मोदी के बाद अमित शाह के क्लीन चिट पर भी बंटा चुनाव आयोग
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में चुनाव आयोग ने उन्हें सभी पांच मामलों में क्लीन चिट दे दी है। लेकिन इस मामले में नया मोड़ सामने आया है। दरअसल इस मामले में चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की राय अन्य लोगों से जुदा थी। एक अप्रैल को वर्धा और 6 अप्रैल को नांदेड़ में पीएम मोदी ने जो बयान दिया था उसके खिलाफ चुनाव आयोग में उनकी शिकायत दर्ज कराई गई थी। पीएम मोदी ने पहली बार वोट दे रहे लोगों से बालाकोट एयर स्ट्राइक का हवाला करते हुए वोट देने को कहा था। यही न हीं लातूर और चित्रदूर्गा में भी 9 अप्रैल को पीएम मोदी ने ऐसी ही अपील की थी। पीएम के इन्हीं बयान के खिलाफ जांच कमेटी ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी, लेकिन चुनाव आयुक्त पीएम मोदी को क्लीन चिट दिए जाने के पक्ष में नहीं थे।
दिया था विवादित बयान
9 अप्रैल को अमित शाह ने नागपुर की रैली के दौरान राहुल गांधी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा था कि वह अमेठी के अलावा वायनाड से इसलिए चुनाव लड़ रहे हैं क्योंकि वह मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है। चुनाव आयोग ने इस मामले में भी अमित शाह को क्लीन चिट दे दी थी। हालांकि चुनाव आयोग ने चित्रदुर्गार की शिकायत के बारे में अभी आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा है। बता दें कि मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और चुनाव कमिश्नर सुशील चंद्र पोल पैनल के अन्य सदस्य हैं।
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चुनाव कमिश्नर की राय जुदा
पीएम मोदी और अमित शाह के खिलाफ इन तमाम मामलों में चुनाव आयोग ने 2-1 से फैसला लिया है। इन सभी मामलों में लवासा ने अपनी आपत्ति जताई है। हालांकि लवासा की ओर से इस बाबत कोई आधिकारिक बयान नहीं आय़ा है। इस मामले में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त न कहा कि असहमति दर्ज करना एक बेहतर और स्वस्थ्य संकेत है, चुनाव आयोग को लेकर मेरी उम्मीद में बदलाव आया है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
चुनाव आयोग के सेक्शन 10 के अनुसार चुनाव आयोग के सभी फैसला एकमत से लिए जाने चाहिए। इसमे कहा गया है कि अगर मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य कमिश्नर के मत में अंतर होता है तो बहुमत के आधार पर फैसला लिया जाएगा। बता दें कि पाटन में पीएम मोदी के भाषण पर चुनाव आयोग ने विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग ने निर्देश दिया है कि वह मोदी और शाह के खिलाफ आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों का निस्तारण सोमवार तक करके। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला कांग्रेस सांसद सुष्मित देव की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
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