
को
कंधे
पर
लेकर
निकल
पड़ा
और
12
किलोमीटर
तक
पैदल
ही
चलता
रहा।
साथ
में
उसकी
बेटी
भी
थी
जो
सारे
रास्ते
रोए
जा
रही
थी।