Delhi Violence: एक साल बाद भी दिल्ली पुलिस वीडियो में आरोपी पुलिसवालों की नहीं कर पाई पहचान
नई दिल्ली। तकरीबन एक साल पहले दिल्ली हिंसा के दौरान एक वीडियो सामने आया था जिसमे कई लोग जमीन पर घायल पड़े थे और सुरक्षाकर्मी उनसे जबरन वंदे मातरम और राष्ट्रगान गाने के लिए कह रहे थे। नॉर्थईस्ट दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान के इस वीडियो के एक साल बाद भी आजतक यह नहीं पता चल पाया है कि आखिर किन लोगों ने इन लोगों को जबरन राष्ट्रगान और वंदे मातरम गाने के लिए कहा था। दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट को बताया है कि उन्होंने अभी तक इन पुलिसवालों की पहचान नहीं की है जो लोग वीडियो में दिख रहे हैं। जो मुख्य वीडियो है उसमे 23 साल के फैजान की चोटिल होने की वजह से मौत हो गई थी।
फैजान की मांग किस्मतून की ओर से इस मामले में कोर्ट में याचिका दायर की गई है और उन्होंने मामले की एसआईटी जांच की मांग की है। इस मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट में कहा है कि 9 पुलिसवालों के चेहरे वीडियो में दिख रहे हैं, लेकिन जो वीडियो हमारे पास है उसमे लोगों के चेहरे ब्लर हैं। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जिन लोगों के साथ वीडियो में शोषण किया जा रहा है उनके नाम फैजान, फरहान, कौसर, रफीक और वसीम हैं। चार वीडियो क्लिप में से तीन वीडियो कुछ दूरी से बनाए गए हैं, जिसमे पुलिसवालों के चेहरे साफ नहीं हैं और उनकी पहचान नहीं की जा सकती है क्योंकि इन लोगों ने हेलमेट पहन रखा है। वीडियो मोबाइल कैमरे से शूट होने की वजह से ना तो पुलिसवालों को नाम और ना ही उनके चेहरे साफ है।
दिल्ली पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि जिन लोगों ने वीडियो में लोगों के साथ मारपीट की उनकी पहचान के लिए काफी गंभीर प्रयास किए गए, लोगों की हेलमेट नंबर और यूनिफॉर्म बैज से पहचान की कोशिश की गई। पुलिस ने बताया कि फैजान व अन्य को ज्योति नगर पुलिस स्टेशन पर रखा गया था क्योंकि ये लोग खुद यहां तनाव की वजह से सुरक्षा के लिए रहना चाहते थे। जस्टिस योगेश खन्ना की बेंच ने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि यह खोखला जवाब है, ज्योति नगर पुलिस स्टेशन में उस वक्त सीसीटीवी कैमरे चल रहे थे या नहीं इसका शपथपत्र दायर करिए।
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