MP उपचुनावः भांडेर सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय, एक मिथक ने बढ़ाई भाजपा-कांग्रेस की परेशानी
भोपाल। मध्य प्रदेश के उपचुनाव में दतिया जिले की भांडेर सीट (Bhander Assembly Seat) पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है। भाजपा ने पिछली बार भारी मतों से जीतीं और कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आई रक्षा संतराम सरोनिया को उम्मीदवार बनाया है तो कांग्रेस ने फूल सिंह बरैया पर दांव लगाया है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर बसपा ने पूर्व गृहमंत्री महेंद्र बौद्ध को मैदान में उतारकर मुकाबले को रोमांचक बना दिया है।
दतिया भाजपा के कद्दावर नेता और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र का जिला भी है ऐसे में ये सीट भाजपा के लिए साख का सवाल है। वहीं इस सीट के जुड़े एक मिथक के चलते यहां से लड़ने वाले प्रत्याशियों की नींद उड़ी हुई है।
जुड़ा
है
अजीब
मिथक
दरअसल
इस
सीट
के
साथ
एक
ऐसा
मिथक
जुड़
गया
है
कि
जो
भी
यहां
से
एक
बार
जीत
जाता
है
वो
दोबारा
नहीं
जीतता।
1962
से
लेकर
2018
तक
हुए
14
विधानसभा
चुनावों
में
सिर्फ
कमलापति
आर्य
ही
अपवाद
रहे
हैं
जो
दो
बार
यहां
से
विधानसभा
पहुंचे।
आर्य
कांग्रेस
और
भाजपा
दोनों
के
टिकट
पर
यहां
से
जीत
चुके
हैं।
इस मिथक ने भाजपा और कांग्रेस की नींद उड़ाई हुई है। दोनों पार्टियों के प्रत्याशी एक-एक बार इस सीट से जीत चुके हैं। फूल सिंह बरैया 98 में यहां से जीत चुके हैं तो भाजपा की रक्षा संतराम सरोनिया 2018 में यहां से जीत चुकी हैं। कांग्रेस के फूल सिंह बरैया के सामने कभी कांग्रेस के ही सिपाही रहे महेंद्र बौद्ध बड़ी मुश्किल हैं। महेंद्र बौद्ध दिग्विजय सरकार में गृह मंत्री रहे थे और 50 सालों से कांग्रेस से जुड़े हुए थे लेकिन बरैया को टिकट मिलने से नाराज होकर उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बसपा ज्वाइन कर ली।
बसपा
के
आने
से
बढ़ी
कांग्रेस
की
मुश्किल
बसपा
से
महेंद्र
बौद्ध
के
आने
से
मुकाबला
यहां
त्रिकोणीय
हो
गया
है।
महेंद्र
बौद्ध
पुराने
नेता
हैं
और
उनका
अपना
जनाधार
रहा
है।
साथ
ही
यहां
बसपा
के
काफी
संख्या
में
वोट
हैं।
98
में
पार्टी
यहां
से
चुनाव
जीत
चुकी
है।
तब
फूल
सिंह
बरैया
बसपा
के
प्रत्याशी
थे
जिसमें
उन्होंने
भाजपा
को
हराया
था।
वहीं
बसपा
के
मैदान
में
उतरने
से
कांग्रेस
के
फूल
सिंह
बरैया
की
परेशानी
बढ़ने
वाली
है।
क्योंकि
महेंद्र
बौद्ध
कांग्रेस
में
लंबे
समय
तक
रहे
हैं
ऐसे
में
बौद्ध
के
समर्थक
वोट
भी
कांग्रेस
से
दूर
होने
वाले
हैं।
भाजपा प्रत्याशी रक्षा संतराम सरोनिया 2018 में कांग्रेस के टिकट पर भारी अंतर से जीत हासिल की है। वे सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुई थीं। दतिया नरोत्तम मिश्रा का गृह जनपद भी है ऐसे में मिश्रा यहां सरोनिया के पक्ष में समीकरण साधने जरूर पहुंचेंगे। विकास कार्यों की घोषणा करने सत्ताधारी भाजपा पहले ही सरोनिया के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर चुकी है।
ये
रहे
पिछले
पांच
चुनावों
के
नतीजे
पिछले
पांच
चुनावों
में
यहां
भाजपा
ने
तीन
बार
जीत
दर्ज
की
है
जबकि
एक-एक
बार
भाजपा
और
कांग्रेस
जीत
का
स्वाद
चख
चुकी
हैं।
1998
में
बसपा
के
टिकट
पर
फूल
सिंह
बरैया
ने
जीत
दर्ज
की
थी।
बरैया
ने
भाजपा
के
पूरन
सिंह
पलैया
को
1800
वोटों
से
हराया
था।
2003
में
फूल
सिंह
बरैया
निर्दलीय
लड़े
लेकिन
उन्हें
भाजपा
के
डॉक्टर
कमलापत
आर्य
ने
मात
दे
दी।
2008
में
फूल
सिंह
बरैया
एलजेपी
के
टिकट
पर
चुनाव
में
उतरे
लेकिन
इस
बार
फिर
किस्मत
ने
साथ
नहीं
दिया।
भाजपा
के
आशाराम
अहिरवार
ने
बरैया
को
20
हजार
वोट
से
हरा
दिया।
2013
में
ये
सीट
फिर
भाजपा
के
हिस्से
में
गई।
भाजपा
के
घनश्याम
पिनोरिया
ने
कांग्रेस
के
अरुण
कुमार
को
7651
वोटों
से
शिकस्त
दे
दी।
कांग्रेस
का
लंबा
इंतजार
2018
में
खत्म
हुआ
जब
रक्षा
संतराम
सरोनिया
ने
भाजपा
प्रत्याशी
रजनी
प्रजापति
को
39896
वोटों
के
अंतर
से
हरा
दिया।
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