Delhi violence: पुलिस पर हमले का वीडियो आया सामने, DCP को बचाने की कोशिश में कॉन्स्टेबल रतन लाल हुए शहीद- सूत्र
नई दिल्ली। पिछले महीने दिल्ली में भड़की हिंसा में दर्जनों लोगों की मौत हो गई थी, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे। हिंसा के दौरान दिल्ली पुलिस के कॉन्स्टेबल की भी मौत हो गई थी, जबकि कई पुलिस वाले भी इसमे घायल हुए थे। हिंसा के दौरान का एक वीडियो सामने आया है जिसमे देखा जा सकता है कि किसी तरह से भीड़ ने पुलिस को घेरकर उनकी जमकर पिटाई की थी। यह वीडियो 24 फरवरी का नई दिल्ली के चांदबाग इलाके का है। वीडियो के सामने आने के बाद अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह से दंगाई भीड़ ने पुलिस वालों को निशाना बनाया।
डीसीपी अमित शर्मा को बचाने में शहीद हुए रतन लाल
जिस समय भीड़ ने पुलिस पर धावा बोला उस वक्त डीसीपी अमित शर्मा पुलिस की टीम की अगुवाई कर रहे थे। जो लोग नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे थे वो पुलिस पर पत्थरबाजी कर रहे थे। वीडियो में देखा जा सकता है कि एक महिला भी पुलिसवालों पर पत्थर फेंक रही है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि डीसीपी अमित शर्मा की भीड़ ने बुरी तरह से पिटाई की थी। इस दौरान डीसीपी अमित शर्मा को भीड़ से बचाने के दौरान कॉन्स्टेबल रतन लाल की मौत हो गई थी।
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531 केस दर्ज
दिल्ली हिंसा को लेकर पुलिस ने अभी तक कुल 531 केस दर्ज किए हैं। जिसमे 47 केस आर्म्स एक्ट के तहत दर्ज किए गए हैं। पुलिस ने बताया कि अभी तक 1647 लोगों को गिरफ्तार या हिरासत में लिया जा चुका है। इन सब के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी बुधवार को हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करने के लिए पहुंचे थे। यहां का दौरा करने के बाद राहुल गांधी ने कहा कि हम सरकार से अपील करते हैं कि दिल्ली हिंसा की सदन में चर्चा हो। गौरतलब है कि दिल्ली हिंसा में 47 लोगों की मौत हुई थी, जबकि तकरीबन 200 लोग घायल हो गए थे।
2 दिन में 13000 कॉल
दिल्ली हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस ने जो रिपोर्ट तैयार की है उसमे कहा गया है कि हिंसा में कम से कम 500 लोग घायल हुए हैं। गोली लगने के अलावा लोग धारदार या कुंद हथियार से जख्मी हुए हैं। अधिकतर लोग पत्थरबाजी या फिर आग की वजह से घायल हुए हैं। पुलिस कंट्रोल रुम को 21000 कॉल 22 फरवरी से 29 फरवरी के बीच मिली है। 24 और 25 फरवरी को जब सांप्रदायिक हिंसा भड़की तो उस वक्त हिंसा अपने चरम पर थी। इस दौरान 13000 कॉल पुलिस को प्राप्त हुए। इसमे से 6000 कॉल पैनिक कॉल थी, जो दंगे से संबंधित नहीं थी।
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