Farmers protest: राष्ट्रपति से मिले विपक्ष के नेता, कहा- अलोकतांत्रिक तरीके लाए गए कृषि कानून वापस लिए जाएं
नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से लाए गए नए कृषि कानूनों को लेकर विपक्ष के नेताओं ने आज (9 दिसंबर) राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की है। इन कानूनों को लेकर भारी विरोध प्रदर्शन के बीच राष्ट्रपति से मिलने के बाद विपक्ष के नेताओं ने कहा कि हमने राष्ट्रपति से मिलकर उनको हालात की जानकारी दी है और नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है। राष्ट्रपति से मिलने वाले विपक्षी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राकांपा प्रमुख शरद पवार, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी समेत पांच नेता शामिल थे।
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राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद सीताराम येचुरी ने कहा, हमने राष्ट्रपति को एक ज्ञापन दिया है। हमने उनसे कृषि कानून और बिजली संशोधन बिल को रद्द करने की मांग की है जिसे बिना किसी उचित विचार-विमर्श और सलाह के अलोकतांत्रिक तरीके से पास किया गया था। येचुरी ने कहा कि 25 से ज्यादा विपक्षी दल इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। ये किसानों के खिलाफ होने के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा पर भी भारी खतरा हैं।
एनसीपी के शरद पवार ने कहा कि विपक्षी दलों ने किसानों से जुड़े इन कानूनों को लेकर विपक्षी दलों ने बहस कराने की मांग की लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। जल्दीबाजी में इनको पास किया गया। अब किसान सड़कों पर हैं तो सरकार को उनकी बात सुननी चाहिए.
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने राष्ट्रपति से मुलाकात केे बाद कहा, कृषि कानून किसान विरोधी है। प्रधानमंत्री कहते हैं कि ये कानून किसानों के हित में हैं, तो फिर किसान सड़क पर क्यों खड़े हैं? सरकार को ये नहीं सोचना चाहिए कि किसान डर जाएंगे और हट जाएंगे। जब तक कानून वापिस नहीं हो जाते तब तक किसान न हटेगा न डरेगा। मैं किसानों से कह रहा हूं कि अगर आप आज नहीं खड़े हुए तो फिर आप कभी नहीं खड़े हो पाओगे और हम सब आपके साथ हैं आप बिलकुल घबराइए मत। आपको कोई पीछे नहीं हिला सकता आप हिदुस्तान हो।
लगातार आंदोलन कर रहे हैं किसान
बता दें कि केंद्र सरकार तीन नए कृषि कानून लेकर आई है, जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडार सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। इसको लेकर किसान जून के महीने से ही आंदोलनरत हैं और इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। किसानों को कहना है कि ये कानून मंडी सिस्टम और पूरी खेती को प्राइवेट हथों में सौंप देंगे, जिससे किसान को भारी नुकसान उठाना होगा। नए कानूनों के खिलाफ ये आंदोलन अभी तक मुख्य रूप से पंजाब में हो रहा था। 26 नवंबर को किसानों ने दिल्ली की और कूच किया है और बीते 13 दिन से किसान दिल्ली और हरियाणा को जोड़ने वाले सिंधु बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं। इसके बाद किसान नेताओं और सरकार के बीच कई दफा बातचीत भी हो चुकी है। हालांकि अभी तक कोई नतीजा निकलता नहीं दिख रहा है।