आखिर क्यों हुआ बिहार विधानसभा में तांडव, क्या है बिहार पुलिस विधेयक बिल, जिसका विपक्ष कर रहा है विरोध
नई दिल्ली: बिहार विधानसभा में मंगलवार (23 मार्च) को बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक, 2021 ( बिहार पुलिस विधेयक) को लेकर जमकर हंगामा हुआ। सदन के भीतर और बाहर दोनों जगह इसके खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए हैं। पटना में आरजेडी कार्यकर्ताओं के विरोध पर लगाम लगाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा। बिहार सदन से सुरक्षाबलों ने विपक्ष के नेताओं को कथित तौर पर जबरन बाहर निकाला। जिसमें विरोध कर रहे विपक्ष के नेताओं को चोट भी लगी है। पुलिस और आरजेडी विधायक सतीश कुमार के बीच हाथापाई के बाद, नेता को विधानसभा से स्ट्रेचर पर बाहर लाया गया। विपक्ष की महिला विधायकों को भी महिला सुरक्षाकर्मियों ने कथित तौर पर खींच कर भवन से बाहर किया। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि इस विधेयक के बाद पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी और सर्च कर सकती हैं, इसलिए इसे फौरन सरकार को वापस लेना चाहिए। जबकि नीतिश कुमार की सरकार ने इसे समय की जरूरत बताया है और कहा है कि राज्य की महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए बढ़ती जरूरतों को देखते हुए ये विधेयक जरूरी है। तो आइए जानतें हैं बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक, 2021 के बारे में?

क्यों जरूरी है बिहार पुलिस विधेयक?
बिहार पुलिस विधेयक एक बार लागू होने के बाद, बिहार सैन्य पुलिस को बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस कहा जाएगा। प्रस्तावना के अनुसार, बिहार पुलिस अधिनियम 2007 आधिकारिक राजपत्र में 30 मार्च 2007 को प्रकाशित किया गया था। इससे पहले कि राज्य की पुलिस सेवाएं पुलिस अधिनियम, 1861 द्वारा शासित थीं और राज्य में बिहार सैन्य पुलिस के तहत वहां बनाए गए नियम बंगाल सैन्य पुलिस अधिनियम, 1892 द्वारा शासित थे।
बिल के प्रस्तावना में बताया गया है कि बिहार तेजी से विकासशील होता एक राज्य है, ऐसे राज्य की हित को देखते हुए औद्योगिक सुरक्षा, महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों, हवाई अड्डों, मेट्रो रेल आदि की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बहु-डोमेन विशेषज्ञता के साथ सशस्त्र पुलिस बल की जरूरत होती है। बिहार की आंतरिक सुरक्षा को यानी पुलिस बल को सशस्त्र पुलिस बल के माध्यम से मजबूत बनाने की भी आवश्यकता है।

बिहार पुलिस बिल आने के बाद क्या होगा बदलाव?
बिहार में अब भी बिहार मिलिट्री पुलिस (बीएमपी) के नाम से सुरक्षा बल है। बता दें कि मिलिट्री शब्द किसी राज्य के पुलिस बल में नहीं है, इसलिए विधयेक से सबसे पहले मिलिट्री शब्द हटाना ही सरकार का उद्देश्य था।बिहार का यह नया बिल केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल( सीआईसीएफ) की तर्ज पर काम करेगा।
बिहार पुलिस विधेयक कहता है कि यह सार्वजनिक व्यवस्था के रखरखाव के लिए होगा, चरमपंथ का मुकाबला करना, प्रतिष्ठानों और अन्य संस्थानों की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करना होगा। सीएम नीतीश कुमार ने कहा, विशेष सशस्त्र पुलिस का अहम काम सरकारी प्रतिष्ठानों की सुरक्षा करना होगा। जिसमें ऐतिहासिक धरोहरों, राज्य में स्थित बड़ी फैक्ट्रियों,मेट्रो, एयरपोर्ट इत्यादी शामिल होंगे।
सीएम नीतीश कुमार ने कहा, बोधगया में आतंकी घटना के बाद से बिहार मिलिट्री पुलिस यानी बीएमपी बीते आठ सालों से वहां की सुरक्षा में तैनात है। लेकिन उनके पास सर्च और गिरफ्तारी जैसे कोई अधिकार नहीं था। इस विधयेक के जरिए ये अधिकार दिया जाएगा।
बता दें कि यहां समझने वाली बात ये है कि ये अधिकार (गिरफ्तारी और सर्च) उन्ही जगहों पर रहेगा जहां उन्हें सुरक्षा में लगाया जाएगा।यानी सिर्फसिर्फ औद्योगिक इकाईयों के लिए है।अपने कार्यक्षत्र के बाहर उनको ये अधिकार नहीं होंगे। साफ शब्दों में कहें तो ये सीआईएसएफ से मिलता जुलता है।
प्रस्तावना के मुताबिक विशेष सशस्त्र पुलिस का गठन एक या एक उससे अधिक बटालियनों में किया जाएगा। विशेष सशस्त्र पुलिस के सामान्य अधीक्षक सरकार के निर्देशों पर काम करेंगे।

क्या बिना वारंट के गिरफ्तारी का अधिकार है?
विपक्ष इसी अधिकार को लेकर सबसे ज्यादा विरोध कर रहा है। इस विधेयक के प्रस्तावना में लिखा है किसी भी विशेष सशस्त्र पुलिस अधिकारी को, बिना किसी मजिस्ट्रेट के आदेश के और बिना किसी वारंट के, किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार है। सीआईएसएफ की तरह इस नए सुरक्षा बल को भी बिना वारंट के तलाशी और गिरफ्तारी के का अधिकार होगा। हालांकि यह सिर्फ औद्योगिक इकाईयों के लिए है। लेकिन विपक्ष इसे काला कानून बता रही है। विपक्ष ने इसको लेकर आशंका जताई है कि बिल के जरिए विपक्षी नेताओं को परेशान किया जाएगा।
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बिना वारंट के गिरफ्तारी पर क्या बोले बिहार के मंत्री
बिहार के मंत्री बिजेंद्र यादव ने बिना वारंट के गिरफ्तारी पर कहा है कि बिना वारंट के गिरफ्तारी का अधिकार सभी राज्यों की पुलिस अभी भी है। इसमें कुछ भी नया नहीं है। विशेष सशस्त्र पुलिस बल के अधिकारी हर उस घटना को रोकने की कोशिश करेंगे, जिससे जान-माल का नुकसान हो सकता है। बल के जवानों को एलएमजी, मोर्टार की ट्रेनिंग दी जाएगी।
गिरफ्तारी उस स्थिति में की जा सकती है जब विशेष सशस्त्र पुलिस को ऐसा लगे कि उक्त शख्स संदिग्ध हरकत कर रहा है या फिर किसी को स्वेच्छा से चोट पहुंचाता है, या स्वेच्छा से चोट पहुंचाने की कोशिश करता है, हमला करने की कोशिश करता है, धमकी देता है, जैसी कोई घटना जिससे खतरा महसूस हो, तभी कार्रवाई की जा सकती है।
इस विधेयक में सामान्य पुलिस के मुकाबले ज्यादा कड़े कानून हैं। अगर कोई अधिकारी अपनी शक्ति का गलत इस्तेमाल या दुरुपयोग करने की कोशिश करता है तो उसपर भी कड़ी कार्रवाई होगी।

क्या बिहार पुलिस बिल में है बिना वारंट के सर्च करने का अधिकार?
बिहार पुलिस बिल के मुताबिक कोई विशेष सशस्त्र पुलिस अधिकारी, जो अधिसूचित रैंक से नीचे नहीं, वो बिना वारंट के भी सर्च कर सकता है। लेकिन सशस्त्र पुलिस अधिकारी बिना वारंट के सर्च तभी कर सकता है, जब उसके पास इस बात के ठोस सबूत हो कि कोई भी अपराधी अपराध करके भागने की कोशिश में है, या सबूत छिपाने के फिराक में है, या बिना सर्च किए घटना से संबंधित सबूत नहीं जुटाए जा सकते, तो वैसी स्थिति में सशस्त्र पुलिस अधिकारी अपराधी को हिरासत में ले सकता है और उससे जुड़ी जगह और उसके सामानों की तलाशी ले सकता है।

गिरफ्तारी के बाद की प्रक्रिया क्या है?
इस अधिनियम के तहत विशेष सशस्त्र पुलिस अधिकारी जब किसी को बिना वारंट के गिरफ्तार करता है तो बिना किसी देरी के सबसे पहले उसको निकटतम पुलिस स्टेशन में ले जाना होता, जहां इसकी रिपोर्ट फाइल करनी होती। जिसमें गिरफ्तारी किस आधार पर की गई है, इसकी जानकारी देनी होती है।