आठ महीने तक कोरोना का इलाज कराने में बिक गई किसान की 50 एकड़ जमीन, फिर भी नहीं बची जान
नई दिल्ली, 13 जनवरी: कोरोना वायरस महामारी किस तरह से लोगों के जानमाल का नुकसान कर रही है और सरकार के राहत के दावे कितने झूठे है, इसकी बानगी मध्य प्रदेश में देखने को मिली है। मध्य प्रदेश के रीवा जिले के किसान धर्मजय सिंह आठ महीने पहले कोरोना संक्रमित हुए थे। जिसके बाद उनका इलाज चला। महंगे इलाज के चलते आठ महीने में उनकी 50 एकड़ जमीन बिक गई और अब वो जिंदगी की जंग भी हार गए।
2 मई को हुए थे कोरोना संक्रमित
रीवा के मऊगंज क्षेत्र के राकरी गांव के रहने वाले 50 साले के धर्मजय सिंह बीते साल कोरोना की दूसरी लहर में बीमार पड़े। उनका सैंपल लिया गया और 2 मई को रिपोर्ट आी कि वह कोरोना संक्रमित हैं। उनको रीवा के संजय गांधी अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। यहां उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ तो उन्हें एयर एंबुलेंस से चेन्नई ले जाया गया। चेन्नई के अपोलो अस्पताल में उनको भर्ती कराया गया, जहां आठ महीने तक उनका इलाज चला।
फेफड़ों हो चुके थे बिल्कुल खत्म
अपोलो अस्पताल में डॉक्टरों ने पाया कि धर्मजय सिंह के फेफड़े 100 प्रतिशत संक्रमित हो चुके हैं। फेफड़ों में संक्रमण के चलते एक्मो मशीन के जरिए उनको बचाने की कोशिश की जाती रही लेकिन नई जान देने की कोशिश की जाती रही लेकिन मंगलवार रात उनकी मौत हो गई। धर्मजय सिंह की जान तो गई ही लेकिन उसके साथ-साथ उनके परिवार को आर्थिक स्तर पर भी बड़ी चोट लगी है। जिले के सबसे संपन्न किसानों में शुमार धर्मजय की 50 एकड़ जमीन इलाज के खर्च में बिक गई।
सरकार से मिले महज चार लाख
धर्मजय सिंह का चेन्नई अपोलों में आठ महीने तक बहुत महंगा इलाज चला। उनके इलाज पर करीब तीन लाख रुपए हर रोज खर्च होते थे। ऐसे में इस खर्च के लिए परिवार को जमीन बेचनी पड़ी। धर्मजय सिंह के इलाज पर करीब 8 करोड़ रुपए आठ महीने में खर्च हुए, जिसको जुटाने के लिए परिवार ने 50 एकड़ जमीन बेची।
किसान धर्मजय सिंह के बड़े भाई प्रदीप सिंह ने बताया कि भाई को बचाने के लिए परिवार ने 50 एकड़ जमीन बेची लेकिन वो बच नहीं पाए। उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से महज चार लाख रुपए की आर्थिक मदद उनको मिली। जो इलाज के खर्च को देखते हुए कुछ भी नहीं थी। ऐसे में जमीन बेचने के सिवा कोई चारा परिवार के पास नहीं था।
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