रेल भवन धरना: केजरीवाल-सिसोदिया पर आरोप तय, आशुतोष और संजय को राहत
नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने 2014 में रेल भवन के सामने धरना प्रदर्शन देने के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी के अन्य नेता सोमनाथ भारती और राखी बिड़ला के खिलाफ निरोधात्मक आदेशों का उल्लंघन करने और सार्वजनिक तौर पर बाधा डालने का आरोप तय किया है। हालांकि अदालात ने आम आदमी पार्टी के नेता और पत्रकार अशुतोष को बरी कर दिया है।
दरअसल आपको बता दें कि केजरीवाल और पार्टी के अन्य नेताओं ने साल 2014 में 20 जनवरी को रेल भवन के सामने धरना दिया था। जिसमें उन्होंने उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी जिन्होंने सोमनात भारती की शिकायत पर दक्षिणी दिल्ली में एक कथित ड्रग और वेश्यावृत्ति रैकेट पर छापा मारने से इनकरा कर दिया था।
कोर्ट ने कुछ छह आरोपियों के खिलाफ कथित रूप से निषेधात्मक आदेशों का उल्लंघन करने और सार्वजनिक कर्मचारियों को उनके आधिकारिक कर्तव्य के निर्वहन में बाधा डालने को लेकर आरोप तय किए गये हैं। हालांकि इस संबंध में विस्तृत जानकारी आनी बाकी है। पुलिस ने उन पर आईपीसी की विभिन्ना धाराओं 145, 147, 353 और अन्य धाराओं के तहत कोर्ट को आरोपपत्र दिया था।
पुलिस ने कहा है कि धरने के दौरान केजरीवाल ने निषेधात्मक आदेशों का पालान करने से इनकार करते हुए उत्तरी ब्लाक में स्थित तत्कालीन गृहमंत्री के कार्यालय में 250 से 300 समर्थकों के साथ मार्च किया था। जबकि पुलिस ने उनको ऐसा करने से मना किया था। चार्जशीट में पुलिस ने कहा कि पूरा जुलूस ही निषेधात्मक आदेशों को धता बताते हुए धरना पर बैठ गया था। इसके अलावा पुलिस ने कहा है कि केजरीवाल ने अगले दिनों तक रेल भवन चौक पर धरना देने की धमकी देते हुए भड़काउ भाषण दिए थे।
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