बिहार: लॉकडाउन की उड़ी धज्जियां, अब तो गांवों में मिलने लगे कोरोना के संदिग्ध
नई दिल्ली। बिहार में अभी तक कोरोना के तीन पोजिटिव केस सामने आ चुके हैं जिसमें से एक की मौत हो गयी है। सरकार के मुताबिक करीब साढ़े पांच सौ लोगों को संदेह के आधार पर आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है। कोरोना से बचाव का सबसे कारगार उपाय सोशल डिसटेंसिंग है। इसके मद्देनजर ही समूचे प्रदेश में लॉकडाउन लागू किया गया है। लेकिन बिहार में लॉकडाउन की धज्जियां उड़ाये जाने से कोरोना का खतरा बढ़ गया है। सोमवार को लॉकडाउन के बावजूद पटना में सैकड़ों लोग बसों पर ऊपर नीचे लद कर यात्रा करते नजर आये। मुजफ्फरपुर और दूसरे शहरों में खुलेआम बसे चलीं। लोग एक दूसरे से चिपके हुए बसों में चढ़े हुए थे। बाहर से आने वाले लोगों ने सोशल डिस्टेसिंग के निर्देश को दरकिनाकर न केवल अपनी बल्कि दूसरे लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल दिया है। करीब चार हजार लोगों के हाथों पर कोरोना क्वारेंटाइन की मुहर लगा कर घऱ भेजा गया है। लेकिन सवाल ये है कि क्या वे घर पहुंचने के बाद 14 दिनों तक खुद को अलग-थलग रखेंगे ? आम लोगों में अनुशासन की कमी, बाहरी यात्रियों की बेहिसाब आमद, डॉक्टरों की कमी और सरकारी तंत्र की लापरवाही से बिहार के डेंजर जोन में पहुंचने का खतरा पैदा हो गया है। अब देखना है कि बिहार सरकार किस सख्ती से लॉकडाउन के आदेश को लागू कर पाती है।

पटना में लॉकडाउन बन गया मजाक
लॉकडाउन लागू होने के पहले से कई ट्रेनें बिहार के लिए चल चुकीं थीं। मुम्बई-पुणे से बिहार के लिए चार स्पेशल ट्रेंनें चलायी गयीं थीं। चूंकि इन ट्रेनों को बीच में नहीं रोका गया इस लिए यात्री रविवार और सोमवार तक दानापुर- पटना पहुंचते रहे। रविवार देर रात तक पटना मिठापुर बस स्टैंड में यात्रियों की भारी भीड़ जमा रही। सोमवार सुबह से लॉकडाउन लागू हो चुका था। इसके बाद भी कई बसे खुलीं। सरकारी आदेश को ताक पर रखा दिया गया। बसें कम थीं और यात्री अधिक। बस वालों की तो जैसे लॉटरी लग गयी। दो सौ के बदले पांच सौ भाड़ा फिर भी यात्री लदने को तैयार। पैसा कमाने के लिए बस वालों ने इन यात्रियों और बिहार के लोगों का जीवन संकट में डाल दिया। जब तक पटना जिला प्रशासन कार्रावाई करता तब तक कई बसों यात्री टिड्डियां की तरह सवाल हो कर निकल चुके थे। सोमवार को पटना में लॉकडाउन एक तरह से माखौल बन कर रह गया। लोगों ने सरकार के आदेश को बहुत हल्के में लिया। वे सरकार की नाक के नीचे पटना में सड़कों पर आम दिनों की तरह आवाजाही करते रहे।

क्या बाहर से आने वाले खुद को करेंगे आइसोलेट
बिहार में करीब पौने चार हजार यात्रियों के हाथों पर कोरोना क्वारेंटाइन लिखा हुआ है। वे मुम्बई और पुणे से अपने अपने गांव में लौट चुके हैं। यात्रा के दौरान इन्होंने जिस तरह निर्देशों की अनदेखी की, क्या वे घर पहुंच कर खुद को आइसोलेट करेंगे ? अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो वे अपने घर और गांव के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं। अब ऐसे यात्रियों की निगरानी की जरूरत है। रविवार को मुम्बई और पुणे से 3990 यात्री दानापुर पहुंचे। इनमें 24 लोगों को कोरोना का संदिग्ध पाया गया। इनको अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है। बाकी 3832 यात्रियों के हाथों पर कोरोना क्वारेंटाइन की मुहर लगा कर सरकार ने उन्हें घर भेज दिया। रविवार को ही बेंगलुरू से खुली संघमित्रा एक्सप्रेस भी पटना पहुंची। जब ये ट्रेन स्टेशन पर आयी उस समय यात्रियों की जांच करने के लिए डॉक्टरों टीम वहां नहीं नहीं थी। जब तक डॉक्टर पहुंचे तब तक कई यात्री स्टेशन से बाहर निकल चुके थे। कुछ यात्रियों की जांच हुई, कुछ की नहीं हुई। जिनकी जांच नहीं हुई क्या वे बिहार के लिए खतरा नहीं है ? बाहरे से आने वाले अधिकतर वैसे लोग हैं जो रोजगार के लिए अलग-अलग शहरों में गये थे।

अब गावों में भी मिलने लगे हैं संदिग्ध
मधुबनी जिले के बासोपट्टी इलाके में कोरोना का एक संदिग्ध मिला है। वह शुक्रवार को बेंगलुरू से लौटा है। झंझारपुर में छह लोगों में कोरोना के लक्षण पाये गये। जब उन्हें 12 घंटे तक अस्पताल में रुकने के लिए कहा गया तो वे फरार हो गये। पटना के आसपास के गांवों में भी कई मरीजों में इस बीमारी के लक्षण पाये गये हैं। पंडारक में नौ मरीजों की जांच की गयी। इसमें से एक को पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया गया है। विक्रम में भी एक संदिग्ध मिला है। चार दिन पहले ही अलग-अलग जिलों में करीब 16 संदिग्धों की पहचान हुई थी। इनमें अधिकतर वैसे लोग हैं जो विदेश से आये हैं। कई वैसे लोग भी हैं जो कोरोना के लक्षणों को छिपा रहे हैं। अस्पताल कर्मियों की लापरवाही से स्थिति विकराल हो रही है। मुंगेर के जिस मरीज की कोरोना से पटना में मौत हुई थी उसके परिजनों पर भी जानकारी छिपाने का आरोप लगा है। विदेश से आये उस व्यक्ति का पहले मुंगेर के निजी अस्पताल में इलाज हुआ था। यहां तक कि एम्स में भी उसे पहले जनरल वार्ड में ही भर्ती किया गया था। उससे कई लोगों के संक्रमित होने अंदेशा है। जब उसमें कोरोना के लक्षण मिलने लगे तो उसे आइसोलेशन वार्ड में लाया गया। कोरोना से ग्रिसित इस व्यक्ति का शव बिना किसी एहतियात के अस्पताल से मुंगेर लाया गया। घर पहुंचने का बाद भी कई घंटों तक उसका शव यूं ही पड़ा रहा। घर वाले और पड़ोसी उसे आसपास मौजूद रहे। फिलहाल इस बात की जांच चल रही है मुंगेर में कितने लोगों के कोरोना पोजिटिव होने की आशंका है। पहले की गलतियों से सबक लेकर अब बिहार सरकार ने हर जिले में कोरोना संदिग्धों पर नजर रखने के लिए पांच-पांच मॉनिटरिंग सेल बनाने का फैसला लिया है।
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