#2GSpectrum: फैसले के बाद सुधरेगी DMK की छवि, बदलेंगे राजनीतिक समीकरण
नई दिल्ली। आज देश के सबसे बड़े घोटाले में से एक कहे जा रहे 2जी घोटाले पर फैसला आया है, जिसमें सारे आरोपियों को बरी कर दिया है। पटियाला हाउस कोर्ट की स्पेशल सीबीआई अदालत कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सरकारी वकील आरोप साबित नहीं कर पाए, जज ओपी सैनी ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा है कि दो पक्षों के बीच पैसे का लेन देन हुआ है, वो एक भी सबूत पेश नहीं कर पाया और इसी वजह से आज सारे आरोपियों को बरी किया जाता है।
कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा कारण
मालूम हो ये वो घोटाला है जिसने भारतीय राजनीति की तस्वीर ही बदल दी थी। इस घोटाले के बारे में 2010 में कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) रहे विनोद राय की रिपोर्ट में घोटाले का खुलासा हुआ था। जिसे उस वक्त भाजपा( जो कि विपक्ष में थी) ने अहम मुद्दा बनाया और इसमें कोई शक नहीं कि साल 2014 में कांग्रेस की हार का ये सबसे बड़ा कारण था।
मनमोहन सिंह कमजोर पीएम
इस घोटाले की वजह से मनमोहन सिंह कमजोर पीएम साबित हुए थे। एक न्यूज चैनल को दिये इंटरव्यू में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गठबंधन की मजबूरी का बयान दिया था लेकिन इसके बावजूद वो अपनी पार्टी को घोटाले की आग से बचा नहीं पाए और वो सत्ता से दूर हो गई।
चौतरफा नुकसान
तो वहीं दूसरी ओर डीएमके की छवि एक भ्रष्ट पार्टी की बन गई, जिसका एक नहीं चौतरफा नुकसान करूणानिधि की पार्टी को हुआ था। इस घोटाले के सामने आने पर कांग्रेस ने हमेशा अपनी छवि साफ बताने की कोशिश की क्योंकि कांग्रेस पार्टी हमेशा यही कहती रही कि ए राजा उनके नहीं बल्कि डीएमके के नेता है।
बदलेंगे राजनीतिक समीकरण
फिलहाल इस मामले में डीएमके के दो अहम नेताओं का नाम था पार्टी को इसका नुकसान हुआ था लेकिन अब उसके नुकसान की भरपाई हो सकती है क्योंकि अब उन्हीं आरोपियों के पाक साफ होने का फायदा उठाने की भरपूर कोशिश डीएमके करेगी इसलिए तमिलनाडु में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं।
BJP और DMK आएंगे साथ?
कयास लगाए जा रहे हैं कि कनिमोझी और ए राजा दोनों नेताओं के बरी होने के बाद बीजेपी अब डीएमके को करीब ला सकती है क्योंकि अब डीएमके पाक साफ हो चुकी है और अब बीजेपी को उसके साथ खड़े होने में कोई दिक्कत नहीं होगी। वैसे भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने अपने चेन्नई दौरे के दौरान डीएमके प्रमुख एम करुणानिधी से मुलाकात की थी। उसके बाद से ही राज्य की राजनीति और गठबंधन को लेकर तरह-तरह के कयास लग रहे हैं।
पार्टी होगी मजबूत
इस फैसले के बाद ए. राजा और कनिमोझी डीएमके में मजबूत नेता के तौर पर उभर कर आएंगे, पिछले पांच साल से स्टालिन को पार्टी का राजनैतिक वारिस के तौर पर पेश किया जा रहा है, लेकिन फिर भी पार्टी नेतृत्व के अभाव का सामना कर रही है, उनके बर्ताव पर भी हमेशा से सवाल खड़े होते रहते हैं, ऐसे में कनिमोझी, डीमके की नैया संभाल सकती हैं, वैसे भी तमिलनाडु में जयललिता के निधन के बाद जनता को इमोशनली संभालने वाली नेता चाहिए और उस दायरे में कनिमोझी फिट हो सकती है।
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