स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बताया कोविशील्ड की 2 डोज के बीच गैप बढ़ाने के पीछे का कारण
नई दिल्ली, 16 जून। भारत में कोरोना वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत 16 जनवरी को हुई थी। 16 जनवरी से अब तक देश में 26 करोड़ से अधिक लोगों को कोरोना की खुराक दी जा चुकी है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जानकारी देते हुए कहा गया है कि मंगलवार को 18-44 साल के आयु वर्ग के 13,13,438 लोगों को टीके की पहली खुराक दी गई जबकि 54,375 लोगों को दूसरी खुराक लगाई गई। शुरू में सीरम इंस्टीट्यूट की ओर से निर्मित कोविशील्ड वैक्सीन की दो खुराकों के बीच 28 दिन का अंतर रखा गया था। इसके बाद इसे बढ़ाकर 6 हफ्ते का गैप कर दिया गया। इसके बाद मई में सरकार ने एक बार फिर इसमें बदलाव किया और गैप को बढ़ाकर 12 से 16 हफ्ते कर दिया।
इसे लेकर विपक्षी दलों से लेकर कई लोगों ने सरकार को कटघरे में खड़ा और तरह-तरह के बयान दिए। लेकिन अब इसपर सरकार ने सफाई दी है। स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा है कि कोविशील्ड की दो डोज के बीच समयांतराल 12 से 16 हफ्ते करने का फैसला वैज्ञानिक साक्ष्यों और तथ्यों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि निर्णय पारदर्शी तरीके से लिया गया है। उन्होंने कहा कि भारत में ऐसे हेल्थ डेटा के आकलन का बेहतरीन तंत्र है। बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे मामलों में भी राजनीतिकरण किया जा रहा है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि रियल लाइफ एविडेंस की उपलब्धता के आधार पर, विशेषकर ब्रिटेन से मिले साक्ष्यों के आधार पर कोविड-19 वर्किंग ग्रुप ने दो खुराक के बीच समय बढ़ाने पर सहमति जताई है। हालांकि भारत बायोटेक की कोवैक्सिन की दो डोज के बीच अंतराल नहीं बदला गया था। कोविड-19 वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन पर बने नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ने कार्यसमूह की ये सिफारिशें 12 मई को स्वीकार की थीं।
Decision to increase the gap between administering 2 doses of #COVISHIELD has been taken in a transparent manner based on scientific data.
India has a robust mechanism to evaluate data.
It's unfortunate that such an important issue is being politicised!https://t.co/YFYMLHi21L
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) June 16, 2021
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