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टाटा से विवाद: करीब 29 अरब डॉलर अटका है, इस तीसरी 'त्रासदी' से कैसे उबरेंगे Shapoor Mistry?

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देश की एक बहुत ही अमीर कंपनी शापूरजी पालोनजी ग्रुप का करीब 29 अरब डॉलर टाटा ग्रुप से हुए झगड़े में अटक गया है। इस ग्रुप के लिए यह साल बहुत ही भयानक गुजरा है। ग्रुप के मालिक शापूर मिस्त्री के पिता पालोनजी और उनके छोटे भाई साइरस मिस्री का कुछ ही महीनों के अंदर निधन हो गया है। साइरस मिस्री की मौत सितंबर में एक बहुत ही भयानक सड़क हादसे में हो गई थी। साइरस मिस्री कभी टाटा ग्रुप के भी चेयरमैन बने थे। लेकिन, उनके कार्यकाल के दौरान से जो विवाद शुरू हुआ था, उसका लफड़ा अभी तक नहीं सुलझा है और शापूरजी पालोनजी ग्रुप को बहुत बड़े आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।

एसपी ग्रुप का 29 अरब डॉलर अटका है-रिपोर्ट

एसपी ग्रुप का 29 अरब डॉलर अटका है-रिपोर्ट

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक शापूरजी पालोनजी ग्रुप (एसपी ग्रुप) का लगभग 29 अरब डॉलर टाटा ग्रुप से जारी विवाद की वजह से फंसा हुआ है। शापूर मिस्त्री के लिए यह साल की तीसरी त्रासदी से कम नहीं है। तीन महीने के भीतर पहले पिता साथ छोड़ गए फिर छोटे भाई साइरस मिस्री की सड़क हादसे में दर्दनाक मौत हो गई। इन त्रासदियों ने दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी घरानों में से एक एसपी ग्रुप को बहुत ही घनघोर संकट में डाल रखा है। 157 वर्षों में मिस्री घराने की पांच पीढ़ियों ने पूरे एशिया में इमारतों, फैक्ट्रियों और स्टेडियम निर्माण का साम्राज्य खड़ा किया है। लेकिन, ब्लूमबर्ग बिलिनियर्स इंडेक्स के अनुमानों के मुताबिक ग्रुप के अनुमानित 29 अरब डॉलर में से लगभग 90% भारत के टाटा ग्रुप के साथ चल रहे विवाद में फंसा हुआ है।

एक शताब्दी तक दोनों खानदानों में रहे मधुर संबंध

एक शताब्दी तक दोनों खानदानों में रहे मधुर संबंध

साइरस मिस्री के बड़े भाई 57 वर्षीय शापूर मिस्त्री को कमजोर अर्थव्यवस्था और बढ़ती ब्याज दर से निपटने के लिए कैश की आवश्यकता है। महामारी की वजह से पिछले कुछ वर्षों में बिजनेस वैसे ही दबाव में है। जानकारी के मुताबिक बीच का रास्ता निकालने के लिए वह वकीलों और कंसल्टेंट से भी मिल चुके हैं। तथ्य ये है कि मिस्री और टाटा दोनों पारसी समुदाय से हैं, दोनों बड़े कारोबारी खानदान हैं और मतभेद पैदा होने से पहले करीब एक शताब्दी तक दोनों घरानों के संबंध बहुत ही मधुर रहे हैं।

टाटा ग्रुप में मिस्री परिवार की 18% हिस्सेदारी है-रिपोर्ट

टाटा ग्रुप में मिस्री परिवार की 18% हिस्सेदारी है-रिपोर्ट

मिस्त्री परिवार की कुल संपत्ति में से अधिकांश टाटा संस में उनकी 18% हिस्सेदारी है, जो कि 128 अरब डॉलर वाली बहुत ही विशाल कंपनी है और जिनके पास जगुआर लैंड रोवर जैसे ब्रांड हैं। टाटा के साथ जारी विवाद के चलते मिस्री इस कंपनी से अपनी हिस्सेदारी बेचने की स्थिति में भी नहीं रह गए हैं, जिससे उनके सामने बहुत ही कठिन स्थिति पैदा हो चुकी है। आलम ये है कि दो बड़े कारोबारी घरानों के बीच के विवाद को सुलझाने के लिए कुछ जानकार पारसी समाज के कुछ वरिष्ठ लोगों से आगे आने की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि, शापूर मिस्री के प्रतिनिधियों की ओर से इसपर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया गया है।

कुछ प्रतिष्ठित बिल्डिंग निर्माण से जुड़ा है मिस्त्री ग्रुप का नाम

कुछ प्रतिष्ठित बिल्डिंग निर्माण से जुड़ा है मिस्त्री ग्रुप का नाम

शापूरजी पालोनजी ग्रुप की शुरुआत 1865 में कंस्ट्रक्शन कंपनी के तौर पर हुई थी। बाद में इस कंपनी का विस्तार जल, ऊर्जा और वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में भी हुआ। इसी साल जून में शापूर मिस्री और उनके छोटे भाई साइरस मिस्री के पिता पालोनजी मिस्री का निधन हो गया था। शापूर मिस्री से पहले कंपनी का नियंत्रण उनके पिता के हाथों में ही था। शापूरजी पालोनजी ग्रुप का नाम जिस कुछ बहुत ही प्रतिष्ठित निर्माणों से जुड़ा हुआ है, उसमें मुंबई स्थित रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की बिल्डिंग और मुंबई के ही ताज महल पैलेस होटल के टावर विंग शामिल हैं।

कैसे दोस्ती कारोबारी नफरत में बदल गई ?

कैसे दोस्ती कारोबारी नफरत में बदल गई ?

मिस्री और टाटा दोनों ही खानदानों के पूर्वज सदियों पहले अभी के ईरान में हुए धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भारत आकर बस गए थे। 1927 से दोनों खानदानों में धार्मिक रिश्तों के अलावा वित्तीय रिश्ते भी स्थापित होने शुरू हो गए थे। शापूरजी पालोनजी ग्रुप ने टाटा ग्रुप की कुछ ऑटोमोबाइल फैक्ट्रियां और स्टील कारखाने बनाने में सहायता की, तो टाटा संस के पारिवारिक सदस्यों से शेयर खरीदकर मिस्त्री परिवार की हिस्सेदारी भी बढ़ती गई, जो कि 18% तक पहुंच गई थी। दोनों खानदानों के बीच के ताल्लुकात तब सबसे ऊंचाई पर पहुंच गए थे, जब साइरस मिस्री को 2012 में रतन टाटा की जगह टाटा संस का चेयरमैन बनने का मौका मिला। लेकिन, समय का पहिया यहीं से ऐसा घूमा कि करीब सौ साल की यह कारोबारी और खानदानी दोस्ती गहरे मतभेद की वजह बन गई।

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क्यों नहीं सुलझ रहा मिस्त्री और टाटा ग्रुप का विवाद ?

क्यों नहीं सुलझ रहा मिस्त्री और टाटा ग्रुप का विवाद ?

साइरस मिस्री के साथ टाटा ग्रुप का विवाद इतना बढ़ गया कि आखिरकार उन्हें पद छोड़ना पड़ गया। मामला कोर्ट में भी पहुंचा, जिसमें अंत में टाटा ग्रुप को ही जीत मिली। 2017 में टाटा संस ने कंपनी की स्थिति बदल दी और यह एक प्राइवेट कंपनी बन गई और इसी के चलते मिस्त्री परिवार के लिए दूसरे निवेशकों के बीच अपना शेयर बेचना मुश्किल हो गया। टाटा संस ने मिस्री ग्रुप को उसका शेयर खरीदने का भी ऑफर दिया था, लेकिन वैल्युएशन को लेकर बात वहीं अटक गई। एसपी ग्रुप ने इस साल कर्जदाताओं को 1.5 अरब डॉलर का भुगतान किया भी था और यह अपनी मुश्किल वित्तीय स्थिति से काफी हद तक निकल भी आया था। लेकिन, बढ़ती ब्याज दर और वैश्विक मंदी की आहट ने इसके सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। (तस्वीरें-फाइल)

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English summary
Shapoorji Pallonji Group's nearly $29 billion is stuck due to differences between Tata and mistry group. Due to this the company is facing difficulties
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