कोरोना महामारी के बीच चीन ने दी राहत भरी खबर, इस साल के अंत तक वैक्सीन आने की उम्मीद
नई दिल्ली: चीन के वुहान से शुरू हुए कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। जिस वजह से अब तक दुनियाभर में 60 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जबकि 3.7 लाख लोगों ने अभी तक इस वायरस की वजह से जान गंवाई है। इस बीच चीन ने एक राहत भरी खबर दी है। जिसके मुताबिक इस साल के अंत तक कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार होने की उम्मीद है। इसके साथ ही वैज्ञानिक एक साल में करीब 10-12 करोड़ डोज बनाने का दावा कर रहे हैं। वैक्सीन आने के बाद ही लोगों को लॉकडाउन के झंझट से निजात मिलेगी।
2000 लोगों पर किया ट्रायल
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स और बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल ने साथ मिलकर कोरोना वैक्सीन को तैयार किया है। इस बात की पुष्टि चीन सरकार के एसेट्स सुपरविजन एंड एडमिनिस्ट्रेशन कमीशन (SASAC) ने वीचैट पर की है। रिपोर्ट के मुताबिक दोनों संस्थाओं ने 2000 लोगों पर इसका ट्रॉयल किया था, जोकि सफल रहा। अब इस वैक्सीन के ट्रॉयल का दूसरा चरण शुरू होने वाला है। इसके बाद इस साल के अंत या फिर अगले साल की शुरूआत में वैक्सीन बाजार में आ सकती है। बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स के मुताबिक वो एक साल में वैक्सीन की 10-12 करोड़ डोज तैयार कर सकते हैं।
पांच वैक्सीन का चल रहा ट्रायल
चीनी मीडिया के मुताबिक उनके देश में अभी पांच वैक्सीन पर ट्रायल चल रहा है। वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स और बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल ने वैक्सीन के ट्रायल को तीन चरणों में बांटा है। इन चरणों के बाद ही वैक्सीन बाजार में आएगी। अभी तक के ट्रायल में देखने को मिला कि उनकी वैक्सीन अन्य वैक्सीन की तुलना में तेज काम कर रही है। फिलहाल वैक्सीन पर काम करने वाली ये दोनों संस्थाएं चीनी सरकार के फार्मासूटिकल समूह सिनोफार्म से संबद्ध हैं, जिनकी निगरानी SASAC करता है।
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भारत में भी वैक्सीन पर चल रहा काम
भारत सरकार के प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर प्रोफेसर विजय राघवन के मुताबिक भारत में भी 30 समूह वैक्सीन पर काम कर रहे हैं। इसमें बड़ी इंडस्ट्री के साथ ही व्यक्तिगत शिक्षाविद भी शामिल हैं। इसमें से 20 की गति काफी अच्छी है। उन्होंने ये भी बताया कि वैक्सीन को तैयार करने की पूरी प्रक्रिया में 10-15 साल का समय लगता हैं और उसमें 2-3 मिलियन डॉलर का खर्च आता है, लेकिन कोरोना महामारी के प्रकोप के चलते वैक्सीन का काम 1 साल के अंदर पूरा करने की कोशिश की जा रही है। इसी वजह से इस पर 2-3 बिलियन डॉलर का खर्च आ रहा है।