Coronavirus: चीन में वायरस की टेस्टिंग में बस 15 मिनट का समय, भारत में क्यों लगते हैं 24 घंटे
नई दिल्ली। चीन और दुनिया के करीब 100 देशों के साथ भारत में भी अब कोरोना वायरस के केस मिलने लगे है। इस जानलेवा वायरस ने अब तक दुनियाभर में एक लाख से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर दिया है। दुनिया की अर्थव्यवस्था चौपट होने लगी है और अभी तक इस वायरस के इलाज को तलाशने में जद्दोजहद करनी पड़ रही है। वहीं एक और बात जो सबसे अहम है वह है इस वायरस की टेस्टिंग। अलग-अलग देशों में इस वायरस की टेस्टिंग में अलग-अलग समय लगता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि चीन में इस वायरस की टेस्टिंग में बस 15 मिनट का समय लगता है। वहीं अगर बात भारत की करे तो टेस्टिंग में पूरा एक दिन लग जाता है।
15 मिनट में नतीजे सामने
रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन में हेल्थ ऑफिशियल्स बस 15 मिनट में सैंपल्स की टेस्टिंग करके नतीजे दे देते हैं। चीन में कोरोना वायरस की टेस्टिंग रैपिड टेस्ट की मदद से होती है और इसमें सैंपल 80 प्रतिशत तक सही साबित होता है। टेस्ट का प्रयोग इटली और जापान मे भी हो रहा है। जबकि ब्रिटेन इस तरह की टेस्टिंग से बच रहा है। पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड जो कि स्वास्थ्य सेवाओं पर ब्रिटेन का हेल्थ और सोशल केयर विभाग के तहत आने वाली एजेंसी है, उसे उम्मीद है कि जल्द ही उसके पास अपना एक टेस्टिंग सिस्टम होगा।
ब्रिटेन के पास होगा अपना सिस्टम
एजेंसी की मानें तो यह सिस्टम रैपिड कोरोना वायरस टेस्ट से ज्यादा बेहतर होगा। इस एजेंसी ने रैपिड टेस्ट को सटीक मानने से इनकार कर दिया है। साथ ही कहा है कि इस टेस्टिंग के पास अमेरिकी एजेंसी यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) से मिली मंजूरी नहीं है। नॉर्थ कैरोलिना स्थित बायोमेडिक्स का कहना है कि रैपिड कोरोना वायरस टेस्ट को साउथ कोरिया, चीन, जापान और मिडिल ईस्ट के कुछ देश प्रयोग कर रहे हैं। इस टेस्ट में मरीज के उंगली पर सुई लगाकर और फिर ब्लड सैंपल्स की मदद से पूरा किया जाता है।
भारत में ब्लड सैपल जाता है लैब में
यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा कि घर में होना वाला कोई प्रेग्नेंसी टेस्ट। ब्रिटेन में लार टेस्ट मे 24 से 48 घंटे का समय लगता है। इस कोरोना वायरस के सैपल के तौर पर नतीजों के लिए भेजा जाता है। भारत में ब्लड सैंपल्स को कोरोना वायरस की टेस्टिंग के लिए भेजा जाता है। ये सैंपल रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमेर्स चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) तकनीक के तहत टेस्ट किए जा रहे हैं। इस तरह की टेस्टिंग जीन पर आधारित पॉलीमर्स चेन रिएक्शन जिसे पीसीआर कहते है, उसके आधार पर होती है। इसके बाद रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमेर्स चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) काफी संवेदनशील होती है।
पुणे में होती है टेस्टिंग्
साधारणतौर पर टेस्टिग के बाद इसमें नतीजे आने में 24 घंटों का समय लगता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) का कहना है कि कोविड-19 की टेस्टिंग आरटी-पीसीआर के तहत होनी चाहिए। पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) कोविड-19 की टेस्टिंग के लिए 24 घंटे तक काम कर रही है। भारत में अब तक कोरोना वायरस के करीब 50 पॉजिटिव केस मिले हैं।