64.03% वोट लाकर द्रौपदी मुर्मू जीतीं चुनाव, किस राष्ट्रपति को मिले सबसे ज्यादा वोट ? 1950 से अबतक के आंकड़े
नई दिल्ली, 21 जुलाई: 15वें राष्ट्रपति के चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा पर बड़ी जीत दर्ज की है। मुर्मू को बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए के अलावा कई विपक्षी दलों का भी साथ मिला और उन्होंने एक तरह से चुनाव से पहले ही अपनी जीत सुनिश्चित कर ली थी। बहरहाल राष्ट्रपति चुनाव में शानदार जीत करने वालों में वो अकेली नहीं है। उनसे पहले के राष्ट्रपति ने भी काफी बड़ी बढ़त के साथ चुनाव जीते हैं तो कुछ को 50% वोट भी नहीं मिल पाए थे। हम आपको 1950 से अबतक के सभी राष्ट्रपति के राष्ट्रपति भवन तक पहुंचने की कहानी बताने जा रहे हैं।
राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू की बड़ी जीत
द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति चुनाव में शानदार जीत दर्ज की है। राष्ट्रपति चुनाव के रिटर्निंग ऑफिसर राज्यसभा के महासचिव PC Mody ने बताया है कि मुर्मू को कुल 6,76,803 मिले हैं, जो कि कुल पड़े वोट का 64.03% है। राज्यसभा महासचिव ने घोषणा की है, 'रिटर्निंग ऑफिसर के तौर पर मैं द्रौपदी मुर्मू को भारत का राष्ट्रपति घोषित करता हूं।' जबकि, संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को इस चुनाव में महज 3,80,177 वोट मिले हैं, जो कि डाले गए वोट का 36% है। इस चुनाव में कुल मतों का मूल्य 10,72,377 था। राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को वोट डाले गए थे।
चौथे राष्ट्रपति वीवी गिरि को मिले थे सबसे कम वोट
द्रौपदी मुर्मू से पहले देश को कुल 14 राष्ट्रपति मिल चुके हैं। देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के नाम यह अकेला कीर्तिमान है कि वे तीन-तीन बार राष्ट्रपति चुने गए थे। वो 1950 से 1962 तक भारत के राष्ट्रपति रहे, लेकिन उन्हें दो बार ही चुनाव का सामना करना पड़ा। उनको मिले कुल वोट से पहले उस राष्ट्रपति का जिक्र करते हैं, जिन्हें सबसे कम वोट मिले थे। 1969 में देश के चौथे राष्ट्रपति वीवी गिरि सबसे कम वोट लाकर राष्ट्रपति चुने गए थे। उन्हें सिर्फ 4.20 लाख वोट मिले थे और यह कुल पड़े वोट का 48% था। उनसे पहले जाकिर हुसैन 1967 में देश के तीसरे राष्ट्रपति चुने गए थे। उन्हें महज 4.71 लाख वोट मिले थे, हालांकि यह कुल पड़े वोट का 56.2% था।
1977 में निर्विरोध चुने गए थे नीलम संजीव रेड्डी
1977 में देश के छठे राष्ट्रपति बनने वाले डॉक्टर नीलम संजीव रेड्डी ऐसे सौभाग्यशाली नेता रहे जिन्हें निर्विरोध चुना गया था। हालांकि, 1969 के चुनाव में वे वीवी गिरी से हार भी चुके थे। 1962 में देश के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 5.53 लाख वोट मिले थे, लेकिन उन्हें कुल पड़े वोट का 98.2% मत प्राप्त हुआ था। उनके मुकाबले में उतरे चौधरी हरि राम को सिर्फ 1.1% ही वोट मिला था।
राष्ट्रपति कोविंद को मिले थे कुल 65.7% वोट
मौजूदा राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति हैं और उन्होंने 2017 में मीरा कुमार के मुकाबले कुल 65.7% वोट पाया था। राष्ट्रपति कोविंद को कुल 7.02 लाख वोट मिले थे। दलित समाज से राष्ट्रपति बनने वाले कोविंद देश के दूसरे नेता हैं। देश के 10वें राष्ट्रपति केआर नारायणन पहले दलित राष्ट्रपति थे, जिन्हें 1997 के चुनाव में कुल 9.56 लाख वोट हासिल हुए थे। लेकिन, कुल पड़े वोट से तुलना करें तो वह 95% वोट लेकर राष्ट्रपति भवन में दाखिल हुए थे।
राष्ट्रपति चुनाव में जीत का मार्जिन हमेशा ज्यादा रहा
2012 में 13वें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को 7.14 लाख (69.3%), 2007 में 12वीं राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को 6.38 लाख (65.8%), 2002 में 11वें राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को 9.23 लाख(89.6%), 1992 में 9वें राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा को 6.76 लाख (65.9%), 1987 में आठवें राष्ट्रपति आर वेंकटरमण को 7.40 लाख (72.3%), 1982 में सातवें राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह को 7.54 लाख (72.7%), 1974 में पांचवें राष्ट्रपति फकरुद्दीन अली अहमद को 7.54 लाख (80.2%) वोट प्राप्त हुए थे।
राजेंद्र प्रसाद को मिले थे सबसे ज्यादा वोट
लेकिन, राष्ट्रपति चुनाव में प्राप्त वोटों के मुकाबले में देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का रिकॉर्ड आजतक कोई नहीं तोड़ पाया है। 1952 में राष्ट्रपति पद के लिए पहली बार चुनाव हुआ और राजेंद्र प्रसाद को कुल पड़े वोट का 83.8% मत प्राप्त हुए। लेकिन, 1957 में हुए चुनाव में उन्हें कुल 99.2% वोट हासिल हुए और उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी नागेंद्र नारायण दास को 98.8% वोटों से हराया था। 1950 में राष्ट्रपति का चुनाव नहीं हुआ था और राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा ने बिना चुनाव करवाए राष्ट्रपति चुना था।