क्या कांग्रेस ने भी अपना 'अजित डोभाल' खोज लिया?
पुलवामा के बाद कश्मीरियों को भारत के कई हिस्सों में निशाना बनाए जाने और क्या इससे कश्मीरी युवाओं की सोच पर असर होगा, इस सवाल पर वो कहते हैं, "हां, पड़ सकता है, इसलिए हमें सावधान रहने की ज़रूरत है कि हम क्या कर रहे हैं."
इतनी उम्र में भी वो इतने फ़िट और छरहरे कैसे हैं, इस सवाल पर हंसते हुए वो कहते हैं, 'ख़ुश रहकर,' लेकिन क्या ख़ूब व्यायाम करते हैं, या ख़ास क़िस्म का खान-पान, 'नहीं रूटीन एक्सरसाइज़ और वहीं दाल-चावल, रोटी-सब्ज़ी हिंदुस्तानी खाना, हां थोड़ा-थोड़ा खाता हूं.'
यह कहा जा रहा है कि राहुल गांधी को लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) डीएस हुड्डा के रूप में कांग्रेस को अजित डोभाल मिल गए हैं. हाल ही में हुड्डा ने कहा था कि सर्जिकल स्ट्राइक का कुछ ज़्यादा ही राजनीतिकरण किया गया.
हुड्डा को सर्जिकल स्ट्राइक के नायक के तौर पर देखा जाता है. कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ने लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) डीएस हुड्डा को राष्ट्रीय सुरक्षा पर कांग्रेस पार्टी के टास्क फोर्स की ज़िम्मेदारी दी है.
तो क्या हुड्डा कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए हैं? उनका जवाब था, "लोग पूछने लगे थे कि क्या मैं औपचारिक रूप से कांग्रेस में शामिल हो गया हूं. मेरा जवाब है- नहीं."
भारतीय सेना से रिटायरमेंट के बाद हुड्डा पंचकुला में अपनी पत्नी के साथ रहते हैं.
"कांग्रेस पार्टी ने मुझे राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने का काम सौंपा है. मैंने किसी दल की सदस्यता नहीं ली है, न ही हाल-फ़िलहाल में ऐसा कोई इरादा है," यह कहते हुए हुड्डा हल्की हंसी देते हैं.
सोशल मीडिया पर लोग हुड्डा के कांग्रेस पार्टी जॉइन करने की ख़बरें पोस्ट कर रहे थे या कह रहे थे कि जनरल के कांग्रेस की मदद करने से साफ़ हो गया है कि बीजेपी को लेकर क्या सोचते हैं.
विजन डॉक्यूमेंट
फ़िलहाल इस टास्क फोर्ट में जनरल हुड्डा अकेले सदस्य हैं और वो सुरक्षा और विदेश नीति के जानकारों में से कुछ लोगों का चयन कर उनकी सहायता से देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा की ज़रूरतों और भविष्य की रणनीति पर विजन डॉक्यूमेंट तैयार करेंगे.
सितंबर, 2016 में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ हुए सर्जिकल स्ट्राइक के समय उत्तरी कमान के मुखिया रहे जनरल हुड्डा कहते हैं कि वो एक माह के भीतर इस विजन डॉक्यूमेंट को तैयार कर लेंगे.
"हालांकि रक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों में राष्ट्रीय सुरक्षा पर विजन डॉक्यूमेंट की मांग लंबे समय से होती रही है ताकि इसे भारत की रक्षा और विदेश नीति तय करने में मदद मिल सके." लेकिन इसके लिए जनरल हुड्डा को अपने किताब पढ़ने के शौक में ख़ासा कमी करनी होगी क्योंकि ये एक आसान काम नहीं.
रक्षा क्षेत्र से लेकर उपन्यास, या यूं कहें हर क़िस्म की किताब पढ़ने का जनरल हुड्डा को बेहद शौक है और इसने एक नए शौक को भी जन्म दिया है अख़बारों, मैगज़ीन और जर्नल्स में लेख लिखना.
और ज़ाहिर है जब पढ़ने का शौक है तो देश और विदेश में क्या हो रहा है इस पर उनकी नज़र बराबर बनी रहती है और पुलवामा को लेकर भी उनकी अपनी राय है.
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भावनाओं में बहकर कार्रवाई नहीं करनी चाहिए
जनरल हुड्डा कहते हैं, "पुलवामा में जो हुआ उसे लेकर लोगों में जिस तरह का ग़ुस्सा है, उसे समझा जा सकता है लेकिन सरकार को इन भावनाओं में बहकर किसी तरह की कार्रवाई नहीं करनी चाहिए."
"हुकूमत को ठंड़े दिमाग़ से सोचना होगा कि उसे पाकिस्तान के ख़िलाफ़ किस तरह के क़दम उठाने हैं, आर्थिक या सैन्य. कुछ नहीं करना कोई विकल्प नहीं है."
जनरल हुडा ने नवंबर में ही भारतीय फौज के पुनर्गठन पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभल को एक रिपोर्ट सौंपी है.
फौज के पुनर्गठन को लेकर उनकी राय है कि भारतीय फौज की क्षमता में और बढ़ोतरी करने की ज़रूरत है, जिससे उसकी संख्या में कमी करने में मदद मिल सकती है.
वो कहते हैं ये बजट के बेहतर इस्तेमाल में भी मददगार साबित होगा.
पुलवामा के बाद कश्मीरियों को भारत के कई हिस्सों में निशाना बनाए जाने और क्या इससे कश्मीरी युवाओं की सोच पर असर होगा, इस सवाल पर वो कहते हैं, "हां, पड़ सकता है, इसलिए हमें सावधान रहने की ज़रूरत है कि हम क्या कर रहे हैं."
इतनी उम्र में भी वो इतने फ़िट और छरहरे कैसे हैं, इस सवाल पर हंसते हुए वो कहते हैं, 'ख़ुश रहकर,' लेकिन क्या ख़ूब व्यायाम करते हैं, या ख़ास क़िस्म का खान-पान, 'नहीं रूटीन एक्सरसाइज़ और वहीं दाल-चावल, रोटी-सब्ज़ी हिंदुस्तानी खाना, हां थोड़ा-थोड़ा खाता हूं.'
जनरल हुड्डा मणिपुर में भी कमान पोज़ीशन में रहे थे. मणिपुर और कश्मीर में क्या फ़र्क़ पाया उन्होंने?
"उत्तर-पूर्व और कश्मीर दोनों अलग-अलग इलाक़े हैं, इन दोनों क्षेत्रों में दिक़्क़ते हैं लेकिन दोनों अलग-अलग तरह की हैं."