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Juhi Chawla's 5G Case: जानिए पांच मिथ और उनकी वैज्ञानिक सच्चाई

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नई दिल्ली, 4 जून: बॉलीवुड की अभिनेत्री जूही चावला को 5जी केस में दिल्ली हाई कोर्ट से बहुत बड़ा झटका लगा है। अदालत ने उनकी याचिका पब्लिसिटी स्टंट मानते हुए टेक्निकल ग्राउंड पर खारिज तो कर ही दी है, ऊपर से अदालत का वक्त बर्बाद करने के लिए 20 लाख रुपये का जुर्माना भी ठोक दिया है। आइए जानते हैं कि भारत में जिस 5जी टेक्नोलोजी के इस्तेमाल के खिलाफ वो अदालत में पहुंची थीं, उसको लेकर दुनिया भर में मिथ क्या हैं और उनकी वैज्ञानिक सच्चाई क्या है ? क्या इसपर सभी आशंका को लेकर शोध हो पाए हैं? विश्व स्वास्थ्य संगठन का इसपर क्या रवैया है ?

मिथ-एक: इंसान, जानवर, पक्षियों और दूसरे जीवों पर खतरा

मिथ-एक: इंसान, जानवर, पक्षियों और दूसरे जीवों पर खतरा

वैज्ञानिक सच्चाई: पांचवें जेनरेशन के वायरलेस मोबाइल नेटवर्क को ही सामान्य शब्दों में 5जी के नाम से संबोधित करते हैं। यह टेक्नोलॉजी अल्ट्रा-फास्ट कनेक्टिविटी का वादा करता है और इससे मोबाइल और इंटनेट की दुनिया में क्रांति आने की बात कही जा रही है। दुनिया के कई देशों में इस टेक्नोलोजी को लेकर सवाल उठाए गए हैं। जूही चावला की याचिका में भी इसके चलते इंसान, जानवर, पक्षियों और धरती के दूसरे जीवों पर इसके खतरे की आशंका जताई गई थी। इसमें तर्क दिए गए कि लो-इंटेंसिटी रेडियोफ्रीक्वेंसी के चलते बनने वाले इलेक्टोनिक मैगनेटिक फील्ड रेडिएशन की वजह से मानव और पर्यावरण प्रभावित होगा। ऐसी चिंता कुछ वैज्ञानिकों ने भी जाहिर की हैं। लेकिन, अभी तक किसी भी आशंका की वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हो पाई है।

मिथ-दो: वायरलेस तकनीकों से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव

मिथ-दो: वायरलेस तकनीकों से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव

वैज्ञानिक सच्चाई: विश्व स्वास्थ्य संगठन अपने 5जी पेज पर कहता है 'वायरलेस तकनीकों के संपर्क में आने से स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है।' हालांकि, इसमें यह भी कहा गया है, '5जी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली फ्रीक्वेंसी पर केवल कुछ ही अध्ययन किए गए हैं।' इस टेक्नोलॉजी को लेकर बढ़ती चिंता के बीच डबल्यूएचओ '5जी समेत सभी रेडियो फ्रीक्वेंसी के संपर्क से स्वास्थ्य जोखिम का मूल्यांकन कर रहा है।' यह स्टडी 2022 में प्रकाशित होगी। कुल मिलाकर अभी तक सेलुलर मोबाइल फोन टेक्नोलॉजी और उससे होने वाले रेडिएशन को लेकर जो चिंता और साक्ष्य वैज्ञानिकों के पास मौजूद हैं, 5जी को लेकर भी उससे अधिक पुख्ता साक्ष्य नहीं मिले हैं।

मिथ-तीन: 5जी में इस्तेमाल होने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी पर चिंता

मिथ-तीन: 5जी में इस्तेमाल होने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी पर चिंता

वैज्ञानिक सच्चाई: विश्व में 5जी टेक्नोलॉजी आए दो साल से ज्यादा हो चुके हैं। लेकिन, यह कुछ देशों में ही शुरू हो पाया है। यह भी दावा किया जाता है कि 5जी के लिए ज्यादा टावरों की आवश्यकता होगी, जिसकी वजह से इसानों एक्सपोजर का खतरा और बढ़ेगा। लेकिन, सच्चाई ये है कि अभी तक हमारे पास सच्ची तस्वीर नहीं है कि यह हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण को किस हद तक नुकसान पहुंचा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन स्पष्ट रूप से कहता है, 'अभी तक 5जी में इस्तेमाल की जाने वाली फ्रीक्वेंसी को लेकर कुछ ही शोध किए जा सके हैं।'

मिथ-चार: शरीर में टिस्यू गर्म होने से कैंसर का खतरा

मिथ-चार: शरीर में टिस्यू गर्म होने से कैंसर का खतरा

वैज्ञानिक सच्चाई: विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है, 'रेडिफ्रीक्वेंसी फील्ड और इंसान के शरीर के बीच टिस्यू के गर्म होना ही सबसे बड़ी चर्चा की वजहें है' और अभी जो टेक्नोलोजी है उसमें इसकी वजह से 'मानव शरीर में तापमान वृद्धि नहीं के बराबर है।' डब्ल्यूएचओ कहता है कि अगर फ्रीक्वेंसी बढ़ती है तो भी शरीर के टिस्यू में तापमान जाने और सोखे जाने की जगह वह स्किन और आंखों तक ही ठहर जाता है। अंतरराष्ट्रीय संगठन यहां तक कहता है कि ओवरऑल एक्सपोजर इंटरनेशनल गाइडलाइंस से कम है, इसलिए लोगों के स्वास्थ्य पर दुष्परिणामों की आशंका नहीं की जाती है।

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मिथ-पांच: 5जी टेक्नोलॉजी से भी कोरोना फैल सकता है ?

मिथ-पांच: 5जी टेक्नोलॉजी से भी कोरोना फैल सकता है ?

वैज्ञानिक सच्चाई: हाल में सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो भी शेयर हो चुके हैं जिसमें इन दावों के चलते मोबाइल टॉवर जलाए गए हैं कि 5जी टेक्नोलॉजी के चलते कोरोना फैलता है। सोशल मीडिया पर कई वेरिफाइड यूजर ने भी इन अफवाहों को हवा दी है। लेकिन , वैज्ञानिक समुदाय ने ऐसे दावों की निंदा की है कि 5जी टेक्नोलॉजी ने कोरोना वायरस फैलाने में मदद की है। वैज्ञानिकों का कहना है दोनों में कोई संबंध नहीं है और इस तरह की बातें पूरी तरह से बकवास हैं। वैज्ञानिकों ने इस तरह की साजिश की दलीलों को वायरस की तरह ही खतरनाक फेक न्यूज बताया है। भारत में भी पिछले दिनों ऐसे अफवाह उड़ाए जा रहे थे कि 5जी नेटवर्क टेस्टिंग के चलते लोगों की मौत हो रही है, जिसे कोविड का नाम दिया जा रहा है। लेकिन सरकार ने इस दावा को पूरी तरह से फर्जी बताया था।

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English summary
Actress Juhi Chawla's petition on 5G technology dismissed by Delhi High Court, know about important scientific facts and myths about this technology
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