किसानों के संसद मार्च से पहले दिल्ली पुलिस ने बढ़ाई सुरक्षा, दंगा रोधी बल को रखा स्टैंडबाय पर
नई दिल्ली, जुलाई 21: मानसून सत्र के दौरान किसानों ने तीन कृषि कानूनों के विरोध में गुरुवार को संसद भवन तक मार्च करने का आह्वान किया है। इसे देखते हुए दिल्ली पुलिस ने सिंघू बॉर्डर पर सुरक्षाबलों की तैनाती बढ़ा दी है। दिल्ली पुलिस ने बुधवार को संसद के चल रहे मानसून सत्र के दौरान किसानों को जंतर-मंतर पर कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग को लेकर प्रदर्शन करने की अनुमति दे दी है।
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दिल्ली पुलिस ने कहा कि किसान पुलिस एस्कॉर्ट के साथ बसों में सिंघू सीमा से जंतर मंतर तक ले जाए जाएंगे। गुरुवार को सिंघू बॉर्डर पर 3,000 अर्धसैनिक बलों के जवानों के साथ दिल्ली पुलिस के कम से कम 2,500 जवानों की तैनाती की जाएगी। इसके अलावा, असामाजिक तत्वों को दिल्ली में जबरदस्ती घुसने से रोकने के लिए दंगा विरोधी बल, वाटर कैनन और आंसू गैस के के साथ तैयार रखा गया है।
पुलिस ने आधिकारिक तौर पर किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने और संसद भवन के पास इकट्ठा होने की अनुमति नहीं दी है। पुलिस ने उन्हें कोविड दिशानिर्देशों के कारण अपनी विरोध योजना पर पुनर्विचार करने की सलाह दी है। किसानों ने पुलिस को बताया कि मानसून सत्र के अंत तक हर दिन 200 किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक जंतर-मंतर पहुंचकर धरना प्रदर्शन करेंगे।
किसानों ने कहा कि इन 200 किसानों में से प्रत्येक को पहचान पत्र लेकर पुलिस के साथ बसों में दिल्ली पहुंचना है। हालांकि इस साल 26 जनवरी की घटनाओं से सबक लेते हुए पुलिस ने अपने इंतजाम कर लिए हैं। पुलिस ने कहा कि, गणतंत्र दिवस के जैसे हंगामे की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए सभी इंतजाम किए जा रहे हैं। हमने इलाके में भारी बैरिकेडिंग कर दी है। मुख्य राजमार्ग के अलावा दिल्ली की ओर जाने वाले सभी रास्तों पर निगरानी रखी जा रही है और चौबीसों घंटे निगरानी की जा रही है। हमारे पास पर्याप्त तैनाती है, हवाई दृश्य से नजर रखने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है और दंगा विरोधी बल भी तैयार है।
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पुलिस अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के मौजूदा कोविड दिशानिर्देशों के अनुसार, बड़ी सभाओं की अनुमति नहीं दी जा सकती है। एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बातचीत अभी जारी है। अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "भले ही हम किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं, फिर भी हम किसान नेताओं से बीच का रास्ता निकालने के लिए बात कर रहे हैं ताकि चीजें शांतिपूर्ण रहें और कानून-व्यवस्था की कोई स्थिति पैदा न हो।