DRDO की बड़ी सफलता, ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर का सफल परीक्षण, बिना पायलट के भरी पहली उड़ान
रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) को लड़ाकू विमान विकसित करने के क्षेत्र में शुक्रवार को बड़ी सफलता मिली है। आत्मनिर्भर भारत की दिशा में यह बड़ा कदम है।
नई दिल्ली, 01 जुलाई : रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) को लड़ाकू विमान विकसित करने के क्षेत्र में शुक्रवार को बड़ी सफलता मिली है। आत्मनिर्भर भारत की दिशा में यह बड़ा कदम है। डीआरडीओ ने कर्नाटक के चित्रदुर्ग वैमानिकी परीक्षण रेंज से ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर का सफल परीक्षण किया।
#WATCH | In a major success towards developing unmanned combat aircraft, the maiden flight of the Autonomous Flying Wing Technology Demonstrator was carried out successfully from the Aeronautical Test Range, Chitradurga, Karnataka today: DRDO officials pic.twitter.com/9PjX2dBkIr
— ANI (@ANI) July 1, 2022
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इसे भारत में ही तैयार किया गया है
डीआरडीओ के एक अधिकारी ने कहा कि मानव रहित लड़ाकू विमान विकसित करने की दिशा में बड़ी सफलता मिली है। ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर ने आज पहली उड़ान भरी। उन्होंने कहा कि मानव रहित हवाई वाहन को डीआरडीओ के तहत एक प्रमुख अनुसंधान प्रयोगशाला वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान बेंगलुरु द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है।
बिना पायलट के उड़ान के क्षेत्र में बड़ी कामयाबी
उन्होंने कहा कि एयरफ्रेम, अंडर कैरिज और विमान के लिए उपयोग किए जाने वाले संपूर्ण उड़ान नियंत्रण और एवियोनिक्स सिस्टम स्वदेशी रूप से विकसित किए गए थे। ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर को अपने देश में ही डिजाइन किया गया है। चित्रदुर्ग के एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज अपनी पहली उड़ान भरी। इसे स्वचालित विमानों की तकनीक के क्षेत्र में अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि माना गया है।
तेजी से काम कर रहा डीआरडीओ
भारत लगातार रक्षा क्षेत्र में हाईटेक उपकरण विकसित कर रहा है। दुश्मन देशों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत अपनी शक्ति लगातार बढ़ा रहा है। इस दिशा में डीआरडीओ तेजी से काम कर रहा है। इससे पहले डीआरडीओ को बड़ी कामयाबी मिली थी और बंगाल की खाड़ी में स्वेदशी लड़ाकू ड्रोन ABHYAS का सफल परीक्षण किया था। इसके अलावा स्वदेशी एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल यानी एटीजीएम का भी सफल परीक्षण किया गया था।
ABHYAS-हाई स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल का परीक्षण
डीआरडीओ के मुताबिक ओडिशा में बंगाल की खाड़ी के तट पर चांदीपुर एकीकृत परीक्षण रेंज से ABHYAS-हाई स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल का परीक्षण किया गया, जो पूरी तरह से सफल रहा। इस दौरान डीआरडीओ के वैज्ञानिक हाईटेक उपकरणों से इसकी स्पीड आदि को मॉनिटर कर रहे थे। डीआरडीओ वैज्ञानिकों के मुताबिक परीक्षण के दौरान लक्ष्य को जमीन-आधारित नियंत्रक से सबसोनिक गति से पूर्व-निर्धारित उड़ान पथ में उड़ाया गया। जिसमें ABHYAS पूरी तरह से खरा उतरा।
ऐसे करता है काम
इस एयर व्हीकल को ट्विन अंडरस्लैंग बूस्टर का उपयोग करके लॉन्च किया गया। ये एक छोटे गैस टरबाइन इंजन से संचालित होता है। इसके अलावा नेविगेशन और फ्लाइट कंट्रोल के लिए इसमें MEMS आधारित इनरट्रियल नेविगेशन सिस्टम (INS) है। अभ्यास ड्रोन को पूरी तरह से स्वायत्त उड़ान के लिए बनाया गया है। इसकी पूरी जांच लैपटॉप आधारित ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन (GCS) की मदद से की जाती है। इसकी मदद से विभिन्न मिसाइलों और हवा में मार करने वाले हथियारों का प्रेक्षण किया जा सकता है। इस ड्रोन का इस्तेमाल मिसाइल या फिर विमानों का पता लगाने के लिए भी किया जाता है।
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