नवजोत सिंह सिद्धूः कांग्रेस ने किया बेआबरू अब लौटकर कहां जाएंगे गुरू?
बेंगलुरू। पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू को उनके 'गुरू' और 'ठोकों ताली' जैसे तकिया कलाम ने खूब शोहरत दिलाई। लाजवाब शैली और हाजिर जवाबी के जरिए कॉमेडी से लेकर राजनीतिक मंच से लोगों को अपना मुरीद बना लेने वाले सिद्धू का कैरियर ग्राफ एकाएक गिर गया। इसके पीछे गुरू यानी सिद्धू का बड़बोलापन और उनकी अति महत्वाकांक्षा अधिक दोषी है।
हालांकि क्रिकेटिंग कैरियर के बाद सिद्धू के बड़बोलेपन ने उन्हें सफलता की कई सीढ़ियां प्रदान की, जिसके सहारे सिद्धू कॉमेडी शोज ही नहीं, बल्कि राजनीतिक मंच पर सफलता के खूब झंडे गाड़े। बीजेपी के स्टार प्रचारकों में शुमार नवजोत सिंह सिद्धू की राजनीतिक पारी की शुरूआत वर्ष 2004 में हुई, जहां से सिद्धू एक नहीं, बल्कि दो-दो बार सांसद चुने गए।
वर्ष 2004 से वर्ष 2014 तक अमृतसर से बीजेपी की टिकट पर सांसद चुने गए नवजोत सिंह सिद्धू वर्तमान में पूर्वी अमृतसर विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक हैं। वर्ष 2017 में हुए पंजाब विधानसभा चुमाव में सरकार में कैबिनेट में बतौर बिजली मंत्रीं शामिल हुए सिद्धू बड़बोलेपन के चलते पहले पंजाब कैबिनेट से बाहर कर दिए गए और हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के स्टार प्रचारक की लिस्ट भी दूर कर दिए गए। ये वही सिद्धू हैं, जिनकी हाजिर जवाबी और हंसोड़ छवि उन्हें राजनीतिक मंच प्रदान किया था। सिद्धू की छवि को ऐसा झटका लगा कि वर्तमान में कॉमेडी शो और राजनीतिक दोनों उनसे बहुत दूर हो गए हैं।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ सिद्धू का पैंतरा उनके खिलाफ उल्टा पड़ा। पाकिस्तान प्रधानमंत्री इमरान खान की ताजपोशी के समय सिद्धू का पाकिस्तान दौरा और फिर पाकिस्तानी सेना चीफ जरनल बाजवा के साथ अलिंगनबद्ध होना सिद्धू के लिए ही नहीं, बल्कि कांग्रेस पार्टी के लिए घातक साबित हुआ। सिद्धू द्वारा पाकिस्तान दौरे पर किए गए अपने हरकतों पर दी गई सफाई भी पार्टी को पसंद नहीं आई। इसी दौरान सिद्धू द्वारा पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ दिए गए बयान ने सिद्धू का काम तमाम कर दिया।
सूबे के मुखिया कैप्टन अमरिंदर सिंह को धता बताते हुए सिद्धू ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अपना कैप्टन बताया, जो सिद्धू के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हुआ। सिद्धू को न केवल पंजाब कैबिनेट मंत्री का पोर्ट फोलियों गंवाना पड़ा बल्कि बहुत बेआबरू होकर घर भी बैठना पड़ गया, क्योंकि कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ खड़े सिद्धू को पंजाब प्रदेश कांग्रेस संगठन में कोई बड़ा पद सौंपकर दिल्ली में बैठी कांग्रेस आलाकमान पंजाब प्रदेश संगठन में गुटबाजी को पनपने नहीं देना चाहती थी, क्योंकि हरियाणा समेत विभिन्न राज्यों में कांग्रेस पार्टी अंदरूनी गुटबाजी से लगातार हलकान हैं।
कहा जा सकता है कि सिद्धू की सफलता और असफलता के लिए उनका बड़बोलापन का बड़ा योगदान रहा है। हाजिर जवाबी और अंदाज-ओ-बयां सिद्धू की ताकत थी, लेकिन सिद्धू ने अपनी ताकत का इस्तेमाल जब सकारात्मक राजनीति में किया तो उन्हें सफलता दर सफलता मिलती गई, लेकिन जैसे ही उन्होंने इसका बेजा इस्तेमाल करने की कोशिश की, सिद्धू को मुश्किलों का सामना पड़ा। सिद्धू का जबरन पाकिस्तान दौरा और पाकिस्तानी सेना चीफ जरनल बाजवा से गले मिलना पार्टी की फजीहत का कारण बना। सिद्धू तब भी नहीं सावधान हुए और पाकिस्तान दौरे और जरनल बाजवा से अलिंघन का न्यायोचित ठहराने के लिए जो कुछ भी बोला वह पार्टी के खिलाफ चला गया।
कांग्रेस पार्टी राष्ट्रवाद के मुद्दे पर लगातर भारतीय वोटर्स के निशाने पर थे, जिसका खामियाजा उसे चुनाव दर चुनाव उठाना पड़ा। पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में पार्टी की जीत कांग्रेसी आलाकमान के लिए रेगिस्तान में पानी मिलने के बराबर था, जिसका फायदा पार्टी को राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मिला और पार्टी तीनों बीजेपी शासित राज्यों में सरकार बनाने में कामयाब हुई, सिद्धधू उसी पेड़ को काटने की कोशिश में लगे थे। कैप्टन अमरिंदर सिंह की नाराजगी ही पंजाब के कैबिनेट से सिद्धू की रवानगी का मुख्य कारण था।
पंजाब कैबिनेट से बाहर होते ही सिद्धू का कांग्रेस पार्टी में राजनीतिक कैरियर भी अवसान पर है, जिसकी मुहर कांग्रेस आलाकमान ने हरियाणा और महाराष्ट्र में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव के लिए तैयार स्टार प्रचारकों की सूची में लगा दी। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शुमार नवजोत सिंह सिद्धू का नाम दोनों राज्यों के चुनाव प्रचारकों की सूची के गायब कर दिया गया।
सिद्धू को स्टार प्रचारक के तौर पर हरियाणा नहीं भेजने की बाकायदा गुजारिश की गई थी, क्योंकि हरियाणा कांग्रेस संगठन ने राष्ट्रवाद मुद्दे पर सिद्धू की वजह से चुनाव में नुकसान को हवाला देते हुए हरियाणा चुनाव में स्टार प्रचारक के तौर पर नहीं भेजने की सिफारिश की थी। सिद्धू को लेकर कमोबेश यही आग्रह महाराष्ट्र कांग्रेस यूनिट की तरह से पार्टी आलाकमान को भेजा गया था।
सिद्धू पूर्वी अमृतसर के न्यू प्रीतनगर विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक हैं, लेकिन आरोप है कि विधायक बनने के बाद सिद्धू एक बार भी विधानसभा क्षेत्र का दौरा करने अब तक नहीं पहुंचे हैं, जिससे वहां के स्थानीय नेताओं के साथ विधानसभा के लोग भी सिद्धू से खासा नाराज है, जिससे पार्टी की छवि खराब हो रही है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि कांग्रेस में सिद्धू के दिन पूरे हो चुके हैं और सिद्धू की राजनीतिक कैरियर भी अवसान पर पहुंच चुकी है। सिद्धू कभी भी कांग्रेस से इस्तीफा देकर अलग हो सकते हैं। उनके बीजेपी में दोबारा जाने की संभावना भी कम ही दीखती है।
माना जा रहा है कि अगर सिद्धू कांग्रेस से इस्तीफा देते हैं तो अपनी एक अलग पार्टी बना सकते है, जैसा कि सिद्धू पहले भी कोशिश कर चुके हैं या सिद्धू एक बार फिर आम आदमी पार्टी पंजाब यूनिट में जाने की कवायद शुरू कर सकते हैं, लेकिन लगता नहीं कि आप संयोजक अरविंद केजरीवाल भी राष्ट्रवाद के खिलाफ बनीं सिद्धू की छवि को देखते हुए उन्हें पार्टी में शामिल करने पर विचार करेंगे। ऐसे में सिद्धू के पास एक ही चारा है कि वो क्रिकेट कमेंटरी और कॉमेडी शोज में फिर लौट जाएं। यह आश्चर्य नहीं होगा कि सिद्धू अगर किसी क्रिकेट सीरीज में बतौर कमेंटेटेर सामने आ जाएं अथवा किसी कॉमेडो शो को जज करते हुए दिख जाएं।
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