Explained:मराठाओं को 16 फीसदी आरक्षण को कैसे पूरा कर पाएंगे फडणवीस, यही है रास्ता
शॉर्ट हेडलाइन
नई दिल्ली। महाराष्ट्र विधानसभा ने गुरुवार को मराठा आरक्षण बिल पास कर दिया। बिल के मुताबिक, राज्य की 32.4% मराठा आबादी को 16% आरक्षण मिलेगा। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एसबीसीसी) ने मराठा समुदाय को सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा करार दिया था। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 1 दिसंबर तक आरक्षण लागू करने के संकेत दिए थे। वैसे यह पहली बार नहीं है जब मराठा आरक्षण के लिए बिल पास किया गया हो। महाराष्ट्र में जून 2014 में भी तत्कालीन कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने मराठों को आरक्षण देने का अध्यादेश लागू कर दिया था, बाद में बीजेपी-शिवसेना सरकार ने इसे कानून बना भी दिया था, लेकिन बाद में बॉम्बे हाकोर्ट ने मराठा आरक्षण पर रोक लगा दी। यहां तक कि महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग और केंद्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग मराठों को पिछड़ा मानने तक इनकार कर दिया है। चुनौतियां देवेंद्र फडणवीस सरकार के सामने भी कम नहीं हैं, लेकिन इस बार सरकार की रणनीति थोड़ी अलग है।
आरक्षण के रण में कूदे हुए हैं दो प्रकार के लोग
आरक्षण को लेकर मचे बवाल को गौर से देखें तो इस समय दो प्रकार के लोग आरक्षण के रण में कूदे हुए हैं। एक वो समुदाय है, जिसे अब तक किसी प्रकार का आरक्षण ही नहीं मिला। मसलन- मराठा, पाटीदार और कपू जातियों के आंदोलन। दूसरे वे लोग हैं, जो पिछड़े वर्ग में तो आते हैं हैं, लेकिन उन्हें पिछड़ा वर्ग रहते हुए पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिल पा रहा है, इसलिए वे अपने से नीचे की कैटेगरी में जगह पाना चाहते हैं। राजस्थान में गुर्जर और उत्तर प्रदेश में 17 जातियों की यही मांग है। झारखंड के कुर्मी या कुड़मी भी ओबीसी की जगह एसटी कैटेगरी में शामिल होना चाहते हैं।
मराठा आरक्षण के बाद 68 प्रतिशत पहुंच जाएगा महाराष्ट्र में आरक्षण
गुजरात में पाटीदार, राजस्थान में गुर्जर, महाराष्ट्र में मराठा, हरियाणा में जाट आरक्षण का मुद्दा सुलगा हुआ है। कोई भी सत्ताधारी पार्टी इतने बड़े वोट बैंक को गंवाना नहीं चाहती, लेकिन मुसीबत यह है कि अदालत ने 50 प्रतिशत की कैप लगा रखी है। महाराष्ट्र की बात करें तो यहां पहले से 52 प्रतिशत यानी कैप से भी दो प्रतिशत अधिक आरक्षण लागू है। ऐसे में 16 प्रतिशत मराठा समुदाय को आरक्षण देने के बाद आरक्षण का कुल आंकड़ा 68 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा।
महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने मराठा आरक्षण के लिए दो अहम बातें कहीं। पहली- तमिलनाडु का फार्मूला याद दिलाया और दूसरी- नई कैटेगरी में मराठाओं को आरक्षण दिया जा सकता है। पहले तमिलनाडु के फॉर्मूले पर बात करते हैं। तमिलनाडु में अनुसूचित जातियों को 15 प्रतिशत, अरुन्थाथियार समुदाय को 3 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियों को 1 प्रतिशत, पिछड़ों को 26.5 फीसद, पिछड़े मुसलमानों को 3.5 प्रतिशत, अति पिछड़े समुदायों को 10 फीसद, गैर अनुसूचित समुदायों को 10 प्रतिशत यानी कुल 69 फीसद आरक्षण दिया जा रहा है।
जयललिता का फॉर्मूला अपनाएंगे फडणवीस
1993 में जब मद्रास हाईकोर्ट ने उनकी सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, आरक्षण को कम करने को कहा तो जयललिता ने संविधान की नौवीं अनुसूची का फायदा उठाया। इस अनुसूची के तहत राज्य सरकारों के फैसलों को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती।
जयललिता ने विधानसभा से 69 प्रतिशत आरक्षण का बिल पास कराया और तत्कालीन पीएम नरसिम्हा राव की मदद से इसे राष्ट्रपति की मंजूरी दिलाने के साथ ही नौवीं अनुसूची में डलवा दिया। अब महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार का प्रयास यह है कि नई कैटेगरी बनाकर आर्थिक-सामाजिक पिछड़ेपन के आधार पर उसे आरक्षण दिया जा सकता है। संविधान नई कैटेगरी बनाकर आरक्षण की आजादी देता है।