रूप बदल रहा है कोरोना वायरस, क्या बेकार हो जाएंगे अब तक बने सभी टीके? जानिए वैज्ञानिकों ने क्या कहा
नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस का तांडव कम होने का नाम नहीं ले रहा है, इस बीच नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स के वैज्ञानिकों ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक कोरोना वायरस अपना रूप बदल रहा है, जिसके चलते बनाए जा रहे वैक्सीन उस पर बेअसर साबित हो सकते हैं। हाल ही में वैज्ञानिकों के एक संघ ने SARS-CoV-2 के जीन को लेकर एक रिपोर्ट पेश की जिसमें कई हैरान करने वाली बात समने आई हैं।
खास तरह के वायरस को खत्म करने के लिए बन रही वैक्सीन
गौरतलब है कि देश-दुनिया में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है, अब तक 2 करोड़ से अधिक लोग इसकी चेपट में आ चुके हैं लेकिन महमारी के खिलाफ कोई ऐसा टीका सामने नहीं आया है जो कोरोना को खत्म करने का दावा करता हो। ऐसे में सवाल खड़ा हो गया है कि क्या वैज्ञानिक किसी खास तरह के कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए वैक्सीन तैयार कर रहे हैं? अगर ऐसा है तो कोरोना वायरस समय के साथ अपना रूप बदल लेगा तो वैक्सीन कितनी प्रभावी साबित होगी।
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भारत में भी कोरोना का म्यूटेशन
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के इस बदलाव का पता लगाने के लिए 1,000 से अधिक कोरोना के नमूले लोगों के मुंह और नाक से लिए। इसमें पता चला कि मलेशिया में फैले कोरोना वायरस ज्यादातर जिस स्ट्रेन का है, वो सबसे पहले फरवरी महीने में यूरोप में पाया गया था। D614G के नाम से जाना जाने वाला यह स्ट्रेन ही अब दुनियाभर में व्यापक रूप से पाया जा रहा है।
D614G वायरस म्यूटेशन चिंता का कारण
रिसर्च के मुताबिक ये स्ट्रेन हेप्लोटाइप थे यानी एक ही ऑरिजिन से थे। इनमें म्यूटेशन से बने वायरस के टाइप को D614G कहा जा रहा है। कोरोना वायरस के रूप में ये बदलाव सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में देखा जा रहा है, दुनियाभर के वैज्ञानिक इस पर रिसर्च कर रहे हैं। इसमें से सबसे अधिक परेशान करने वाला D614G वायरस म्यूटेशन है। इस तरह के वायरस के बनावट को देखने पर पता चला है कि इनमें नुकीली संरचना अधिक है जो मानव शरीर में घुसने में इन्हें मदद करती है।
म्यूटेशन पर दुनियाभर के वैज्ञानिक कर रहे हैं शोध
वैज्ञानिकों में वायरस के शरीर पर कांटेदार संरचना ही चिंता का कारण है। माना जा रहा है कि ऐसी संरचना के कारण ही वायरस मानव शरीर की कोशिकाओं में आसानी से जुड़ पाता है। बता दें कि कोरोना वायरस असल में स्पाइक यानी नुकीली संरचना वाला होता है। ये एक तरह का प्रोटीन होता है जो हमारे शरीर की कोशिकाओं में पाए जाने वाले प्रोटीन से काफी अच्छे से जुड़ पाता है। दूसरे कोरोना वायरस के मुकाबले कोविड-19 का ये रूप इंसनों के लिए ज्यादा खतरनाक है, इसी वायरस को शरीर में कमजोर करने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं।
इस स्थिति में वैक्सीन हो जाएगी बेअसर
हालांकि राहत की बात यह है कि वायरस में म्यूटेशन के कारण बढ़े स्पाइक का डर ज्यादा बड़ा कारण नहीं है, इसके पीछे शोधकर्ताओं का तर्क है कि स्पाइक प्रोटीन में फिलहाल किसी तरह का कोई जीनोम बदलाव नहीं देखने को मिला है, अगर भविष्य में ऐसा होता है तो कोरोना के खिलाफ बनाई जा रही वैक्सिन बेकार साबित हो सकती है। प्रोफेसर गगनदीप कंग कहते हैं कि अगर म्यूटेशन से स्पाइक प्रोटीन में ही बदलाव हो तब वैक्सीन बेअसर हो सकती है। इसका कारण यह है कि वर्तमान में तैयार की जा रही वैक्सीन इसी स्पाइक प्रोटीन को निशाने पर लेते हुए बनाई जा रही है।
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