डेल्टा वेरिएंट को लेकर वैक्सीन की बढ़ी मांग, कोविशील्ड ने दिखाया- बन सकती है विकल्प
नई दिल्ली, 4 अगस्त। कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट के दुनिया भर में बढ़ते संक्रमण और इसकी गंभीरता ने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है। डेल्टा वेरिएंट वायरस के दूसरे स्ट्रेन के मुकाबले अधिक संक्रामक है और यह संभावित रूप से अधिक गंभीर लक्षण लिए हुए है। यही वजह है कि खोजकर्ता अब डेल्ट वेरिएंट को लेकर खास वैक्सीन की ओर ध्यान दे रहे हैं।
इंग्लैण्ड में 98,000 लोगों पर किए गए एक अध्ययन के शोधकर्ता के हवाले से ब्लूमबर्ग ने कहा है कि "डेल्टा वेरिएंट कोरोना मामलों की तीसरी लहर की प्रमुख वजह बना है। खास बात यह है कि इसमें टीका न लेने वाले और टीका लेने वाले दोनों लोग संक्रमित हुए हैं।
रिएक्ट-1 नामक इस अध्ययन में 24 जून से 12 जुलाई तक के कोविड परीक्षण के परिणामों का अध्ययन किया गया था। यह वही समय है जब पूरे ब्रिटेन में डेल्टा वेरिएंट के चलते कोरोना केस में तेजी से वृद्धि देखी गई थी। अल्फा वेरिएंट से किसी तरह उबर रहे ब्रिटेन के लिए डेल्टा वेरिएंट बड़ा झटका लेकर आया था और सर्दियों में भयावहता का कारण बना था।
टीका
लेने
वाले
भी
हो
रहे
संक्रमित
डेल्टा
वेरिएंट
जिस
तरह
से
टीका
लगने
वाले
लोगों
को
भी
अपने
चपेट
में
ले
रहा
है
इसने
वैज्ञानिकों
को
चिंतिंत
किया
है।
ऐसे
देश
जहां
पर
टीकाकरण
की
दर
उच्च
है
और
बड़ी
संख्या
में
वैक्सीन
की
दोनों
डोज
लेने
वालों
का
संक्रमित
हो
जाना
महत्वपूर्ण
मुद्दा
बनता
जा
रहा
है।
अध्ययन
में
शोधकर्ताओं
ने
नोट
किया
है
कि
हालांकि
इस
तरह
की
चिंता
दुनिया
के
छोटे
हिस्से
को
प्रभावित
करती
है
क्योंकि
अभी
दुनिया
में
केवल
13
प्रतिशत
को
ही
पूरी
तरह
से
टीका
लगा
है।
इनमें
अधिकतर
विकसित
देश
हैं।
कोरोना वायरस से बच्चों को किस हद तक है खतरा? नई रिसर्च में हुआ खुलासा
इस बीच भारत में निर्मित कोविशील्ड वैक्सीन के जरिए डेल्टा वेरिएंट को निष्क्रिय करना और वैक्सीन प्राप्त करने वाले संक्रमित करने वाले लोगों के अध्ययन में ये सामने आया है कि कोविशील्ड डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ लड़ाई में कारगर हो सकती है।
अध्ययन में ये पता चला था कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद कोविशील्ड की एक या दो डोज लेने वालों में बिना संक्रमण के कोविशील्ड की एक या दो डोज लेने वालों की तुलना में डेल्टा वेरिएंट के प्रति अधिक क्षमता देखी गई है।