ब्लैक फंगस की दवा की होने लगी किल्लत, अस्पतालों को गुजरना पड़ रहा है लंबी कागजी प्रक्रिया से
नई दिल्ली, मई 21। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच देश के कई राज्यों में ब्लैक फंगस का खतरा बहुत अधिक बढ़ गया है। कई राज्य सरकारों ने तो ब्लैक फंगस को महामारी तक घोषित कर दिया है। ऐसे में ब्लैक फंगस को रोकने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा एम्फोटेरिसिन बी की जमाखोरी का सिलसिला शुरू हो गया है। दिल्ली के कई प्राइवेट अस्पताल इस दवा की कमी से गुजर रहे हैं। आपको बता दें कि हाल ही में दिल्ली सरकार ने इस दवा की बिक्री पर पूरी तरह से अपना कंट्रोल कर लिया था, जिसके बाद प्राइवेट अस्पताल इस दवा की खरीद के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
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दवा की खरीद के लिए संघर्ष करते नजर आए अस्पताल
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, एक प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टर ने एम्फोटेरिसिन बी की किल्लत को एक तरह से ऑक्सीजन संकट की तरह ही माना है। उन्होंने कहा है, "हमारे पास आज दवा है, लेकिन हम नहीं जानते कि कल हमारे पास दवा होगी या नहीं।" चिंता की बात यह है कि ज्यादातर एक्सपर्ट का मानना है कि आने वाले दिनों में ब्लैक फंगस का खतरा बहुत अधिक बढ़ेगा"
क्यों अस्पताल इस दवा के लिए करेंगे संघर्ष?
आपको बता दें कि दिल्ली सरकार ने हाल ही में इस इंजेक्शन की कालाबाजारी और जमाखोरी को रोकने के लिए एक अहम फैसला लिया था। सरकार ने एक 3 सदस्यीय टेक्निकल कमेटी बनाई थी, जिसे ये काम दिया गया है कि वो ब्लैक फंगस बीमारी से पीड़ित मरीजों के उपचार पर नजर रखते हुए जरूरी दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित कराएगी। सरकार के इस फैसले के बाद दिल्ली के किसी भी अस्पताल को एम्फोटेरिसिन बी (Amphotericin B) इंजेक्शन लेने के लिए इसी तीन सदस्यीय कमेटी के पास आवेदन करना होगा।
क्या परेशानियां हो रही हैं अस्पतालों को?
सरकार के इस फैसले के बाद डॉक्टरों का कहना है कि सामान्य परिस्थितियों में अगर हमारे पास दवा होगी तो हम उसका तुरंत इस्तेमाल कर मरीज को उपचार दे देंगे, लेकिन अब हमें इसके इस्तेमाल के लिए कागजी कार्रवाई से गुजरना होगा। उजाला सिग्नस अस्पताल के निदेशक डॉ शुचिन बजाज ने बताया कि सरकार ने एम्फोटेरिसिन बी की आपूर्ति को अपने हाथ में ले लिया है, अस्पतालों को सरकारी समिति को आवेदन करना पड़ रहा है, जिसने तय किया कि रोगी को लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी की आवश्यकता है या नहीं।
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