पोलियो जितना खतरनाक है कोरोना महामारी, संक्रमित मरीजों में मिल रहे हैं गंभीर रोगों के लक्षण
नई दिल्ली। कोरोनोवायरस रोगियों को बीमारी से उबरने के साथ-साथ उन्हें दिल, फेफड़े और गुर्दे संबंधी रोगों की अपरिवर्तीय क्षति का सामना करना पड़ सकता है। लंदन के अस्पताल में संक्रमित रोगियों पर किए गए एक अध्ययन यह खुलासा किया गया है। स्टडी के मुताबिक कोविद -19 के साथ अस्पताल में भर्ती के दौरान आधे से अधिक मरीजों का हार्ट स्कैन किया गया और स्कैन रिपोर्ट में उनके अंगों में असामान्य परिवर्तन दिखाई दिए।
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हर 8 कोरोना संक्रमित में से 1 के दिल में 'गंभीर शिथिलता' के मिले संकेत
जांच के दौरान पाया गया कि हर 8 में से एक के दिल में 'गंभीर शिथिलता' के संकेत थे, जिसके लिए डॉक्टरों को कोरोना वायरस के अलावा कोई कारण नहीं मिला। ब्रिटेन में कोविद -19 संक्रमित अस्पताल में भर्ती कराए गए लगभग चार में से एक व्यक्ति की मौत हुई है, लेकिन जीवित बचे लोगों में भी लंबी अवधि की बीमारी वाले रोगों के लक्षण विकसित हो गए थे।
कोरोना शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को व्यापक रूप से नुकसान पहुंचा सकता है
ब्रिटिश हार्ट फ़ाउंडेशन द्वारा कराए गए इस अध्ययन में कहा गया है कि कोरोनावायरस महत्वपूर्ण अंगों को व्यापक रूप से नुकसान पहुंचा सकता है और ऐसे मरीजों को महीनों और वर्षों तक स्वास्थ्य समस्याओं को झेलना पड़ सकता है। इनमें, खांसी, सांस की तकलीफ और फेफड़ों की क्षमता में कमी प्रमुख है और यह भी सबूत मिले हैं कि वायरस मस्तिष्क और गुर्दे को प्रभावित कर सकता है। बोरिस जॉनसन के इलाज में मदद करने वाले एक फेफड़े के डॉक्टर ने कहा कि वायरस 'इस पीढ़ी का पोलियो' है।
कोविद19 को एक 'मल्टी-सिस्टम बीमारी' के रूप में संदर्भित किया गया
एक ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन के शोधकर्ता ने कोविद -19 को एक 'मल्टी-सिस्टम बीमारी' के रूप में संदर्भित किया है, जो कि पूरे शरीर में फैल सकता है। एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में एक हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर मार्क ड्वेक ने कहा कि 'कोविद -19 एक जटिल, मल्टीसिस्टम बीमारी है, जिसका दिल समेत शरीर के कई हिस्सों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
कोरोना रोगियों को इकोकार्डियोग्राम की सलाह देने में संकोच करते हैं डाक्टर
कई डॉक्टर कोविद -19 वाले रोगियों के लिए इकोकार्डियोग्राम का सलाह देने में भी संकोच करते हैं, क्योंकि यह एक अतिरिक्त प्रक्रिया है, जिसमें रोगियों को नजदीकी संपर्क के लिए मजबूर करता है। ये स्कैन महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि उन्होंने पाया कि इलाज पाने वाले एक तिहाई रोगियों के इलाज में सुधार हुआ।
शोध में दुनिया भर के 69 देशों के अस्पतालों में 1,216 रोगियों को शामिल किया
अध्ययन में दुनिया भर के 69 देशों के अस्पतालों में 1,216 रोगियों को शामिल किया गया था और सभी के दिलों का स्कैन किया गया था। 35 फीसदी के दिलों को नुकसान पहुंचाने वाले परिवर्तनों के संकेत मिले, जो उनके दिलों द्वारा रक्त को अच्छी तरह से पंप करने की क्षमता से जुड़ा हुआ था, जबकि उनमें से अधिकांश के दिल पहले स्वस्थ थे।
13 फीसदी से अधिक रोगियों ने दिल की गंभीर बीमारी को प्रदर्शित किया
13 फीसदी से अधिक रोगियों ने दिल की गंभीर बीमारी को प्रदर्शित किया, जिससे उनकी मृत्यु या स्थायी बीमारी होने का खतरा बढ़ गया था। अन्य अध्ययनों में डॉक्टरों और शोधकर्ताओं ने पाया है कि वायरस के कारण फेफड़ों और अन्य महत्वपूर्ण अंगों में रक्त के थक्के बन सकते हैं। दिल, मस्तिष्क और फेफड़ों में पहुंचने से रक्त थक्के उन्हें गंभीर स्वास्थ्य के लिए गंभीर और जानलेवा भी साबित हो सकते हैं।
कोरोनावायरस संक्रमणहानिकारक आंतरिक सूजन के लिए जाना जाता है
कोरोनावायरस, जो हानिकारक आंतरिक सूजन के लिए जाना जाता है, यह हृदय और परिसंचरण तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है और रक्त में बना थक्का शरीर पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है। अध्ययन केवल उन रोगियों पर किया गया था,जिनके दिलों का स्कैन किया गया था।इसका अर्थ यह है कि यह स्पष्ट नहीं है कि कोरोनोवायरस उन लोगों के दिलों को कैसे प्रभावित करता है जो गंभीर रूप से बीमार नहीं हैं।
गंभीर किस्म के फ्लू को दिल को नुकसान के लिए जाना जाता है
हार्ट स्कैन आमतौर पर केवल उन्हीं लोगों को दिए जाते हैं, जिन्हें पहले से ही हार्ट की समस्या है, इसलिए स्टडी में शामिल समूह में गंभीर समस्या वाले लोगों का अनुपात विशेष रूप से अधिक है। प्रोफेसर ड्वेक ने बताया कि गंभीर फ्लू को दिल को नुकसान के लिए जाना जाता है, लेकिन हमें आश्चर्य है कि कोविद -19 रोग वाले अधिकांश मरीजों के दिल को नुकसान पहुंचा था और काफी मरीजों को गंभीर गड़बड़ी की समस्या उत्पन्न हुई।
अधिक कोरोनोवायरस रोगियों के दिलों को स्कैन किया जाना चाहिए
हमें अब इस क्षति के सटीक तंत्र को समझने की आवश्यकता है, चाहे वह प्रतिवर्ती हो और यह भी समझना है कि कोविद -19 संक्रमण का दीर्घकालिक परिणाम दिल पर क्या पड़ता है। प्रोफेसर ड्वेक और उनके सहयोगियों ने कहा कि अधिक कोरोनोवायरस रोगियों के दिलों को स्कैन किया जाना चाहिए ताकि डॉक्टर उनकी समस्याओं के मुताबिक उनका इलाज कर सकें।
वैज्ञानिकों ने कहा कि इलाज में हुए इन बदलावों से जान बच सकती है
हार्ट स्कैन, जिसे इकोकार्डियोग्राम कहा जाता है, इसमें एक मरीज के साथ शारीरिक संपर्क मजबूरी हो जाती है। हालांकि आमतौर पर तब तक नहीं किया जाता है जब डॉक्टरों को कुछ गलत महसूस हो रहा हो। उदाहरण के लिए उन्हें हार्ट फेल की दवाएं दी गईं अथवा उनके तरल सेवन को अधिक सख्ती से नियंत्रित किया गया। वैज्ञानिकों ने कहा कि इलाज में हुए इन बदलावों से जान बच सकती है।
दिल के रोग से पीड़ित लोगों को मरने का अधिक खतरा होता है
दिल के रोग से पीड़ित लोगों को मरने का अधिक खतरा होता है, यदि वे अन्य लोगों की तुलना में कोरोनोवायरस से संक्रमित होते हैं। यदि लोगों के दिल पहले से ही क्षतिग्रस्त हैं, तो उनके पास वायरस का सामना करने की कम क्षमता हो सकती है और आगे के नुकसान से उबरने की संभावना कम होती है जो कोरोनोवायरस पैदा कर सकता है।
गंभीर कोविद-19 रोग हृदय और संचार प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकती है
BHF की एसोसिएट मेडिकल डायरेक्टर डॉ सोन्या बाबू-नारायण ने कहा कि गंभीर कोविद -19 बीमारी हृदय और संचार प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकती है। हमें तत्काल इस बारे में अधिक समझने की आवश्यकता है कि ऐसा क्यों हो रहा है औक हम लघु और दीर्घकालिक दोनों तरीके से मरीज को उचित देखभाल प्रदान कर सकते हैं।
वायरस के दीर्घकालिक प्रभाव अब तेजी से सामने आ रहे हैं
यह वैश्विक अध्ययन महामारी के उफान पर किया गया है, जो दिखाता है कि हमें कोविद -19 संक्रमित मरीजों में दिल की जटिलताओं की तलाश करनी चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर उनके अनुसार उपचार को अपनाया जा सकें। वायरस के दीर्घकालिक प्रभाव अब तेजी से सामने आ रहे हैं, क्योंक वायरस अब महीनों तक रहा है और लाखों लोगों ने रिकवर भी किया है।
ब्रिटिश PM बोरिस जॉनसन की डॉक्टर ने पोलियो से की थी कोरोना तुलना
ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग ने अब एक नया अध्ययन उनके लिए शुरू किया है, जो लंबे समय तक इससे जूझ रहे है, क्योंकि संभव है कि ऐसे लोग सांस और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से पीड़ित हों। मार्च महीने जब ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन वायरस संक्रमण के साथ आईयूसी में थे, तो वहां उनका देखभाल कर रही एक डॉक्टर ने पोलियो की बीमारी की तुलना कोरोनावायरस से की थी।
फेफड़े के डॉक्टर कहा कि कोविद-19 नईस पीढ़ी का पोलियो है
सेंट थॉमस अस्पताल में फेफड़े के डॉक्टर प्रोफेसर निकोलस हार्ट ने ट्विटर पर कहा, 'कोविद -19 इस पीढ़ी का पोलियो है, क्योंकि संक्रमित हुए मरीजों को हल्के, मध्यम और गंभीर बीमारी है। उन्होंने आगे कहा, रिकवर हो चुके लोगों में से बड़ी संख्या में शारीरिक, संज्ञानात्मक और मनोवैज्ञानिक विकलांगता के बाद गंभीर बीमारी होगी, जिसके लिए दीर्घकालिक प्रबंधन की आवश्यकता होगी, जिसके लिए हमें आगे की योजना बनानी चाहिए।