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कोरोना की चपेट में आ गए कर्मचारी ? परिवार वालों की दिल खोलकर मदद कर रही हैं ये कंपनियां

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मुंबई, 10 मई: कोरोना की दूसरी लहर ने कई परिवारों को तबाह कर दिया है। घर के किसी कमाने वाले शख्स ने अगर इस अनदेखे दुश्मन की वजह से जान गंवाई है तो परिवार वालों पर क्या गुजर रही है, इसकी कल्पना भी असंभव है। कोरोना ऐसे परिवारों पर भावनात्मक कहर तो बरपा ही रहा है, परिवार के बचे हुए सदस्यों के लिए आगे का जीवन भी पहाड़ नजर आ रहा है। ऊपर से ऐसी खबरें आ रही हैं कि इस अप्रत्याशित त्रासदी के वक्त में भी मानवता के कुछ दुश्मन सक्रिय हो गए हैं और कफन भी नोच डालने के लिए गिद्ध की तरह मंडरा रहे हैं। बीते एक साल से ज्यादा वक्त में कोविड ने कई लोगों को बेरोजगार भी कर दिया है। लेकिन, सच्चाई ये है कि आज भी समाज में हर कोई एक ही तरह का नहीं है। जब कोरोना ने किसी परिवार से उसका अपना छीन लिया है तो संकट के इस दौर में कई कंपनियां अपने कर्मचारियों के परिजनों को थामने के लिए आगे भी आ रही हैं। उनका आगे का जीवन सुरक्षित करने के लिए सहारा बनकर खड़ी हो रही हैं। कोविड की ऐसी त्रासदी के वक्त में देवदूत बनकर पीड़ित परिवारों की मदद के लिए आगे रहीं ये कंपनियां अपने काम से सबका दिल जीत रही हैं।

कोरोना पीड़ित परिजनों के लिए फरिश्ता बनीं कुछ कंपनियां

कोरोना पीड़ित परिजनों के लिए फरिश्ता बनीं कुछ कंपनियां

कई कंपनियां कोरोना वायरस की वजह से जान गंवाने वाले अपने कर्मचारियों के परिजनों की आर्थिक और गैर-आर्थिक सहायता के लिए बढ़-चढ़कर आगे आ रही हैं। कोविड की वजह से जिन कर्मचारियों की मौत हुई है, उनके परिवार की सहायता के लिए अलग-अलग कंपनियां विभिन्न तरीकों से मदद का हाथ बढ़ा रही हैं। कुछ एकमुश्त मुआवजा दे रही हैं, तो कुछ दिवंगत कर्मचारी के बच्चों की शिक्षा का पूरा खर्चा उठाने को तैयार हैं। वहीं कुछ कंपनियां अपने मृत कर्मचारी के पति या पत्नी को अपनी ही संस्था में रोजगार के मौके दे रही हैं। जिनका सबकुछ उजड़ चुका है, उनके सामने फरिश्ता बनकर आई इन कंपनियों के बारे में जे सागर एसोसिएट्स की पार्टनर मीनू द्विवेदी कहती हैं, 'बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी लेने और दो साल तक कर्मचारी के परिवार को उसकी पूरी सैलरी देने के साथ ही, अस्पताल और अंतिम संस्कार से लेकर वैक्सीनेशन तक का खर्च उठा रही हैं।'

आर्थिक सहायता से लेकर हर तरह की मदद देने का ऑफर

आर्थिक सहायता से लेकर हर तरह की मदद देने का ऑफर

बड़ी बात ये है कि ये कंपनियां अपने कर्मचारी की मौत के बाद उनके परिजनों को उनके हाल पर छोड़ने के बजाए, एक अभिभाक के तौर पर उनकी आगे की जिंदगी को सुरक्षित करने का कदम उठा रही हैं। कई कंपनियों ने इस दौर में ग्रुप टर्म इंश्योरेंस का दायरा बढ़ाकर उसमें कोविड सुरक्षा भी जोड़ दी है। मसलन, आईटी फिल्ड की बड़ी कंपनी टीसीएस 23 लाख रुपये का इंश्योरेंस कवर दे रही है या फिर कोविड से मृत कर्मचारी की सालाना सैलरी का 6 गुना मुआवजा, जो भी ज्यादा हो, वह उसके परिजनों को ऑफर कर रही है। कंपनी के 5 लाख कर्मचारी हैं और देश की यह सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर प्रोफेशनलों की नियोक्ता कंपनी है, जिसके 70 फीसदी से ज्यादा कर्मचारी भारत में हैं। इसी तरह टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक एचसीएल टेक्नोलॉजीज 30 लाख रुपये का बीमा, 7 लाख रुपये का एम्पलॉय डिपोजिट लिंक्ड इंश्योरेंस और मृत कर्मचारी की एक साल की सैलरी उसके परिवार वालों को देने का वादा कर रही है। उसी तरह आईटी क्षेत्र की एक और बड़ी कंपनी विप्रो ने कहा है कि अगर उसके कर्मचारी या उसके परिवार वालों के इलाज का खर्चा इंश्योरेंस कवर से ज्यादा होगा तो उससे ऊपर का पूरा खर्चा वह उठाएगी। इंफोसिस के कर्मचारियों का कोविड इलाज ग्रुप इंश्योरेंस में कवर है। इसने कर्मचारियों की सहायता के लिए पुणे और बेंगलुरु में कोविड केयर सेंटर तैयार किया है। जो भी कर्मचारी कोरोना की चपेट में आते हैं या उससे ठीक हो रहे हैं उन्हें 21 दिन की अतिरिक्त पेड लीव दी जा रही है।

दो साल की सैलरी या जॉब का ऑफर

दो साल की सैलरी या जॉब का ऑफर

गोल्ड लोन देने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी मुथूट फाइनेंस को ही लीजिए, इसने तीन साल की नौकरी कर चुके अपने दिवंगत कर्मचारी की पति/पत्नी या मां को 24 महीने की सैलरी देने का फैसला किया है। अगर दिवंगत कर्चारी की सर्विस तीन साल से कम है तो यह कंपनी उसके परिजनों को 12 महीने की सैलरी देगी। इसी तरह गैर-जीवन बीमा कंपनी आईसीसीआई लॉम्बार्ड अपने दिवंगत कर्मचारी की पति/पत्नी को उचित जॉब का ऑफर दे रही है (शैक्षणिक योग्यता के आधार पर)। इसके अलावा वह कर्मचारी के परिजनों को पीएफ और ग्रेच्युटी भी दिलाने मदद कर रही है। ग्रेच्युटी के मामले में अगर समय-सीमा पूरी नहीं हो रही हो, फिर भी ये कंपनी कर्मचारी के परिजनों को वह उपलब्ध करवा रही है। जबकि आईटी फिल्ड की बड़ी कंपनी एक्सेंचर ने अपने 2 लाख से ज्यादा कर्मचारियों और उनके परिवार के लिए 24/7 टेलीमेडिसीन सेवा, केयर-एट-होम सर्विस और टेस्टिंग के साथ-साथ वैक्सीनेशन में सहायता दे रही है। कॉग्निजेंट भी वैक्सीनेशन के साथ-साथ कोरोना पॉजिटव कर्मचारियों और उनके परिवार वालों को स्वस्थ होने तक हर तरह से सहायता और पेड लीव उपलब्ध करवा रही है।

पार्टनर कंपनियों के कर्मचारियों की भी मदद

पार्टनर कंपनियों के कर्मचारियों की भी मदद

सबसे बड़ी बात ये है कि कई कंपनियों ने सिर्फ अपने दिवंगत स्टाफ के परिजनों के लिए ही मदद का हाथ नहीं बढ़ाया है, वह अपने डिस्ट्रिब्यूटरों और थर्डपार्टी पैकेजिंग यूनिट के लोगों को भी ग्रुप इंश्योरेंस के दायरे में ला रही हैं, जिसमें कोविड फाइनेंशियल प्रोटेक्शन भी शामिल है। जैसे, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट के एमडी सुनील डिसूजा कहते हैं, 'दूसरी लहर ने पूरे भारत में हमारे कई कर्मचारियों, पार्टनर और उनके परवार वालों को चपेट में ले लिया है।..........हमने सभी फ्रंटलाइन कर्मचारियों को विशेष मेडिकल सहायता, हॉस्पिटलाइजेशन और इंश्योरेंस प्रोग्राम को कवर्ड कराया है, जिसमें सेल्स और मैन्युफैक्चरिंग में हमारे पार्टनर के कर्मचारी भी शामिल हैं। '

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बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने का वादा

बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने का वादा

पिछले हफ्ते कोटक महिंद्रा बैंक ने बताया था कि पिछले वित्त वर्ष में उसने अपने 17 कर्चारियों को खो दिया था और पिछले एक महीने में ही 17 की मौत हो गई है। इसी तरह रियल एस्टेट डेवलपर के रहेजा कॉर्पोरेशन कोविड से मरने वाले अपने कर्मचारियों के परिजनों को उसकी एक साल की सैलरी के बराबर टर्म कवर दे रही है। कंपनी का कहना है कि किसी अपने की जिंदगी तो नहीं लौटाई जा सकती, लेकिन उसकी कोशिश है कि परिजनों को वित्तीय सुरक्षा मुहैया कराई जाए। इसी तरह ग्लासवेयर ब्रैंड ब्रोसिल, जिसके चार कर्मचारी कोविड के चलते जान गंवा चुके हैं, वह उनके बच्चों की भारत में ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई का खर्च उठाने की बात कह रहा है। (तस्वीरें-सांकेतिक)

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English summary
IT and non-IT companies are giving financial and non-financial security cover to the families of employees who have been hit by Covid
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