बीजिंग में चीन को उसी के अंदाज में समझाएंगे NSA अजित डोवाल!
नई दिल्ली। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोवाल इस माह चीन की यात्रा पर जा रहे हैं। उनकी यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब चीन और भारत के बीच पिछले करीब एक माह से काफी तनाव है। सिक्किम में दोनों देश आमने-सामने हैं। डोवाल की चीन यात्रा 26 जुलाई से शुरू होगी और इस दौरान वह चीन को यह बात जरूर बता देंगे कि अंतराष्ट्रीय सीमा के नजदीक सड़क का निर्माण भारत के हितों के विपरीत है।
डोवाल के जाने से सुधरेगा चीन
माना जा रहा है कि डोवाल की चीन यात्रा दोनों देशों के बीच तनाव को कम कर सकेगी। डोवाल को एक ऐसे व्यक्ति के तौर पर जाना जाता है जो किसी भी समस्या के लिए समझौते से ज्यादा मिलिट्री समाधान पर यकीन करते हैं। ऐसे में यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि चीन को डोवाल किस तरह से सख्त अंदाज में समझाते हैं।
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चीन को देंगे कड़ा संदेश
विशेषज्ञों की मानें तो डोवाल चीन को यह बता सकते हैं कि भारत कभी भी अपने सीमाई हितों के साथ समझौता नहीं करेगा वह चाहे चीन हो या फिर पाकिस्तान। डोवाल इस बात से भी बखूबी वाकिफ हैं कि सैन्य क्षमता के लिहाज से चीन, भारत से ताकतवर है। डोवाल जानते हैं कि भारत के पास मौजूद मिसाइलों की अगर बात करें तो चीन भारत से पीछे है है और वह कई बार कह चुके हैं कि भारत को अपनी मिसाइल क्षमताएं बढ़ानी चाहिए।
चीन के साथ बेहतर रिश्तों के समर्थक
डोवाल इस बात के भी समर्थक हैं कि भारत के लिए चीन के साथ रिश्ते काफी महत्वपूर्ण हैं लेकिन किसी भी तरह से संप्रभुता पर समझौता नहीं हो सकता है। वह एक सुरक्षा सम्मेलन में कह चुके हैं कि भारत, चीन के साथ रिश्तों को आगे बढ़ाने में तब तक यकीन रखता है जब तक कि उसकी संप्रभुता और अखंडता पर कोई नुकसान नहीं पहुंचता है।
भारत का कड़ा रुख
चीन में जब डोवाल मौजूद होंगे तो वहां पर कूटनीति और भारत के कड़े रुख का साफ प्रदर्शन होगा। सूत्रों की मानें तो डोवाल जब चीन जाएंगे तो सिक्किम में जारी तनाव पूरी तरह से खत्म हो जाएगा और दोनों देशों के बीच रिश्ते भी ठीक रहेंगे। शुक्रवार को डोवाल, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री अरुण जेटली चीन के साथ वर्तमान हालातों पर विपक्ष को जानकारी दे चुके हैं।
विपक्ष ने तनाव पर क्या कहा
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजादी और आनंद शर्मा ने शुक्रवार को सरकार के साथ हुई मीटिंग के बाद कहा है देश सबसे पहले है, चाहे वह चीन हो या फिर कश्मीर। दोनों ही तरफ काफी तनाव है और इस तनाव को सिर्फ कूटनीति से ही कम किया जा सकता है।