किसान का दर्द, पोस्ट ग्रेजुएट होते हुए भी नहीं हो रही शादी, खेती करने की बात सुन लौट चुके हैं 30 रिश्ते
नई दिल्ली। सरकारों के तमाम दावों के बावजूद देश में किसानों की क्या हालत है और किसानी के काम को लेकर कितने अविश्वास का माहौल है इसकी एक बानगी महाराष्ट के महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के बुलधना जिले में देखने को मिली है। यहां रहने वाले किशोर सावले का कहना है बीते चार साल के उनकी शादी सिर्फ इसलिए नहीं हो रही है क्योंकि वो खेती करते हैं। सावले का कहना है कि लड़की का परिवार हर बात पर राजी होता है लेकिन कहता है कि खेती करने वाले को बेटी नहीं दे सकते।
करोड़ों की जमीन और पोस्ट ग्रेजुएशन पर भारी खेती
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, बुलधना के दोंगर शेवली गांव रहने वाले 32 साल के किशोर सावले गरीब किसान नहीं हैं, उनके पास जो जमीन है, उसकी बाजार कीमत सवा करोड़ से ज्यादा की है। वो काफी पढ़े लिखे हैं, उन्होंने लाइब्रेरी साइंस में परास्नातक किया है और एजुकेशन में डिप्लोमा भी लिया है। इस सब के बावजूद लड़की पक्ष के लोग उनको रिजेक्ट करके चले जाते हैं क्योंकि वो कोई नौकरी नहीं करके खेती करते हैं। सावले कहते हैं कि लड़कियों के परिवार खेती के नाम से ही भागते हैं।
चार साल से ढूंढ रहे हैं दुल्हन
किसानों की बदहाली के लिए पहचान रखने वाले विदर्भ क्षेत्र के सावले पिछले चार साल से दुल्हन ढूंढ़ रहे हैं, उन्होंने अब तक करीब तीन दर्जन परिवारों के पास शादी का प्रस्ताव भेजा लेकिन हर जगह से जवाब ना मैं ही आया और इसकी वजह बताई गई किशोर का खेती के काम में लगा होना। लड़की के परिवार के लोग कहते हैं कि खेती करने वाला बेटी को कैसे रख पाएगा। किशोर बताते हैं कि लड़कियों के परिवार वालें ने उन्होंने कहा कि वे किसान की बजाय निजी या सरकारी क्षेत्र में कोई छोटी-मोटी नौकरी या चपरासी से बेटी की शादी कर देंगे।
शादी करनी है, इसलिए नौकरी तलाशूंगा
किशोर कहते हैं कि वो करीब 20 हजार रुपए हर महीने कमा लेते हैं लेकिन लंबे इंतजार के बाद अब शादी के लिए किसानी छोड़कर नौकरी ही करनी पड़ेगी। किशोर कहते हैं कि शादी ना हो पाने की वजह से उनके आसपास के गांवों के कई लोगों ने पहले भी किसानी छोड़ नौकरी की है। अब अगर वो अपने लिए एक पढ़ी लिखी दुल्हन चाहते हैं तो नौकरी ही तलाशेंगे। (तस्वीरें-सांकेतिक)
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