'नदी बोली समंदर से, मैं तेरे पास आई हूं', सागर की लहरों पर लाखों रुपये महीने सैलरी पा रहीं भारत की बेटियां
केरल भारत का अग्रणी राज्य है। यहां CUSAT में मरीन इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद युवतियों को बड़ी शिपिंग कंपनियों में लाखों रुपये महीने की सैलरी ऑफर हो रही है। cusat kerala marine engineering female cadets placements in big
कोच्चि, 07 सितंबर : दिवंगत गीतकार कुंवर बेचैन की कविता में एक पंक्ति है- 'नदी बोली समंदर से मैं तेरे पास आई हूं...' इस प्रेम गीत में कुंवर बेचैन नदी और समुद्र के रिश्तों की बात करते समय पुरुष और महिलाओं की बात भी कर रहे हैं। महिलाओं के श्रृंगार का अहम हिस्सा- कंगन का भी इस कविता में अद्वितीय चित्रण है। नदी समुद्र से कहती है- '...पहन आई मैं हर गहना, कि तेरे साथ ही रहना। लहर की चूड़ियाँ पहना, मैं पानी की कलाई हूं।' दरअसल, आम धारणा में महिलाओं को श्रृंगार और कोमलता से जोड़कर देखा जाता है, और समुद्र को पुलिंग यानी पौरुष का प्रतीक माना जाता रहा है। पढ़िए भारत की बेटियों की प्रेरक कहानी (तस्वीरें साभार- kmsme.cusat.ac.in)
कामयाबी के नए प्रतिमान स्थापित
बदलते दौर के साथ इंसान मंगल ग्रह और अंतरिक्ष तक अपनी धाक जमा चुका है, ऐसे समय में धारणाओं को धूमिल कर रही भारत की बेटियां जल, थल और नभ तीनों जगहों पर कामयाबी के नए प्रतिमान स्थापित कर रही हैं। ये कहानी उन बेटियों की है, जिन्होंने अथाह जलराशि यानी सागर को अपना ठिकाना बनाया। मरीन इंजीनियरिंग का चैलेंजिंग विकल्प चुनने वाली इन युवतियों का रोमांचक सफर कोचिन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (CUSAT) में नामांकन के साथ शुरू हुआ। ये विकल्प ऐसा है जिसमें महीने में लाखों रुपये की आमदनी भी हो रही है।
लाखों रुपये महीने की सैलरी
लंबे समय से हमारी चेतना और धारणा में 'पुरुषार्थ', 'रोमांच' जैसे तमाम विशेषण पुरुषों से जोड़कर देखे जाते रहे हैं। मरीन इंजीनियरिंग जैसे ऑप्शन का चुनाव पारंपरिक तौर पर पुरुष ही करते हैं, लेकिन अब भारत की बेटियों ने भी समंदर की लहरों पर कामयाबी की स्वर्णिम तहरीर लिखने का संकल्प लेना शुरू कर दिया है। उदाहरण हैं CUSAT के मरीन इंजीनियरिंग कोर्स में खुद को तपा रहीं 35 छात्राएं। कोर्स पूरा करने के बाद इन युवतियों को 1.5 लाख रुपये प्रतिमाह जैसे आकर्षक पैकेज भी मिल रहे हैं।
फ्रेशर्स को भी बंपर कमाई का मौका
CUSAT में कुंजली मरक्कर स्कूल ऑफ मरीन इंजीनियरिंग (KMSME) के आंकड़ों के मुताबिक 35 छात्राएं इस समय कोर्स कर रही हैं। महिलाओं को मेर्स्क लाइन (Maersk Line), कार्निवल क्रूज (Carnival Cruise) और बर्नहार्ड शुल्ते शिपमैनेजमेंट (Bernhard Schulte Shipmanagement) जैसी बड़ी शिपिंग कंपनियों में प्लेसमेंट भी मिल रहे हैं। क्रूज़लाइनर कंपनियां फ्रेशर्स के रूप में इन युवतियों को शुरुआत में 1.5 लाख रुपये प्रति माह यानी 18 लाख रुपये सालाना की सैलरी पैकेज का ऑफर मिल रहा है।
गर्ल कैडेट को मिल रहे बेहतर ऑफर्स
KMSME में एसोसिएट प्रोफेसर और कोर्स इंचार्ज जिस जॉर्ज ने बताया कि नीला जॉन 2017 में पास आउट होने वाली पहली गर्ल कैडेट थीं। उन्होंने बताया, वर्तमान में नीला सिनर्जी शिपमैनेजमेंट के साथ काम कर रही हैं। 2019 और 2020 में पास हुई दो गर्ल कैडेट्स कार्निवाल शिपिंग में शामिल हुईं। 2021 बैच की तीन युवतियों को सीस्पैन शिपिंग, मेर्स्क और बीएमएस में नौकरी मिली है।
अनुभव के साथ बेहतर वेतन
मरीन इंजीनियरिंग जैसे विकल्पों में लड़कियों की बढ़ती रुचि पर पाठ्यक्रम प्रभारी ने बताया कि 2022 बैच की सात लड़कियों में से तीन Maersk के साथ काम कर रही हैं। फ्रेशर्स के रूप में, उन्हें आमतौर पर इंजन कैडेट या जूनियर इंजीनियर कहा जाता है। KMSME में बतौर प्रोफेसर कार्यरत वेणुगोपाल आर ने कहा, नौकरी में आने के बाद युवतियों या फ्रेशर्स का वेतन धीरे-धीरे बढ़ता है। उन्होंने बताया कि समय बीतने और अनुभव के साथ पदनाम भी बदलता है और वेतन भी बेहतर होता जाता है।
फ्रेशर को भी 1.5 लाख रुपये प्रतिमाह !
KMSME में कोर्स इंचार्ज जिस जॉर्ज के मुताबिक विदेशी मालवाहक जहाजों पर नियुक्ति के लिए कैडेट्स को शुरुआत में 300 से 500 अमेरिकी डॉलर प्रतिमाह की सैलरी ऑफर होती है। भारतीय कंपनियां 30,000 रुपये से 40,000 रुपये की पेशकश करती हैं। क्रूज लाइनर के मामले में ये कहानी बिलकुल अलग हो जाती है। कार्निवल जैसी बड़ी कंपनियां नए कैडेट्स को भी लगभग 1.5 लाख रुपये प्रतिमाह की सैलरी ऑफर करती हैं।
प्रोमोशन हुआ तो तीन से पांच लाख महीने की कमाई
कैडेट एक बार समुद्री यात्राएं शुरू करते ही अनुभव हासिल करने लगता है। ऐसे में बढ़ते अनुभव के साथ प्रोमोशन का टेस्ट भी दिया जा सकता है। यह पूरी योग्यता पर आधारित होता है। पुरुष और महिला कैडेट्स के साथ समान व्यवहार किया जाता है। एक बार चौथे इंजीनियर ( fourth engineers) के रूप में प्रोमोशन मिलने के बाद वेतन लगभग दो से तीन गुना अधिक यानी 1,200 से 2,000 अमेरिकी डॉलर तक बढ़ जाता है। भारतीय कंपनियों में fourth engineers को करीब 80,000 रुपये प्रतिमाह मिलते हैं।
कार्निवल में पहली भारतीय महिला
कार्निवल शिपिंग में बतौर मरीन कैडेट (marine cadet) काम कर रहीं, उन्नीमाया उन्नीकृष्णन (Unnimaya Unnikrishnan) ने अपना अनुभव भी शेयर किया। न्यू इंडियनएक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक उन्नीकृष्णन ने बताया कि वह कंपनी में भर्ती होने वाली पहली भारतीय महिला थीं। केरल के कलामासेरी में रहने वाली उन्नीकृष्णन ने अपनी शुरुआत के बारे में बताया कि कार्निवल ने भारतीय पुरुष कैडेटों की भर्ती कुछ साल पहले ही शुरू की थी, ऐसे में उन्होंने भी अप्लाई किया और एक शिप कॉन्ट्रैक्ट पूरा कर चुकी हैं। उन्होंने कहा कि ओणम की शुरुआत (Thiruvonam Day) के समय उन्हें अमेरिका के मियामी से दूसरा सफर सफर शुरू करना है।
केवल चार महीने काम करते हैं
करियर की शुरुआत में एक टैंकर जहाज पर काम करने वाली कैडेट ने समुद्र और शिप पर चुनौतियों के बारे में बताया, इंजन कक्ष में काम करना बहुत कठिन है। गर्मी और भारी उपकरण आपको पस्त कर सकते हैं। हालांकि, एक बार जब आप महारत हासिल कर लेते हैं, तो सब कुछ आसान हो जाता है। उन्होंने बताया कि पुरुषों के वर्चस्व वाले काम के माहौल में महिला कैडेटों को अडजस्टमेंट में थोड़ी परेशानी होती है, लेकिन वह भी कुछ समय बाद ठीक हो जाती है। वर्किंग आवर्स यानी कितने घंटे काम करना पड़ता है, इस सवाल पर उन्होंने कहा, यहां बहुत ही अलग माहौल है, केवल चार महीने काम करने की जरूरत पड़ती है।
मर्चेंट नेवी का करियर दिलचस्प
इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम के बाद भारतीय नौसेना में शामिल होने का सपना देख रहीं गोपिका फिलहाल Maersk में नौकरी पा चुकी हैं। उन्होंने कहा, डिग्री प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बाद नौकरी की शुरुआत होगी। गोपिका ने बताया, जब उन्होंने CUSAT में KMSME मरीन इंजीनियरिंग कोर्स चुना, उससे पहले विकल्पों पर रिसर्च के दौरान मर्चेंट नेवी को भी उतना ही दिलचस्प पाया।
लड़कियों की संख्या बढ़े इसके लिए विशेष अभियान
अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) की भागीदारी और परियोजना विभाग के प्रमुख जोस मैथिकल ने बताया कि लड़कियां समुद्री क्षेत्र नौकरी के लिए प्रोत्साहित हों, इसके लिए वैश्विक अभियान - women-in-maritime campaign शुरू किया गया है। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में अधिक महिलाएं रुचि दिखाएं, इसके लिए IMO कई देशों को कार्यक्रम विकसित करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। IMO कंपनियों से भी भर्ती करने के तरीके बदलने का भी आग्रह कर रहा है। कोशिशों के परिणाम पर जोस मैथिकल ने बताया, समुद्री क्षेत्र में महिलाओं को लाने की बात पर अभी भी हमें लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।