सुप्रीम कोर्ट के जजों की आपत्ति के बाद दिल्ली HC के जज मुरलीधर का तबादला रुका
नई दिल्ली। कई बड़े फैसले देने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस एस मुरलीधर के दिल्ली से बाहर ट्रांसफर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के तीन सदस्यों के बीच दो बार चर्चा हुई थी। साम्प्रदायिक हिंसा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामले में ऐतिहासिक फैसला देने वाले जस्टिस एस मुरलीधर का तबादला फिलहाल रोक दिया गया है। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, दिसंबर और जनवरी में दो बार हाईकोर्ट के जस्टिस एस मुरलीधर के तबादले पर चर्चा हुई थी।
जज मुरलीधर का तबादला रुका
खबर के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के सदस्य जस्टिस बी लोकुर और जस्टिस सिकरी की आपत्ति के कारण जस्टिस मुरलीधर का तबादला रुक गया है। जस्टिस मुरलीधर साल 2018 में अपने कई फैसलों के कारण चर्चा में रहे। इनमें माओवादियों से लिंक होने के केस में गौतम नवलखा पर आरोपों से जुड़ा मामला भी शामिल है। उन्होंने ही हाशिमपुरा केस में यूपी पीएसी के जवानों को सजा का ऐलान किया था।
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कई अहम फैसले दे चुके हैं जस्टिस मुरलीधर
इसके अलावा सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक केस में उन्होंने पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को सजा सुनाई थी। इस केस में दो सदस्यीय बेंच की अध्यक्षता जस्टिस एस मुरलीधर ने की थी। पिछले साल रिजर्व बैंक के स्वतंत्र निदेशक एस गुरुमूर्ति ने जस्टिस मुरलीधर की कड़ी आलोचना की थी। जिसके बाद, जस्टिस मुरलीधर ने गुरुमूर्ति के खिलाफ अवमानना की प्रक्रिया शुरू कर दी थी।
दो बार हुई थी जस्टिस मुरलीधर के तबादले को लेकर चर्चा
इस मामले में 11 दिसंबर को चैंबर में सुनवाई हुई थी। इसके बाद ही पहली बार जस्टिस मुरलीधर के तबादले की कोशिश की खबर आई थी। पिछले हफ्ते ही सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम ने जस्टिस माहेश्वरी और जस्टिस खन्ना को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त करने की सिफारिश की थी।