डिग्री पर कांग्रेस ने गाने से कसा तंज, स्मृति बोलीं- कितना भी अपमानित कर लो, मुझे रोक नहीं सकते
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नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता स्मृति ईरानी ने अमेठी लोकसभा सीट से नामांकन किया है। इस दौरान उन्होंने जो चुनावी हलफनामा दाखिल किया है उसके मुताबिक वो ग्रैजुएट नहीं है। इसको लेकर कांग्रेस ने स्मृति ईरानी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस की तरफ से हो रहे लगातार हमलों पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि उनपर हमला करने का कांग्रेस को अधिकार है लेकिन वे उनको रोक नहीं सकते हैं।
जितना अपमानित करोगे, मजबूती से लड़ूंगी- ईरानी
डिग्री मामले पर कांग्रेस के तंज पर स्मृति ईरानी ने कहा, 'पिछले 5 सालों में उन्होंने हर तरह से मुझ पर हमला किया है। मेरा उनके लिए केवल एक ही संदेश है- जितना अधिक आप मेरा अपमान करेंगे, जितना अधिक आप मुझ पर हमला करेंगे, उतनी मजबूती से मैं अमेठी में कांग्रेस के खिलाफ काम करूंगी।' उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नामदार के खिलाफ वे चुनाव लड़ रही हैं इसलिए उनसे देखा नहीं जा रहा है।
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ईरानी के नामांकन के बाद कांग्रेस का हमला तेज
अमेठी से स्मृति ईरानी के नामांकन के बाद कांग्रेस ने उनको घेरना शुरू किया। चुनावी हलफनामे में उनकी शैक्षणिक योग्यता पर कांग्रेस की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने तंज किया, 'एक नया सीरियल आने वाला है- क्योंकि मंत्री भी कभी ग्रैजुएट थीं। इसकी ओपनिंग लाइन होगी- क्वालिफिकेशन के भी रूप बदलते हैं, नए-नए सांचे में ढलते हैं, एक डिग्री आती है, एक डिग्री जाती है, बनते एफिडेविट नए हैं।' कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि क्वालिफिकेशन को लेकर स्मृति ईरानी ने एक चीज कायम की है कि किस तरीके से ग्रैजुएट से 12वीं क्लास के हो जाते हैं, वह मोदी सरकार से ही और मोदी सरकार में ही मुमकिन है।
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हलफनामे के मुताबिक, ईरानी ने 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की है
चुनावी हलफनामे में स्मृति ईरानी ने बताया है कि उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की है, जबकि स्नातक की पढ़ाई पूरी नहीं कर सकी हैं। बीजेपी नेता ने नामांकन के दौरान दिए गए शपथ पत्र में अपनी शैक्षणिक जानकारी देते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि उन्होंने 1991 में 10वीं की पढ़ाई पूरी की, 12 की पढ़ाई 1993 मे पूरी की। साथ ही में उन्होंने यह भी जानकारी दी है कि बीकॉम के लिए उन्होंने अपना एडमिशन कराया था, लेकिन वह उसे पूरा नहीं कर सकीं। बीकॉम के लिए उन्होंने 1994 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग में दाखिला लिया था, लेकिन वह पहले वर्ष के बाद ही इसे पूरा नहीं कर सकीं।